क्रिकेट के माहौल में कुछ क्रिकेट की बात ना हो ना मज़ा नही आता|आज इसी सन्दर्भ में एक हास्य व्यंग्य प्रस्तुत कर रहा हूँ|धन्यवाद|
क्रिकेट के जन्म के साथ से ही एक और बढ़िया शब्द चला आ रहा है और वो है फॉर्म|जी हाँ खिलाड़ी का फॉर्म में होना और न होना भी एक चर्चा का विषय होता है|जब जब किसी मैच की चर्चा होती है चयन समिति बस इसी विषयवस्तु पर नज़र रखने के लिए बनी होती है कि कौन सा खिलाड़ी फॉर्म में है और कौन आउट ऑफ फॉर्म चल रहा है|
अब यह फॉर्म भी बड़ी अजीब चीज़ है|अगर क्रिकेट नही होता तो कोई फॉर्म का मतलब भी ठीक से नही समझ पाता|मुझे तो आज तक फॉर्म का आना-जाना समझ में नही आया कि यह कब आता है और कब चला जाता है|जैसे किसी खिलाड़ी का फॉर्म नही जापान में भूकंप के झटके हो या भारत के गाँव की बिजली|मतलब कभी भी आती है और कभी भी चली जाती है|फॉर्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि फॉर्म किसी को भी हीरो बना सकता है और किसी को भी ज़ीरो|स्थिति ऐसी भी हो जाती है कि जब फॉर्म में रहते है तो आशीष नेहरा के गेंदों में भी धार हो जाती हैऔर आउट ऑफ फॉर्म होने पर सौरव गांगुली जैसे खिलाड़ी की भी वैल्यू ज़ीरो हो जाती है|
इससे भी इनकार नही किया जा सकता कि आई. पी. एल.-४ के लिए खरीदे गये खिलाड़ी भी फॉर्म के वजह से काफ़ी उँचे दाम पर बिके और जो नही बिके उनके पीछे भी उनका फॉर्म ही मुख्य कारण रहा|जिस वजह से जयसूर्या और लारा जैसे दिग्गजों को भी कोई खरीददार नही मिला|
फॉर्म के महिमा का जितना गुणगान गाया जाय कम है|अगर फॉर्म कोई ईश्वरीय स्वरूप होता तो सारे क्रिकेटर फॉर्म की रोज पूजा करते,अगरबत्ती जलाते और मन्नते भी करते कि हे फॉर्म देवता बस मेरे साथ रहना| और अगर फॉर्म कोई सरकारी अफ़सर होता तो इसी आने-जाने के मामले में घूस लेकर अरबपति हो जाता|मतलब आने के रेट भी तय हो जाते और यह भी तय हो जाता कि किस खिलाड़ी के साथ कितने मैच तक बने रहना है| पर शुक्र है फॉर्म ऐसा कुछ नही है बस एक स्थिति है जिसमें खिलाड़ी बढ़िया प्रदर्शन करता है|फॉर्म का महत्व बस खिलाड़ियों तक ही सीमित नही है बल्कि लोग भी अपने पसंदीदा क्रिकेटर के फॉर्म को लेकर उत्सुक रहते है| साथ ही साथ फॉर्म सट्टेबाज़ों के लिए भी बहुत महत्व रखता है|बल्कि यूँ कहे उनका धंधा ही खिलाड़ी के फॉर्म पे टिका रहता है|अब कोई पैसों के चक्कर में आकर जान-बूझ कर अपना फॉर्म खराब कर लें तो ये अलग बात है|
कुल मिला जुला कर हम यह कह सकते है कि क्रिकेट के शब्दावली में फॉर्म बहुत बड़ा नाम है|और इसे बनाए रखना एक खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ा काम है वरना खिलाड़ी बस नाम का ही रह जाता है|
7 comments:
इधर आप भी फॉर्म में हैं और हम भी।
बहुत सटीक व्यंग...
खूब लपेटा है विनोद जी इस फ़ार्म नामक क्रिकेटिया बिमारी को ....
आपका चिर परिचित व्यंग अंदाज़ अभी भी बरकार है ...
पहले जब दो आदमी कभी झगडते थे तो एक दुसरे को कह देते थे कि हम तेरी ओकात जानते हे,ओर यह शव्द बेइज्जत करने वाले होते थे, आज इन खिलाडियो की ओकात दुनिया जानती हे, ओर यह क्रिकेट तो हे ही गुलामो का खेल, ओर गुलामो की ओकात सब को पता होनी चाहिये, कल कोई दुसरा भी इन्हे खरीद सकता हे ना, इन की ओकात देख कर.
आप का लेख बहुत कुछ कह गया, बहुत अच्छा लगा धन्यवाद
बहुत सटीक-इशारा है ..
बहुत सटीक और सही कटाक्ष ...... बाजारीकरण के दौर में यक़ीनन खिलाडी भी बिना फॉर्म के किसी काम का नहीं..... प्रवाहमयी व्यंगात्मक विश्लेषण
achchha vyangy lekh ..
kahne ka andaz , shabd chayan aur pravah sarahniy ..
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