नया साल है आने वाला, आओ मिलकर खुशी मनाएँ|
गीत प्रीत के तुम भी गाओ,गीत प्रीत के हम भी गाएँ||
चेहरे पर उत्साह नया हो, नये रंग में तुम इतराओ,
नई सुबह हो,नयी शाम हो,नये स्वप्न से नैन सजाओ,
नई उमंगे,नया हर्ष हो,जोश नया हो तन-मन में,
नये भाव का सृजन करो तुम,हृदय सरीखे उपवन में,
प्रेम के दीए जलाएँ दिल में,नफ़रत दिल से दूर हटाएँ|
गीत प्रीत के तुम भी गाओ,गीत प्रीत के हम भी गाएँ||
दिन आता है,दिन जाता है,जग की रीत पुरानी है,
रह जाती है बस यादें बाकी सब आनी जानी है,
दिवस,महीना,साल बीतता,नया वर्ष फिर आता है,
दिन का एक एक अनुभव हर बार हमें समझाता है,
धीरज रख कर अंतर्मन में,मेहनत करें,सफलता पाएँ|
गीत प्रीत के तुम भी गाओ,गीत प्रीत के हम भी गाएँ||
जीवन एक एक पल से बनता,हर पल में जीना सीखो,
अमृत,विष सब कुछ मिलते है,हँस कर के पीना सीखो
कोई सुखी है,कोई दुखी है,जीवन का अभिसार यहीं,
सब ईश्वर की मर्ज़ी इस पर,अपना कुछ अधिकार नहीं,
जिन्हे रुलाया है जीवन नें,चलो उन्हे हँसना सिखलाएँ|
गीत प्रीत के तुम भी गाओ,गीत प्रीत के हम भी गाएँ||
बहुत खूबसूरत गीत लिखा है ।
ReplyDeleteनव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें ।
अति सुंदर रचना जी, धन्यवाद
ReplyDeleteएकदम दुरूस्त. नेक विचार हैं भाई. आशावदी दृष्टीकोण स्वयं को तो प्रसन्न रखता ही है प्रसन्नता फैलाता भी है. सभी को ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteHi Vinod,
ReplyDeleteWell! Each time I read your poems, I am really amazed that person who works in my team and sits next to me is an ultimate poem-writer :)
sachmuch, behad sundar geet banaa hai, isee tarah likhate raho, naya varsh tumhara ho, yahi shubhkamana hai.
ReplyDeleteनववर्ष पर इस सुन्दर और प्रेरक गीत के लिये हार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteआपको भी नववर्ष की शुभकामनायें
प्रणाम
Well done Vinod!!
ReplyDeleteKeep up the good work
AtiSundar!
ReplyDeletePrerak geet.
चेहरे पर उत्साह नया हो...........
ReplyDeleteपूरी रचना बेहद खूबसूरत,बधाई.
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें ...........
बहुत सुन्दर ....नव वर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteOutstanding! Best wishes for many more literary successes, Vinod.
ReplyDelete~Varada
नए वर्ष पर शुभकामनायें विनोद !... !
ReplyDeleteसुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
ReplyDeleteयह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...
जय हिंद...
बहुत सुन्दर गीत। आपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDelete