
समस्त ब्लॉगर्स,कवियों और कहानीकारों को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.. दीवाली के शुभ अवसर पर आज हरिभूमि के दिल्ली संस्करण में मेरा लिखा व्यंग" चाँद पानी पानी क्यों हुआ?" प्रकाशित हुआ है..आप सब देखें और और अपना बहुमूल्य आशीर्वाद दें. इस उपलब्धि के लिए मैं आप सभी का बहुत बहुत आभारी हूँ जिनके आशीर्वाद और टिप्पणियों ने मुझे आत्मविश्वास दिया और मैं निरंतर लिखता गया. साथ ही साथ मैं अविनाश वाचस्पति जी का विशेष रूप से आभार व्यक्त करना चाहूँगा जिन्होने इस हास्य कवि को अपने मार्गदर्शन से एक व्यंगकार बना दिया..
चित्र के उपर क्लिक करें और व्यंग का आनंद उठाएँ.
प्रकाशन पर बधाई
ReplyDeleteरोशनी के पर्व दीपावली पर आपको व् आपके परिजनों को हार्दिक शुभकामनाये . आपका भविष्य उज्वल प्रकाशमय हो ..
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ReplyDeleteव्यंग्य प्रकाशित होने पर बहुत-बहुत बधाई ...
ReplyDeleteदिपावली की अलग से बधाई...
भैयादूज की एक और बधाई...
अपनी तो दुआ है उस रब्ब से...उस मौला...उस परवदिगार से कि आप निरंतर नई ऊँचाईयों को चूमें और हम हर बार आपको बधाई देने दौड़े चले आएँ
Bhai vaah...
ReplyDeleteachha lagaa padh ke, umdaa vyangy..
badhaai!!
sang me diwali kee bhee shubhkamnayen..
मैंने कुछ नहीं किया है
ReplyDeleteचांद को बतला दो उसको
पानी पानी करने में
उसमें पानी भरने में
या ढूंढने में कोई
दोष मेरा नहीं है
विनोद तो विनोद कर रहा है
नाम विनोद है इसलिए व्यंग्य कर रहा है
भला कभी किसी को व्यंग्यकार बनाया जा सकता है
मैंने तो सिर्फ विनोद को एक दिन कार पर चढ़ाया था
मुझे नहीं मालूम था कि यह बनेगा ऐसा व्यंग्यकार
कि पहले व्यंग्य से ही पहुंच जाएगा चांद के पार।
आपके लिए तो दुगुणी खुशी का दिन है ये .. दोहरी बधाई स्वीकारें .. अपने लेखन से निरंतर नाम यश कमाते रहें .. हमारी शुभकामनाएं आपके साथ रहेंगी !!
ReplyDeleteब्यंग्य करते करते या लिखते पढ्ते स्वंय कब आदमी ब्यंग्य का पात्र बन जाता है पता ही नही चलता हमेसा सवधान रहना, वैसे लिखा बहुत सटीक और बढिया है
ReplyDeleteबधाई हो
दीपावली की शुभकामना
बधाई हि विनोद जी । दीप पर्व पर शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई प्रकाशन के लिये
ReplyDeleteदिवाली मंगलमय हो
साल की सबसे अंधेरी रात में
ReplyDeleteदीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी
कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
झटकें सभी तकरार ज्यों आयी-गयी
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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ReplyDeleteआप को बधाई और दीपावली की शुभकामनाएं !!
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- सुलभ सतरंगी (यादों का इंद्रजाल)
बधाई विनोद जी .............
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ...............
दीपावली की शुभकामनाएँ ....aur badhai
ReplyDeleteधरती पर इंसानों की गिरी हुई करतूते देख चाँद पानी पानी हो गया .......बहुत खूब.....!!
ReplyDeleteबहुत रोचक अंदाज़ में लिखा गया है. अब हम चन्द्रमा पर पहुँच गये हैं तो उसे पानी-पानी होना ही था. दीपावली, गोवर्धन, अन्नकूट, चित्रगुप्त पूजन तथा भैया दूज पर शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteइसुअच्छे व्यंग को देर से पढ पाई मगर पढ ही लिया आभार बहुत अच्छा लगा शुभकामनायें
ReplyDeleteचाँद भी पानी-पानी क्या हुआ, इन करतूतों से तो हम भी शर्म सार है
ReplyDeleteव्यंग ज़बरदस्त है..........ठहाकेदार है.......पर उस समझदार को शर्मसार भी कर जाता है, जिसने इन्सान को कभी ऐसा बनाते देखने की कल्पना न की होगी..
रचना के प्रकाशन की बधाई स्वीकार करें, अब मुंह मीठा क्या कराएं, दीपावली के चलते तो वैसे ही मुँह मीठा-मीठा ही होगा.....
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
व्यंग्य प्रकाशित होने पर यही कहेंगे आप यूं ही निरंतर नित नई ऊंचाईयों को छुयें और हमें बधाई देने का अवसर मिले शुभकामनाओं के साथ ‘सदा’
ReplyDeleteभाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई प्रकाशन के लिए ! आप बहुत बढ़िया लिखते हैं और मुझे बेहद खुशी हुई की आपका लेख प्रकाशित हुआ है! लिखते रहिये!