Sunday, April 19, 2009

भूतो के आवास का नवीनीकरण

आज एक बार फिर अपने कविता के साथ आपको हँसाने के लिए आया हूँ.प्रस्तुत काव्य का किसी व्यक्तिगत,वर्ग,समूह,से कोई मतलब नही है,बस श्रोत को नज़रअंदाज करके हास्य व्यंग का मज़ा लीजिए,यह हमारी एक कल्पना की उड़ान है, जिसमे आपका स्वागत है,दो पल के लिए सारे गम भुला कर जी खोल कर हँसते रहिए,तभी हमारे मकसद को एक सार्थकता मिलेगी.....  

13B,अभी हाल मे रिलीज़,एक मूवी का नाम है, 
भयानक,भूतों के मसीहा,भूतहा बाबा का एक भयंकर पैगाम है,
मॉर्डन युग मे भूत भी मॉर्डर्न हो रहे है, 
पीपल का पेड़ छोड़कर,घर के गॉर्डेन मे सो रहे है. 

कभी जमाना था,कही दूर पेड़ की डालियों पर हिलते थे भूत, 
जंगल,रेगिस्तान,खेतों और, खंडहरों मे मिलते थे भूत, 
आज देखो ज़रा,भूतों के आगमन का नया नया स्थान, 
उनके माइंड मे भी चल रहा है,टेक्निकल एक्सपेन्सन का प्लान.  

अब पंखा,कूलर,लिफ्ट,इलेक्ट्रिक वायरों मे आने लगे है,
सनसनाती,लहराती कार और उसकी टायरों मे आने लगे हैं,
दिन मे भी आकर अपने अस्तित्व के लिए जूझते हैं, 
फ्रेंडली इतने की सब ख़ैरियत भी पूछते हैं.  

भूतो के रहन-सहन का इतना अभूतपूर्व विकास, 
उनको आधुनिक बनाने का इतना,सराहनीय प्रयास, 
सभी लोग मूवी देखकर एकदम हिल गये हैं, 
खबर है कुछ इंजीनियर भूतो से जाकर मिल गये है.  

तभी तो प्रोद्धोगिकि विकास के साथ भूतों का विकास होने लगा है, 
मशीनरी,इलेक्ट्रिक चीज़ों मे भी भूतो वास होने लगा है, 
भुतिनि टेलिविज़न पर आकर,समाचार सुनने लगी है, 
मनोरंजन की दुनिया मे एक अनोखी आस जगी है. 

ऐसा ही रहा तो भूत,हीरो,हेरोइनो की तरह बिकेंगे, 
सुबह से शाम तक,हर कार्यक्रम मे भूत ही भूत दिखेंगे, 
अमानत,विदाई,बेटियाँ सब मे,भुतिनियाँ छाएँगी, 
सास और बहू का रोल भी,चुड़ैल ही निभाएँगी. 

छोटे पर्दे पर चंदू भूत,ऐक्टर की तरह ऐश करेगा, 
भोला भूत रात को चित्रहार,पेश करेगा, 
सलीम जिन्ह अपने फटीली आवाज़ मे सूफ़ी गाएँगे,
नट्टू नट लाफ्टर चैलेंज मे,चुटकुले सुनाएँगे.  

भूतो के परिवर्तित स्वरूप का दूसरा पहलू भी ज़बरदस्त है, 
मशीन की चीज़ों मे घुस कर बैठ जाना भी अपने मे मस्त है, 
आदमी ने जब भूतो के आसियानो पर अपना घर बनाया, 
तो भूतो के नाती पोतों ने,अपना थोड़ा दिमाग़ लगाया.  

अब आगे भी ये ऐसे ही दिमाग़ लगते रहेंगे, 
नये रूप,नये आकार,नये वेशभूषा मे आते रहेंगे, 
अभी दूरदर्शन मे आएँ हैं,कल आकाशवाणी से गुनगुनाएँगे,
रेडियो मिर्ची मे मिर्ची गटक कर भुनभुनाएँगे.

