नोट गिने प्रसन्न हो गये
चिरकुट थे, संपन्न हो गये
बारह लाख लिए शादी में
दुलहिन देखें सन्न हो गये
माथा पकड़ लिए पगला कर
अलग दृश्य उत्पन्न हो गये
देख तमाशा लड़की वाले
लाठी लेकर ठन्न हो गये
ताऊ,चाचा,मौसा,मामा
भँवरा जैसे भन्न हो गये
उधर बराती अलग मौज में
खा-पी कर सब टन्न हो गये
waah mazedaar..hans hans ke lot pot ho gaye
ReplyDeleteरोचक और विचारणीय प्रस्तुती /
ReplyDeleteBahut khoob vinod ji, Inke liye to Dahej hee dulhan hain.
ReplyDeleteकिस बारात का जिक्र कर रहे हैं, ऐसे बारात में तो मैं अक्सर जाता रहता हूँ
ReplyDeleteहा हा हा हा हा... मज़ा गया इस ग़ज़ल में....
ReplyDeleteऔर कैसे हो?
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:) मजे दार जी
ReplyDeleteहाहाहाहा भाई मजा आ गया है पढ़कर ।
ReplyDeleteहा हा हा ! जैसी करनी , वैसी भरनी ।
ReplyDeleteये हास्य ग़ज़ल तो बढ़िया है...पर दुल्हन देख सन्न क्यों हुए?
ReplyDeleteHa,ha..maza aa gaya!
ReplyDeleteachhi hazal hai saab....
ReplyDeleteरोकच प्रस्तुति...आनंद आया पढ़कर ..
ReplyDeleteचिरकुट ऐसे ही संपन्न होने चाहिए ...:):)
ReplyDeleteचिरकुट थे??????वाह..आनंद आ गया .
ReplyDeleteधर बराती अलग मौज में
ReplyDeleteखा-पी कर सब टन्न हो गये ..
वाह .. कमाल का हास्य लिए ग़ज़ल है विनोद जी .. पूरे वजन में ... बारात की दास्तान जोरदार है बहुत ...
मजा आ गया.. मजा आ गया।
ReplyDeleteबहुते मजेदार और यथार्थपरक ग़ज़ल जी...
ReplyDeleteबहुतै बढ़िया लिक्खेव भाई
ReplyDeleteब्लॉग पे हम उत्पन्न हो गए
लिक्खे तो बहुते बढ़िया हो भाई. सबसे बढ़िया इहै है कि सभै ताजातरीन है.
तूं लगत है हम लोगन के कान काटे के फेर में हौ.
achchhi hasya ghazal kahi. badhai bhateeje. lage raho aur naam raushan karo.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, रोचक और मज़ेदार लगा! बधाई!
ReplyDeleteनोट गिने प्रसन्न हो गये
ReplyDeleteचिरकुट थे, संपन्न हो गये
बारह लाख लिए शादी में
दुलहिन देखें सन्न हो गये
...वाह! दहेज के विरोध में युवा कलम से धारदार व्यंग्य पढ़कर बेहद खुशी हुई. ताऊ, चाचा, मामा सबको पढ़ाइए.
..बधाई.
हा हा हा
ReplyDeleteआपकी ग़ज़ल तो लाजवाब और दिलखुश है . लगे हाथ संगीता जी के सवाल का जवाब भी दे दूँ .(पर दुल्हन देख सन्न क्यों हुए?)
ReplyDeleteपहले के ज़माने में जब बिना लड़की देखे शादी होती थी तब एक लड़की की शादी हुई. शादी के बाद लड़की के "ताऊ,चाचा,मौसा,मामा" ख़ुशी में चिल्लाने लगे "जग जीत लियो मोरी कानी " उधर से लड़के वालों की आवाज़ आई " वर ठाढ़ होए तो जानी"
आभार
चिरकुट थे सम्पन्न हो गये....वाह वाह.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया :) दहेज लेने वालों के साथ ऐसा ही होना चाहिए ...
ReplyDeleteअच्छी हास्य रचना.... साधुवाद..
ReplyDeletemaza aa gaya Pandey saheb! pehli baar padha aapko..aana sarthak hua !
ReplyDeleteka babau, apne din ke yaad karat bara ka
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