Wednesday, May 19, 2010

बारह लाख लिए शादी में,दुलहिन देखें सन्न हो गये(एक हास्य ग़ज़ल)-----(विनोद कुमार पांडेय)

नोट गिने प्रसन्न हो गये
चिरकुट थे, संपन्न हो गये

बारह लाख लिए शादी में
दुलहिन देखें सन्न हो गये

माथा पकड़ लिए पगला कर
अलग दृश्य उत्पन्न हो गये

देख तमाशा लड़की वाले
लाठी लेकर ठन्न हो गये

ताऊ,चाचा,मौसा,मामा
भँवरा जैसे भन्न हो गये

उधर बराती अलग मौज में
खा-पी कर सब टन्न हो गये

28 comments:

  1. waah mazedaar..hans hans ke lot pot ho gaye

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  2. रोचक और विचारणीय प्रस्तुती /

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  3. किस बारात का जिक्र कर रहे हैं, ऐसे बारात में तो मैं अक्सर जाता रहता हूँ

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  4. हा हा हा हा हा... मज़ा गया इस ग़ज़ल में....

    और कैसे हो?

    --
    www.lekhnee.blogspot.com

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  5. हाहाहाहा भाई मजा आ गया है पढ़कर ।

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  6. हा हा हा ! जैसी करनी , वैसी भरनी ।

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  7. ये हास्य ग़ज़ल तो बढ़िया है...पर दुल्हन देख सन्न क्यों हुए?

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  8. रोकच प्रस्तुति...आनंद आया पढ़कर ..

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  9. चिरकुट ऐसे ही संपन्न होने चाहिए ...:):)

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  10. चिरकुट थे??????वाह..आनंद आ गया .

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  11. धर बराती अलग मौज में
    खा-पी कर सब टन्न हो गये ..

    वाह .. कमाल का हास्य लिए ग़ज़ल है विनोद जी .. पूरे वजन में ... बारात की दास्तान जोरदार है बहुत ...

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  12. मजा आ गया.. मजा आ गया।

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  13. बहुते मजेदार और यथार्थपरक ग़ज़ल जी...

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  14. बहुतै बढ़िया लिक्खेव भाई
    ब्लॉग पे हम उत्पन्न हो गए
    लिक्खे तो बहुते बढ़िया हो भाई. सबसे बढ़िया इहै है कि सभै ताजातरीन है.
    तूं लगत है हम लोगन के कान काटे के फेर में हौ.

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  15. achchhi hasya ghazal kahi. badhai bhateeje. lage raho aur naam raushan karo.

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  16. बहुत ही सुन्दर, रोचक और मज़ेदार लगा! बधाई!

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  17. नोट गिने प्रसन्न हो गये
    चिरकुट थे, संपन्न हो गये
    बारह लाख लिए शादी में
    दुलहिन देखें सन्न हो गये
    ...वाह! दहेज के विरोध में युवा कलम से धारदार व्यंग्य पढ़कर बेहद खुशी हुई. ताऊ, चाचा, मामा सबको पढ़ाइए.
    ..बधाई.

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  18. आपकी ग़ज़ल तो लाजवाब और दिलखुश है . लगे हाथ संगीता जी के सवाल का जवाब भी दे दूँ .(पर दुल्हन देख सन्न क्यों हुए?)
    पहले के ज़माने में जब बिना लड़की देखे शादी होती थी तब एक लड़की की शादी हुई. शादी के बाद लड़की के "ताऊ,चाचा,मौसा,मामा" ख़ुशी में चिल्लाने लगे "जग जीत लियो मोरी कानी " उधर से लड़के वालों की आवाज़ आई " वर ठाढ़ होए तो जानी"
    आभार

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  19. चिरकुट थे सम्पन्न हो गये....वाह वाह.

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  20. बहुत ही बढ़िया :) दहेज लेने वालों के साथ ऐसा ही होना चाहिए ...

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  21. अच्छी हास्य रचना.... साधुवाद..

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  22. maza aa gaya Pandey saheb! pehli baar padha aapko..aana sarthak hua !

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  23. ka babau, apne din ke yaad karat bara ka

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