रेड FM,93.7 की एंकरिंग भी सजाएँगे.
'बजाते रहो ' का बाजा भी अब भूत ही बजाएँगे,
खेल जगत के प्रोग्राम मे भी ये,धमाके दार इंट्री करेंगे, 
प्रसार भारती के छत पर लटक कर,मैच की कमेंट्री करेंगे.  

मोबाइल मे उतरे तो समझो कमाल हो जाएगा, 
टेलीकॉम इंडस्ट्री मे भी धमाल हो जाएगा, 
भूतो को मोबाइल से भगाने की तैयारी होने लगेगी, 
नये नये साफ्टवेयर बनाने,की मारामारी होने लगेगी.  

एंटी वायरस की तरह एंटी भूत खिलने लगेंगे,
1-2 महीने के लिए ट्रायल वर्ज़न भी मिलने लगेंगे,
सेयरटेल,रोडफोन के रिचार्ज कूपन भी आ सकते है, 
ग़रीब जनता को मिलाएन्स के GSM भी भा सकते हैं.  

जब कभी भी भूतो का, इस दुनिया से ऐसे टच होगा,
होगा या नही पर हुआ भी तो, एक बात बिल्कुल सच होगा, 
भारत की भोली जनता का काम,आसानी से चल जाएगा,
टीवी,मोबाइल बदलने से ही,भूतो का प्रभाव टल जाएगा,  

तांत्रिक,ठगो,अघोरिओं के अत्याचार से, जनता को आराम मिलेगा, 
नये नये साफ्टवेयर बनाने मे भी, लोगो को कुछ काम मिलेगा, 
सपने मे ही सही, दुनिया का स्वरूप बदल जाएँगे
कुछ बेरोज़गार परिंदो के घर, दोनो पहर चूल्‍हे जल जाएँगे.  

अब तो इंतज़ार ही बाकी है, ऐसे अप्रत्याशित आविष्कार का, 
मीडिया के आइडिया और भूतो के चमत्कार का, 
क्या पता आगे इन्हे,कंप्यूटर भी भा जाए, 
हम मॉनिटर स्टार्ट करे और सामने भूत मुस्कुराए.

Tuesday, April 14, 2009

कॉलेज का आख़िरी दिन

जिंदगी के सफ़र मे बहुत से यादगार लम्हे आते है,कुछ हमे छू कर निकल जाते है,और कुछ झकझोर कर,कुछ गुनगुनाने के बहाने दे जाते है और कुछ लफ़्ज पे खामोशी बन कर छा जाते है,पर एक बात जो सच है ,किसी लम्हो मे ठहराव नही होता वैसे भी हम ऐसे प्राणी है,जो ठहराव चाहते ही नही पल चाहे खुशी का हो या गम का. गम मे हमे खुशी का इंतज़ार रहता है और खुशी मे थोड़ी और खुशी का, फिर थोड़ी और ...........बस सब ऐसे ही चलता रहता है. फिर भी मंजिले सफ़र और आगे बढ़ने की जद्दोजहद के बीच से कुछ पल हम चुरा कर अपने खुशनूमा अतीत के अमूल्य धरोहर के रूप मे संजोए रखना चाहेंगे..और ऐसा ही एक पल है हमारे स्कूल और कॉलेज के दिन जहाँ हम थोड़े मस्ती और थोड़े ज़िम्मेदारियों के साथ हँसते खेलते अपने लक्ष्य के पथ पर बढ़ते रहते है..आज हम अपने कॉलेज का अंतिम दिन याद करते हुए वो सुनहरे पल अपने दोस्तों को फिर से समर्पित करने जा रहे ..दोस्तों अगर आपको पसंद आए तो यह मेरी एक बड़ी उपलब्धि होगी....  

अंतिम पेपर जैसे बीता,अपने कॉलेज के अंदर,
बिखरे सब यूँ इधर उधर कि,पिंजरे से छूटा बंदर,
कुछ के चेहरे गिरे हुए थे,कुछ की थी मुस्कान भरी,
कुछ थे हँसते जख्म लिए,और कुछ की आँखें डरी डरी. 

