चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ
बहुत सुंदर भाई पांडेय जी।
वाह ... मस्त है विनोद जी ...
बहुत सुंदर भाई पांडेय जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाई पांडेय जी।
ReplyDeleteवाह ... मस्त है विनोद जी ...
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