Wednesday, December 23, 2009

अपने ही समाज के बीच से निकलती हुई दो-दो लाइनों की कुछ फुलझड़ियाँ-1

पल्स पोलियो की तरह,खूब चला अभियान,

घर घर चन्दा माँगने, चल देते श्रीमान,


मंदिर के निर्माण में,लगा दिए जी-जान,

त्याग के गुलछर्रे देखो,वो माँग रहे हैं दान,


भारत की भावी पीढ़ी,खुद से है अंजान,

चौराहे पर हा-हा,ही-ही, यही बनी पहचान,


घर में बीवी लतियाए,बाहर है झूठी शान,

चूरन बेच रहे बाबू जी,लड़का हुआ प्रधान,


देख के भक्तों की भक्ति,हैरत में भगवान,

नज़रें मूर्ति पर है लेकिन,जूता पर है ध्यान,


पैसे के आगे नतमस्तक,पर्वत सा ईमान,

भौतिकता के युग में प्यारे, ठेले पर इंसान,


24 comments:

  1. खर एक पँक्ति साक्षाताज के समाज का आईना है बहुत सुन्दर कविता बधाई

    ReplyDelete
  2. नज़रें मूर्ति पर है लेकिन,जूता पर है ध्यान,
    सही ही तो है जूते खो गये तो ---

    बेहतरीन आईना दिखाया है आपने

    ReplyDelete
  3. व्यंग और बेहतरीन शब्दों के साथ... सुंदर रचना....

    ReplyDelete
  4. भारत की भावी पीढ़ी,खुद से है अंजान,
    चौराहे पर हा-हा,ही-ही,यही बनी पहचान,

    सुन्दर कविता बधाई...

    ReplyDelete
  5. भाई ये तो फ़ुलझड़ियां नही
    सर्चलाईट है। आभार

    ReplyDelete
  6. बिल्‍कुल सही लिखा है !!

    ReplyDelete
  7. देख के भक्तों की भक्ति,हैरत में भगवान,

    नज़रें मूर्ति पर है लेकिन,जूता पर है ध्यान,
    बहुत सुंदर जी मस्त है ओर सच है.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  8. वाह..वाह.. विनोद जी!
    विनोद-विनोद में
    बहुत ही गूढ़ बातें कह दी अपने तो!

    ReplyDelete
  9. चूरन बेच रहे बाबू जी
    लड़का हुआ प्रधान !
    बहुत खूब पाण्डेय साहब और जन्मदिन की मंगलमय शुभकामनाये !

    ReplyDelete
  10. वाह बिनोदजी खरी सच्चाई बयान की है !!!

    ReplyDelete
  11. यही है आपकी कविता की शान
    ब्लागिंग का बढ़ाया आपने मान...

    जन्मदिन की एक बार फिर बधाई...
    जय हिंद...

    ReplyDelete
  12. देख के भक्तों की भक्ति,हैरत में भगवान,
    नज़रें मूर्ति पर है लेकिन,जूता पर है ध्यान,

    सही सच्चाई ब्यान की ही भाई।
    जन्मदिन की ढेरों बधाईयाँ।

    ReplyDelete
  13. समाज को आईना दिखाती फ़ुलझड़ियां
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  14. वाह विनोद जी ......... आज बहुत तेज़ है आपने व्यंग की धार ....... बहुत कमाल के शेर लिखे हैं .... सार्थक और सत्य ...... वर्तमान का आईना है यह ग़ज़ल ............

    ReplyDelete
  15. इन पंक्तियों के लिये बधाई! भविष्य में और अधिक ताज़गी वाले विषयों पर दुइ लाइना की उम्मीद

    ReplyDelete
  16. बेहतरीन भाई.


    जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद एवं शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  17. आप तो दोहे में सामने से आइना दिखा रहे हैं.

    रचना प्रभावशाली है.

    ReplyDelete
  18. सुन्दर, सामयिक, सटीक!

    ReplyDelete
  19. विनोद जी
    नज़रें मूर्ति पर है लेकिन,जूता पर है ध्यान,
    भाई वाह
    इशारों इशारों में बहुत बड़ी बात कह गए आप...................!

    ReplyDelete
  20. फुलझडियों के माध्यम आपने सच्चाई कह दी, बहुत अच्छी रचना !!

    ReplyDelete
  21. चंदे का सच
    भक्तों की भक्ति
    भटकती युवा पीढ़ी
    सभी पर कटाक्ष करने का अच्छा प्रयास है।

    ReplyDelete
  22. नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाये.

    ReplyDelete