हर एक नज़र को हमने देखा,पर हम सबसे दूर थे
बात करे किससे क्या बोले, बेबस थे,मजबूर थे,
क्योंकि सब थे ख्वाब लिए,और कदम बढ़ाए जाते थे
जीवन एक सफ़र जैसा ,हम भी मन को समझाते थे.  

सबके दिल मे जो चलता था,हम भी सोच रहे थे वो,
एक बात इससे भी बढ़कर ,दिल मे चुभता रहता था जो, 
इतने दिन तक जुड़ा हुआ था,ऐसा कॉलेज से बंधन, 
आज डोर वह टूट चला,ये समझ नही पता था मन.  

जिनके साथ गुजरता था दिन,हर एक पल,एक छत के नीचे, 
लगे हुए दो दरवाजो से ,दस फुट के दीवार के पीछे, 
इतने दूर वो हो जाएँगे,कि बस याद रहेंगे नाम, 
जब सोचूँ इन बातों को तो,हो जाता है नींद हराम.  

नाम तो वैसे जुड़ा रहेगा,आने वाले जीवन मे, 
कभी कभी पर यही कसक,जब आएगी अपने मन मे, 
की वो पल कितने हँसीन थे, क्या वो लौट के आएँगे,
'नही' मिलेगा उत्तर, बस क्या फिर पछताएँगे.  

कैसे भुला दूं उन यादों को,बीते है जो कॉलेज मे ,
क्लास के अंदर की वो बातें,सब कुछ है जो नॉलेज मे, 
साथ लिए जो चाय की चुस्की,दिल को आज जलाती है, 
जितनी मस्ती काट चुके हैं,वो दिन भी तड़पाती हैं.  

चटकारे,तीखे किस्से अब,बहुत रुलाएगी सबको,
मीठे पल महसूस करे तो,याद करेगे सब रब को,
धड़कन रुक रुक साँसे लेगी,कुछ ऐसे भी बात उठेंगे, 
अच्छे लोग बिछड़ जाएँगे,जब सोचो तो दिल दहलेंगे. 

ये दिल फिर से याद करे, ये बीते दिन जब कभी कभी,
ऐसा ही एक पल मैं चाहूँ,मिलकर दे दो इन्हे अभी,
दूर हो रहे एक दूजे से,बात सही और सच्ची है, 
पर सबकी मंज़िल आगे,ये बात भी कितनी अच्छी है.  

अपने अपने मंज़िल ढूढो. चल दो उस पर पाने को, 
जल्दी ही उस पल को पा लो,लक्ष्य जहाँ है जाने को,
मित्र दिलों मे रहते हैं,वो सदा रहेंगे ऐसे ही, 
जितनी चाहे बातें कर लो, जब मन चाहे जैसे भी. 

जो बीता है अब तक इतना ,वो सब तो अभिन्न अंग है,
मीठी,खट्टी,तीखी बातें ,जीवन के तो कई रंग है, 
उन्ही रंग मे रंगते जाओ,जीवन का आनंद उठाओ, 
दूरी से ना दोस्त दूर हो,जिस पल ढूढो उस पल पाओ.

Wednesday, April 1, 2009

नैनो बस गयी नैनों मे

मार्च का महीना दो बातों के लिए खास कर चर्चा मे रहा एक देश की सरकार और दूसरा टाटा की नयी कार,अब देश की सरकार तो चर्चित है ही और पिछले कई महीनो से इसकी बातें हर गली मुहल्लों मे होती रहती है,और हम भी तो राजनीति की चर्चा पहले एक कविता मे कर चुके है तो ज़्यादा बोलना अच्छी बात नही क्या पता कब अंदर करवा दे, इसलिए हम दूसरे टॉपिक पर अपने कुछ विचार दे रहे है,कल्पना से भरे इस उड़ान मे हमारा एकमात्र उद्देश्य बस आपका मनोरंजन है.

