Saturday, August 1, 2009

मिलावट ही मिलावट..

आइए देखते है मिलावट के रूप, आज की इस बदलती दुनिया मे,

देखो तो घनघोर मिलावट,
भईया चारो ओर मिलावट,
दूध मिलावट बात पुरानी,
बने मिलावट से अब पानी.

खेल रहा है खेल मिलावट,
शैम्पू,साबुन,तेल मिलावट,
बचा नही है,कुछ भी असली,
ऐसा छाया मेल मिलावट.

जल जीवन मे जवां मिलावट,
सांस संवारण हवा मिलावट,
घुट कर जीने के आलम में,
मरने तक की दवा मिलावट.

यहाँ,वहाँ हर जहाँ मिलावट,
मत पूछो की कहाँ मिलावट,
खूब बना जंजाल मिलावट,
आटा,चावल,दाल ,मिलावट.

रिश्तों मे भी प्यार मिलावट,
सुख के साथी यार मिलावट,
दुख मे साथ कुछ ही चलते हैं,
बाकी सब संसार मिलावट.

संसद मे भी बात मिलावट,
वादों के हालात मिलावट,
सत्ताधारी,निज हितकारी,
नेताओं की जात मिलावट.

दिन-दिन होती दून मिलावट,
यहाँ तलक अब खून मिलावट,
भूखे पेट ग़रीब जनों के,
आँखों मे शुकून मिलावट.

बोतल बंद शराब मिलावट,
है,सबसे आबाद मिलावट,
फिर सबको बेचैनी क्यों है,
बोलो जिंदाबाद मिलावट.



27 comments:

  1. वाह!
    बहुत बढ़िया. आपकी कविता में कोई मिलावट नहीं है. बिल्कुल प्योर. बहुत अच्छा लगा पढ़कर.

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  2. बहुत बढिया रचना है।अब तो मिलावट की इतनी आदत हो गई है कि यदि मिलावट ना हो तो लगने लगता है कुछ कमी रह गई है;)

    जल जीवन मे जवां मिलावट,
    सांस संवारण हवा मिलावट,
    घुट कर जीने के आलम में,
    मरने तक की दवा मिलावट

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  3. है, सबसे आबाद मिलावट, सत्‍यता बयां करती बहुत सुन्‍दर रचना बधाई ।

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  4. वाह रिश्तों मे भी प्यार मिलावट----
    संसद मे भी------
    जल जीवन मे भी----
    घुट कर जीने के आलम मे
    मरने तक की दवा मिलावट
    वाह विनोद जी आपका मिलावट पुराण तो बहुत लाजवाब है बाली जी ने सही कहा मिलावट शब्द मे भी मिलावट नज़र आ रही है|बहुत खूब बधाई

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  5. बहुत बढिया बिना मिलावट की रचना

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  6. अब तो मिलावट ही जीवन बन गई है .....जिन्दगी के हर एक क्षण मिलावट से भर गया है ......वस्तु और व्यक्ति क्या चीज है .....सही है मिलावट न होने पर सन्देह अव्श्य होता है कि सही चीज है या नही......इन अब चीजो के बावजूद आपकी लेखन क्षमता कमाल की है ...सोच गज़ब .....रचना लाज़वाब

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  7. hahaha...hohoho...milawat hi milawat....wah bhai....kya milawat chalisa hai ye....politicians ko to jaroor padhni chahiye......!!!

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  8. भले सजी हर राह मिलावट
    नहीं हमारी चाह मिलावट
    पढ़ कर इस कविता का सच
    नहीं मिला है भाव मिलावट !

    पक्की कविता ।

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  9. हमें खबर ही नहीं थी कि बनारस का इतना खूबसूरत बे-मिलावटी कृतित्व का ब्लॉगर भी है यहाँ इस ब्लॉग-जगत में ।
    कविता का आभार । पहुँच जबरदस्त है इस कविता की ।

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  10. बहुत बढ़िया हर जगह मिलावट सटीक रचना बधाई पांडे जी

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  11. यही मिलावट ही लोगों को कितना फायदा पहुंचा रही है, लोग बाग़ जल्द ही आर्थिक तरक्की प्राप्त कर बड़े आदमी का दर्जा प्राप्त कर लेते हैं, कहीं फसते भी हैं तो पैसे के बल पर "मिलावटी" लोग काम बना ही देते हैं.
    वैसे भी अपने यंहा कहा भी गया है की एकला चले की मरे, मिल-जुल कर चले तो मज़बूत. यही मिलना-जुलना ही तो मिलावट का असली रूप है, ताकत और समृद्धि की असली निशानी.

    बधाई है सुन्दर सुरीले गीत पर.

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  12. लाजवाब रचना है विनोद जी........... मिलावट के इस दौर में सब कुछ मिलवत वाला ही है............ खोऊब करार तमाचा है अगर कोई समझे तो...........

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  13. बहुत सही है. बहुत बढ़िया ...शुद्ध रचना. पढ़ कर मज़ा आ गया.

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  14. वाह्! बहुत बढिया!!!
    बिल्कुल सही कह रहे हैं!!!!

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  15. जिन्दाबाद मिलावट...बहुत खूब!!अच्छा लगा पढ़कर.

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  16. एक वट जो मिला है
    वो सुरेश शर्मा के
    ब्‍लॉग पर कार्टून रूप में सजा है
    नोकीला किला है
    पर वो भी मिलावट से
    नहीं बचा है
    मिलावट का खतरा नहीं है
    न हो मिलावट तो
    पूरा खतरा है

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  17. अच्छी रचना. आपने दिल के दर्द को ज़बान दी है

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  18. बिल्कुल सच्ची कविता। बधाई।

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  19. Ab to Milk bhi milavati hai..fir bhi pina padta hai.



    पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!

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  20. अत्यन्त सुंदर और शानदार रचना लिखा है आपने! मुझे बहुत पसंद आया!

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  21. ज़हेरका इम्तेहान.....
    बुज़ुर्गोने कहा, ज़हरका,
    इम्तेहान मत लीजे,
    हम क्या करें, गर,
    अमृतके नामसे हमें
    कोई ज़हर दीजे !
    अब तो सुनतें हैं,
    पानीभी बूँदभर चखिए,
    गर जियें तो और पीजे !
    हैरत तो ये है,मौत चाही,
    ज़हर पीके, नही मिली,
    ज़हर में भी मिलावट मिले
    तो बतायें, अब क्या कीजे?
    तो सुना, मरना हैही,
    तो बूँदभर अमृत पीजे,
    जीना चाहो तभी ज़हर पीजे!

    ( shama kee rachnaa hai ye)

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  22. प्रेम से बोला हमने
    मिलावट जिंदाबाद

    http://som-ras.blogspot.com

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  23. Uncle ji, koi nai poem likhiye na ab.

    पाखी की दुनिया में देखें-मेरी बोटिंग-ट्रिप

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  24. sir ,

    aapne bilkul sahi kaha hai ...har cheej me milawat hai , lekin aapki kavita pure hai ji .. badhai

    aabhar

    vijay

    pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com

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  25. Ab to har taraf milawat hai. Products chhodiye manviy charitra men milavat hai...lajwab kavita ke liye badhai.Kabhi Dakiya babu ke yahan bhi tashrif laiye na !!

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