Tuesday, August 25, 2009

दोस्त

ईश्वर के अनमोल उपहार दोस्त और उसकी दोस्ती पर दो शब्द।

दोस्त,नेह का विशुद्ध उच्चारण है,
दोस्त,जीवन युद्ध जीतने का कारण है,

दोस्त,आँखों की चमक,उम्मीद की संरचना है,
दोस्त,ख्वाब एवम् ख़यालों की सुंदर अभिव्यंजना है।

दोस्त,स्वार्थ से हीन गुणवान शिक्षक है,
दोस्त,मानव का सर्वश्रेष्ट समीक्षक है,

दोस्त,भावनाओं से उमड़ता प्यार का सागर है,
दोस्त,जिसका बलिदान विश्व मे उजागर है।

दोस्त,मोहक सपनो का सजीव एहसास है,
दोस्त,व्याकुल नयनों की अटूट आस है,

दोस्त,साहस है,शक्ति है,सहारा है,
दोस्त,अंधेरी रात का चमकता सितारा है.

21 comments:

  1. दोस्‍त मोहक सपनों का सजीव एहसास है, वाह बहुत खूब दोस्‍त के बारे में इतनी सजीव रचना बहुत-बहुत बधाई ।

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  2. दोस्ती पर बेहतरीन कविता.

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  3. प्रिय विनोद जी,

    दोस्त,साहस है,शक्ति है,सहारा है,
    दोस्त,अंधेरी रात का चमकता सितारा है

    दोस्त होने के सभी गुणों को अपने में समेटें रचना प्रभावी है, दोस्ती के जज्बें पर श्रेष्ठ रचना।

    लिखते रहिये, बुलंदियों को हांसिल कीजिये।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  4. दोस्त,स्वार्थ से हीन गुणवान शिक्षक है,
    दोस्त,मानव का सर्वश्रेष्ट समीक्षक है,

    अच्छी विवेचना है,
    मगर ऐसा दोस्त मिले भी तो।

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  5. विनोद जी आपने बहुत ही सजीव व सटीक दोस्ती के भाव व्यक़्त किए है, जो दोस्ती की लाइन अपने लिखी है उनमे कृशन-सुदामा जैसी पवित्र व निस्वार्थ भाव की दोस्ती की झलक आती है! अति
    सुंदर रचना है. आप बहुत ही उत्तम कविता लिखते है, मया सरस्वति आपको हमेशा ऐसी ही कविता लिखने की प्रेएना देती रहे.

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  6. हर रिश्तेकी बुनियाद दोस्ती हो तो कितना अच्छा हो ..ये होना एक सपना -सा लगता है ...

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  7. दोस्त साहस है शक्ति है सहारा है
    दोस्त रात का चमकता हुया सितारा है
    बहुत सुन्दर कविता है सच मे सच्चा दोस्त जीवन का आधार होता है बहुत बडिया रचना बहुत बहुत बधाई

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  8. क्या कहे आपकी रचनाओ का संसार एक अलग दुनिया मे ले जाता है जिसमे विस्तार है और प्रकाश दोनो ही देखने को मिलता है .....और आपकी रचनाओ से बहुत कुछ एहसास मिलते है.....सुन्दर ऐसे ही लिखते रहे

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  9. Padosi, Rishtedaar, Maan-Baap sab Eeshwar ki marji se milte hain, par dost hamari marji semilte hain.
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  10. दोस्त की इतनी सारी परिभाषाए। बहुत खूब।

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  11. .
    .
    .
    अति सुन्दर...मेरे दोस्त,

    दोस्त है वह सब कुछ,जो मैं नही् हूँ,

    नहीं कभी कहता कि'मैं ही सही हूँ'।

    मुझे मेरी पूर्णता में करता है स्वीकार,

    दोसत के बगैर मैं कुछ भी नहीं हूँ ।

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  12. दोस्त सचमुच ऐसे ही होते हैं..गर सच्चे हों तो..!!

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  13. दोस्ती पर आपने बड़ा ही सुंदर कविता लिखा है! बहुत अच्छा लगा! दोस्ती हो तो ऐसी और एक सच्चा दोस्त मिलना बहुत कठिन है! दोस्त वही होता है जो हमारे मुश्किल घड़ी में साथ रहता है न ही सिर्फ़ खुशियों में शामिल होता है! आपने एक एक शब्द दिल कि गहराई से लिखा है! इस बेहतरीन कविता के लिए बधाई!

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  14. dost ko paribhaishit karti hui apki rachna bahut achchhi lagi.man ko bha gayi.badhai!!

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  15. दोस्त,नेह का विशुद्ध उच्चारण है,
    दोस्त,जीवन युद्ध जीतने का कारण है,

    दोस्त,आँखों की चमक,उम्मीद की संरचना है,
    दोस्त,ख्वाब एवम् ख़यालों की सुंदर अभिव्यंजना है।
    अति सुन्दर अभिव्यक्ति,बधाई

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  16. बहुत सुन्दर रचना.

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  17. पद्य में भावों को तुकांत करने के प्रयत्न मे गद्य के अनेक शब्द आ गये है जो रचना के प्रवाह में खटकते है अन्यथा रचना ठीक है ।

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  18. 'दोस्त,साहस है,शक्ति है,सहारा है,'

    - ऐसे सच्चे दोस्त सभी को मिलें.

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