गीत गाना छोड़ दूँ, ग़म को भुलाना छोड़ दूँ
मुस्कुराना छोड़ दूँ, हँसना-हँसाना छोड़ दूँ
हादसों के ख़ौफ़ से कुछ लोग घबराने लगे
क्या इसी डर से क़दम आगे बढ़ाना छोड़ दूँ
भीड़ आँखें मूँद भागी जा रही, तो साथियो
मैं किसी की राह में पलकें बिछाना छोड़ दूँ
रेत है चारों तरफ़, सूखे कुँए तालाब, तो
क्या इसी डर से नई फ़सलें उगाना छोड़ दूँ
एक भी आँसू तुम्हारी आँख में है जब तलक
क्यों तुम्हारे दर्द को अपना बनाना छोड़ दूँ
सोचता है जो अकेला रह गया, मैं क्या करूँ
मैं उसे तनहा समझ अपना बनाना छोड़ दूँ
हर खुशी मिलती नही इस जहाँ में आदमी को,
ReplyDeleteक्या करूँ फिर बोलिए जी,ये जमाना छोड़ दूँ?
सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं....
@चाहते है आप कि मैं मुस्कुराना छोड़ दूँ?
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना,आभार.
तब तलक लिखता रहूँगा,
ReplyDeleteजब तलक जी-जान है
जब यह मूलमंत्र है तो संशय क्यों?
सुन्दर गज़ल
antim sher ne gazal ko nai unchai de di hai. bahut sundar...
ReplyDeleteतब तलक लिखता रहूँगा,जब तलक जी-जान है
ReplyDeleteहो नही सकता मैं दुनिया को हँसाना छोड़ दूँ?
छोड़ना भी नहीं चाहिए ... अच्छी गज़ल
हर खुशी मिलती नही इस जहाँ में आदमी को,
ReplyDeleteक्या करूँ फिर बोलिए जी,ये जमाना छोड़ दूँ ...
सच है विनोद जी ... जो है उसको पा कर ही खुश होना चाहिए ... वरना सब कुछ तो सबको नही मिलता ...
"हर ख़ुशी मिलती नहीं इस जहाँ में आदमी को
ReplyDeleteक्या करूँ फिर बोलिए जी, ये ज़माना छोड़ दूँ ?"
...........................खूबसूरत शेर , उम्दा ग़ज़ल
................आशा और साहस ही जिंदगी को आगे बढ़ाते हैं
क्या हुआ , यह तो समझ नहीं आया
ReplyDeleteलेकिन फिर न कहना , लिखना छोड़ दूँ ।
सुन्दर रचना ।
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 17 - 05 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteतब तलक लिखता रहूँगा,जब तलक जी-जान है
ReplyDeleteहो नही सकता मैं दुनिया को हँसाना छोड़ दूँ?
वाह! बहुत खूब! शानदार रचना लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!
कोई कहे कहता रहे आप गुनगुनाते रहिये
ReplyDeleteअच्छी अच्छी ग़ज़लें सुनाते रहिये
har ashar ek se badhkar ek hai,
ReplyDeletedard saaf jhalak raha hai, aapki is gazal main!
bas likhte rahiye, hansate rahiye, yun hi sarthak sandesh dete rahiye,
bas maine jo samjha yahi kahunga...
"kuch to log kahenge, logo ka kam he kehna,
chhodo bekaar ki baton main kahi, beet na jaye raina"
shaandar , badhai kabule
सोच में जो लोग है की हम अकेले क्या करें,
ReplyDeleteहै यहाँ उनका कोई,उनको बताना छोड़ दूँ?
बहुत सुंदर पंक्तियाँ,
किसी के कंधे पर रखें हाथ और सहारा बन सकें, जीवन में इससे अधिक कुछ न चाहिए.
अच्छी सकारात्मक सोच....
ReplyDeleteहर खुशी मिलती नही इस जहाँ में आदमी को,
ReplyDeleteक्या करूँ फिर बोलिए जी,ये जमाना छोड़ दूँ
बहुत सुन्दर ....धन्यवाद..
achchhi panktiyan dridh vichar
ReplyDeleteToo good... God bless you!
ReplyDelete~Varada
बहुत सुन्दर विनोद. बहुत खूब कहा आपने.
ReplyDeletevery good, although i was not able to understand.
ReplyDeleteIt is giving me a feeling that you are getting maaried :-)