दिखने से पहले ही, नज़रों को भाने लगा, 
जब टाटा के लखटकिया का, एडवरटायज आने लगा| 
मोटर मार्केट मे एकदम से, हल्ला मचाकर रख दिया,
मारुति,सुज़ुकी के मालिकों को भी, नचा कर रख दिया||  

हीरोहोंडा,बज़ाज़,अरिश्मा,करिश्मा,सब बेकार लगा, 
मंहगाई के दौर में ,जब इतना सस्ता कार लगा| 
चारो तरफ एक इमर्जिंग ब्रांड, बन गयी है नैनो, 
और इस साल के दूल्हों की,पहली डिमांड बन गयी है नैनो||  

कारों के कार मे ,सुपरस्टार हो गया है, 
नवयुवकों के लिए तो,चमत्कार हो गया है|| 
बाइक बेचकर, नैनो की बुकिंग करवा रहे हैं, 
और 2900 की किस्त ,अपने बाप से भरवा रहे हैं||  

कुछ बाप तो हर हाल मे ,नैनो लेंगे ही लेंगे,
इससे सस्ता और बढ़िया, बेटे को गिफ्ट मे क्या देंगे| 
पप्पू का बाप उसके बारे मे ,सोचकर डर रहा है,
He Can't Drive,फिर भी नैनो की खरीद कर रहा है||  

सारा भारत जय हो नैनो के, गीत गा रही है,
कार कम्पटीसन की रफ़्तार ,तेज होती जा रही है| 
फिर किसी दिन बज़ाज़,75000 मे बैनो लेकर आ जाएगी,
और मारुति की मैनो, 50000 मे ही लहराएगी ||  

फिर तो शोरूम नही,दुकानो मे कारों के मेले लगेगें, 
एक-दो खरीदने वालों को, तो झमेले लगेगें| 
साल मे एक दिन ,एक ट्राली लेकर जाएँगे, 
और दो चार नैनो,एक साथ लेकर आएँगे||  

पत्नी,बेटे,बेटी को एक एक गिफ्ट कर देंगे, 
एक-दो फ्यूचर यूज के लिए ,बरामदे मे शिफ्ट कर देंगे| 
एक रख लेंगे दूध,अख़बार और सब्जियाँ लाने के लिए, 
एक रामू काका को दे देंगे,घर आने और जाने के लिए||  

कपड़ो की तरह लोग कार बदलने लगेंगे, 
आरामतलब और अईयासी मे ढलने लगेंगे|
इस दीवाली पे कार के बाज़ार मे भी लूट मिलेगी,
3 खरीदने पर (40+10)% की छूट मिलेगी||  

सड़क पे आम आदमी से ज़्यादा कार घूमेगी, 
60-70-80 की रफ़्तार चूमेगी|| 
पर कभी कभी मौज की जिंदगी भी हराम हो जाएगी, 
चौराहे तो चौराहे जब गलियाँ तक जाम हो जाएगी||  

घिसकते घिसकते नैनो के पग, थक जाएँगे , 
कार मे बैठे नैनो के सरताज़ ,भी पक जाएँगे|| 
धुँआ,पेट्रोल,डीज़ल से जब, गमगमा उठेगा माहौल,
कभी खुशी कभी गम ,जैसा हो जाएगा नैनो का रोल||  

नैनो से जुड़े परिवर्तन के, और तत्व भी हैं, 
नैनो के अपने सामाजिक ,महत्व भी हैं||
सबको बराबरी पर लाने वाले,समाज़ के नीतियों को बल मिलेगा,
जब वर्ग समुदाय को नैनो के रूप मे ,खुशहाल कल मिलेगा||  

फिर भी मध्यमवर्गीय बाप, अब भी स्कूटर पर ही जाएगा, 
और कार खरीद कर, बेटी के ससुराल पहुँचाएगा|| 
इस लखटकिया से उसका असहनीय, दुख कट जाएगा,
और दहेज की बलिहारी ,निर्दोष बालाओं का रेट कुछ घट जाएगा||