मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने

चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ

Wednesday, February 5, 2020

तुम डिग्री लेकर फुर्र हुईं, मैं 1st Year में डटा रहा | विनोद पांडेय की नई हास्य कविता 

विनोद कुमार पांडेय at 12:43 AM No comments:
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परिचय

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विनोद कुमार पांडेय
बनारस->नोएडा, उत्तर प्रदेश, India
अभी तक कुछ खास नही, थोड़े शब्द,थोड़ी भावनाएँ और मुट्ठी भर अपने परिकल्पनाओ का सागर लेकर आप लोगो के सामने आया हुँ, अगर हम आपके तनिक भी काम आ सके तो समझूंगा की इंसान बनने की शुरुआत हो गयी. इस भीड़ भरी जिंदगी मे अगर हमारे चन्द बोल आपके मुस्कुराहट बन सके और कभी मानवीय भावनाओं का अहसास दिला पाए तो खुद को कुछ क़ाबिल मानूँगा .यही मकसद और एक उम्मीद की दीया लेकर चल पड़ा हुँ .मुझे नही पता की हमे कितनी कामयाबी मिलेगी अपने इस अभियान मे फिर भी एक ज़िद के साथ आपलोगो के सहयोग की अपेक्षा करता हुआ आगे बढ़ता रहूँगा ताकि कबीर की जन्मभूमि और तुलसी के कर्मभूमि मे जन्म लेना मेरा सार्थक सिद्ध हो जाए.
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