Monday, March 7, 2011

कुछ मुक्तक १---(विनोद कुमार पांडेय)

काफ़ी दिनों के बाद इस बार एक नये प्रयोग के साथ आया हूँ|आप सबको मेरे गीत और ग़ज़ल पसंद आते रहे उसके लिए तहे दिल से धन्यवाद|आज पहली बार कुछ मुक्तक प्रस्तुत कर रहा हूँ,पसंद आए तो आशीर्वाद दीजिएगा|मुक्तक का विषय हमेशा की तरह मेरा पसंदीदा हास्य-व्यंग है|

1) बनते थे मेरे यार, आते नही नज़र
भूले सभी करार,आते नही नज़र
पहले तो रोज मिलते थे,होती थी हाल-चाल
जब से लिए उधार, आते नही नज़र

2) नफ़रत पनप रही है, अपनों की आड़ में
दुनिया लगी पड़ी है,अपने जुगाड़ में
कुछ ने बना लिया है,अब मूल-मंत्र ये
अपनी कटे मज़े में,सब जाएँ भाड़ में

3) गायब थे जो कल तक, वहीं मशहूर हो गये
धोखे-फरेब अब नये,दस्तूर हो गये
फैशन का भूत सबके, सर पर सवार है
बच्चें भी खिलौनों से बहुत दूर हो गये

15 comments:

  1. बहुत खूब ..............आपकी व्यंग्यात्मक शैली अच्छी लगी

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  2. बहुत खूब ..............आपकी व्यंग्यात्मक शैली अच्छी लगी

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  3. @बनते थे मेरे यार, आते नही नज़र
    भूले सभी करार,आते नही नज़र
    पहले तो रोज मिलते थे,होती थी हाल-चाल
    जब से लिए उधार, आते नही नज़र

    बहुत खूब ...

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  4. बढ़िया मुक्तक है । विशेषकर दूसरा और तीसरा ।

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  5. बहुत बढिया मुक्तकए लगे जी धन्यवाद

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  6. नफ़रत पनप रही है, अपनों की आड़ में
    दुनिया लगी पड़ी है,अपने जुगाड़ में
    कुछ ने बना लिया है,अब मूल-मंत्र ये
    अपनी कटे मज़े में,सब जाएँ भाड़ में

    विनोद जी नमस्कार ... आप तो हर विधा में अपना मूल मंत्र नही छोड़ते ... यही आपकी खूबी है ...
    यहाँ ही लाजवाब व्यंग है, सच्चाई है आज की जिसको ग़ज़ब पेश किया है आपने ...

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  7. नफ़रत पनप रही है, अपनों की आड़ में
    दुनिया लगी पड़ी है,अपने जुगाड़ में
    कुछ ने बना लिया है,अब मूल-मंत्र ये
    अपनी कटे मज़े में,सब जाएँ भाड़ में ...

    So true!

    .

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  8. अच्छे अर्थपूर्ण मुक्तक.... व्यंग का पुट अच्छा बन पड़ा है....खूब ..............

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  9. Wow... Mazaa aa gaya :)

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  10. खूबसूरत अभिव्यक्ति !
    शुभकामनायें !!

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  11. kya khoob likha hai sir.

    padhkar aananad aa gaya ..

    badhayi

    --------------

    मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
    आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
    """" इस कविता का लिंक है ::::
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
    विजय

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  12. vinod ji

    aapko pahli baar padha bahut acha laga aapke muktak bahut lajawab hain

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