मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने

चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ

Friday, September 5, 2025

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  टीचर्स डे पर गुरूजी को समर्पित एक कविता साढ़े नौ का घंटा बजते कक्षा में घुस जाते थे चश्मा टिका नाक पर अपने एक नजर दौड़ाते थे उनके पीछे ...
Friday, May 16, 2025

Vinod pandey ka geet

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  एक गीत ( कवि विनोद पांडेय द्वारा रचित) या तो साथ चलो मंजिल तक या पहले ही ना कह दो  कोई स्वप्न अधूरा लेकर के चलना स्वीकार नहीं है  बंधन मुझ...
Monday, July 1, 2024

मुक्तक

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मेरे पैरों में जो उभरे छाले हैं  उम्मीदों को हर पल खूब उछाले हैं  देते हैं बद्दुआ उम्र बढ़ जाती है   मैने कुछ ऐसे भी दुश्मन पाले हैं @विनोद ...
Sunday, October 1, 2023

अभी मैं किसी की नज़र में नहीं हूँ

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  कल रविवार शृंखला में अपना एक मुक्तक प्रस्तुत करना था l अति व्यस्तता में सम्भव नहीं हो पाया l  आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ ,पढ़ कर अप...
Wednesday, September 15, 2021

बचपन छूट गया - विनोद पाण्डेय

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मुक्तक - 5 एक पुराना सपना फिर आँखों में आया था तभी हवा ने रुख़ बदला वो सपना टूट गया ट्रेन बनारस से दिल्ली को जैसे ही छूटी लगा दोबारा मिलकर ज...
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परिचय

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विनोद कुमार पांडेय
बनारस->नोएडा, उत्तर प्रदेश, India
अभी तक कुछ खास नही, थोड़े शब्द,थोड़ी भावनाएँ और मुट्ठी भर अपने परिकल्पनाओ का सागर लेकर आप लोगो के सामने आया हुँ, अगर हम आपके तनिक भी काम आ सके तो समझूंगा की इंसान बनने की शुरुआत हो गयी. इस भीड़ भरी जिंदगी मे अगर हमारे चन्द बोल आपके मुस्कुराहट बन सके और कभी मानवीय भावनाओं का अहसास दिला पाए तो खुद को कुछ क़ाबिल मानूँगा .यही मकसद और एक उम्मीद की दीया लेकर चल पड़ा हुँ .मुझे नही पता की हमे कितनी कामयाबी मिलेगी अपने इस अभियान मे फिर भी एक ज़िद के साथ आपलोगो के सहयोग की अपेक्षा करता हुआ आगे बढ़ता रहूँगा ताकि कबीर की जन्मभूमि और तुलसी के कर्मभूमि मे जन्म लेना मेरा सार्थक सिद्ध हो जाए.
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