मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने
चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ
Saturday, July 29, 2017
टमाटर
खा रहें हैं जो टमाटर आजकल,
दायरे में टैक्स के वो आएँगे
पी रहे हैं जो टमाटर जूस उनके, घर पे छापे जल्द मारे जायेंगे
जिस कवि को बस लिफाफा ही मिला,वो बहुत हल्का कवि कहलायेगा
जिस कवि पर खूब बरसेगा टमाटर,
राष्ट्रीय कवि वो ही माना जायेगा
--विनोद पांडेय
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