Thursday, September 3, 2009

द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.

शिक्षक दिवस की सभी को हार्दिक बधाई..आज के परिवर्तन और बदलते माहौल में शिष्य और गुरु के रिश्ते भी बदल रहें हैं, तो आइए थोड़ा देखते है की क्या क्या बदल रहा है तब और अब में,जब कभी द्रोणाचार्य जैसे महान गुरु और एकलव्य जैसे महान शिष्य हुआ करते थे.आज इस माहौल को देखते तो सच मेंउन महान आत्मा को बहुत कष्ट होता. वैसे इस कविता में सारे विचार मेरे व्यक्तिगत है तो मैं प्रार्थना करता हूँ की कोई बंधु जन इसे इसे किसी प्रकार का मानवीय भावनाओं पर प्रहार ना समझे..यह बस कुछ सीमित लोगों पर लागू होता है.

हुए नदारद प्रेम समर्पण,बदलें गुरु शिष्य के नाते,
द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.

शिक्षक दिवस बधाई है,

वह पद,जहाँ कमाई है,

शिक्षक गर चाहे तो कर ले,

लूट पाट कर जेबें भर ले,

गुरू कभी थे, गुरू घंटाल,

आज हुए है,मालामाल,

किधर पढ़ाते हैं,मत पूछो,नकल करा के पास कराते,

द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.


शिक्षा,शिक्षक सब में झोल,

जैसे ढोल के अंदर पोल,

सम्मिलित व्यवहार मे है,

शिक्षा अब बाजार मे है,

लोग लगाते दाम यहीं,

कुछ लोगों का काम यही,

विद्या अर्थ विस्मरण करके,विद्या से बस अर्थ कमाते,
द्रोणाचार्य अगर होते तो, इसे देखते ही मर जाते.

गुरु शिष्य का प्रेम,समर्पण,

ख़त्म हुआ अब वो आकर्षण,

परिवर्तन का चढ़ा असर,

शिष्य बनाया गुरु पर डर,

क्षीण हुए गुरु के अधिकार,

आख़िर हो कर गुरु लाचार,

रख कर के बंदूक जेब में,क्लास मे लेक्चर लेने जाते,
द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.


नवयुग की इस बेला में,

रेलम,ठेलम-ठेला में,

भाग रहे हैं इधर उधर,

कहाँ गुरु और शिष्य किधर,

कौन करे अंगुली का दान,

एकलव्य सा कौन महान,

आज गुरु की कॉलर पकड़े,शिष्य बहादुर हैं गरियाते,
द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.

20 comments:

  1. शिक्षक दिवस की सभी को हार्दिक बधाई..आज के परिवर्तन और बदलते माहौल में शिष्य और गुरु के रिश्ते भी बदल रहें हैं,

    आपकी चिन्ता वाजिब है।

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  2. आज कोई भी क्षेत्र सम्‍मानित नहीं रह गया है .. हर जगह भ्रष्‍टाचार .. सबको खुद के आगे बढने की चिंता .. पैसे के सिवा और किसी का कोई महत्‍व नहीं .. जाने कब ठीक होगा ये सब !!

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  3. बहुत ही सुन्‍दर सत्‍यता के बेहद निकट यह रचना प्रस्‍तुत करने के लिये आभार.

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  4. एक सुंदर रचना... मुझे उम्मीद है ये कटाक्ष उन तक ज़रूर पहुँचेगा जो अब गुरू-शिष्य कहलाने के लायक नहीं हैं।

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  5. ऐसा लगता है की आज के दौर में सिर्फ एक ही क्षेत्र सम्मानित रह गया है और वह है "पैसे वालों का".
    आज हर किसी की दौड़ येन-केन प्रकारेण इस सम्मानित क्षत्र में अपना नाम लिखाने की है.
    अच्चा ही हुआ की आज के दौर में न गुरु द्रोण हैं, न राष्ट्रपिता गाँधी,
    हम अभागों को छोड़ गए पतन की यह परिस्थितियां देखने के लिय.

    बाजिब बात के लिए आपका चिंता और रचना पूर्णतः बाजिब है.
    हार्दिक आभार.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  6. शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई...........यह बात सोलह आन्ने सच है कि हर एक क्षेत्र सम्मानित नही बचा है ......बिल्कुल सच कहा आपने.......बधाई

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  7. शिक्षक दिवस की सभी को हार्दिक बधाई, आज हम हर क्षेत्र मै गिर रहे है.... हमे पैसा दिवस भी तो मनाना चाहिये, फ़िर रिशवत दिवस, घटोला दिवस. यानि फ़िर मोजा ही मोजा

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  8. कौन किसको दिखा रहा अंगूठा

    रिश्‍ता अब सबसे बना अनूठा


    इसलिए अब नहीं हैं वे

    क्‍या पता होते तो वे

    इसी माहौल में रम जाते

    बैठते साथ साथ सब

    रम पीते और पिलाते

    http://www.moltol.in/index.php/20080518434/Khash-Feature/Profit-in-business-of-teaching.html इसका भी अवलोकन कर सकते हैं।

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  9. वैसे द्रोणाचार्य पहले गुरु थे जिन्होंने अपना मतलब सिद्ध करने के लिये अपनी विद्या का उपयोग किया।

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  10. याद आ गया वो एक दिन जब मैंने ,5 saptember को मेरी दो प्राध्यापिकाओं पे Indian Express में लिखा था ...उनमेसे आज एक नहीं रहीं ...वो paper cutting मैंने उनके पती को भेंट की ... चंद ही रोज़ बाद वो भी चल बसे ..अच्छा हुआ ,कि , कमसे कम समय रहते उनके हाथ वो article लग गया ..
    आज शायद माहौल बदला है ..लेकिन , जो शिक्षक , अपने विषयमे माहिर और वर्तन में सच्चे होते हैं एक गरिमा रखते हैं , उनका आदर हमेशा होता है ..

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  11. शिक्षा हो या कोई अन्य क्षेत्र मूल्यों का ह्रास हुआ है और इसके लिए हमारा पूरा समाज जिससे छात्र, शिक्षक और अभिभावक आते हैं बराबर का जिम्मेवार है।

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  12. आज के दौर मे सब कुछ बदल गया है। लगता है इस दिवस पर बधाई का भी कोई औचित्य नहीं रह गया है बस एक प्रथा की तरह हम बधाई कह रहे हैं बहुत बडिया रचना है आभार्

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  13. शिक्षक दिवस बधाई है,वह पद,जहाँ कमाई है,शिक्षक गर चाहे तो कर ले,लूट पाट कर जेबें भर ले,गुरू कभी थे, गुरू घंटाल,आज हुए है,मालामाल,किधर पढ़ाते हैं,मत पूछो,नकल करा के पास कराते,द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.


    arey bhai........kya likha hai.......? dil ko chhoo gaya......

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  14. शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ ! बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने! हकीकत को बड़े सुंदर रूप से आपने प्रस्तुत किया है !

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  15. VINOD JI ....... AAJ KE SAMAY MEIN LIKHI LAJAWAAB RACHNA ..... HAR RISTA SAMAY KE ANUSAAR BADALTA RAHTA HAI AUR GURU SHISY KA RISHTA BHI AAJ BADAL KAR "TEACHER AND STUDENT" KA RAH GAYA HAI ......

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