Tuesday, April 14, 2009

कॉलेज का आख़िरी दिन

जिंदगी के सफ़र मे बहुत से यादगार लम्हे आते है,कुछ हमे छू कर निकल जाते है,और कुछ झकझोर कर,कुछ गुनगुनाने के बहाने दे जाते है और कुछ लफ़्ज पे खामोशी बन कर छा जाते है,पर एक बात जो सच है ,किसी लम्हो मे ठहराव नही होता वैसे भी हम ऐसे प्राणी है,जो ठहराव चाहते ही नही पल चाहे खुशी का हो या गम का. गम मे हमे खुशी का इंतज़ार रहता है और खुशी मे थोड़ी और खुशी का, फिर थोड़ी और ...........बस सब ऐसे ही चलता रहता है. फिर भी मंजिले सफ़र और आगे बढ़ने की जद्दोजहद के बीच से कुछ पल हम चुरा कर अपने खुशनूमा अतीत के अमूल्य धरोहर के रूप मे संजोए रखना चाहेंगे..और ऐसा ही एक पल है हमारे स्कूल और कॉलेज के दिन जहाँ हम थोड़े मस्ती और थोड़े ज़िम्मेदारियों के साथ हँसते खेलते अपने लक्ष्य के पथ पर बढ़ते रहते है..आज हम अपने कॉलेज का अंतिम दिन याद करते हुए वो सुनहरे पल अपने दोस्तों को फिर से समर्पित करने जा रहे ..दोस्तों अगर आपको पसंद आए तो यह मेरी एक बड़ी उपलब्धि होगी....  

अंतिम पेपर जैसे बीता,अपने कॉलेज के अंदर,
बिखरे सब यूँ इधर उधर कि,पिंजरे से छूटा बंदर,
कुछ के चेहरे गिरे हुए थे,कुछ की थी मुस्कान भरी,
कुछ थे हँसते जख्म लिए,और कुछ की आँखें डरी डरी. 

हर एक नज़र को हमने देखा,पर हम सबसे दूर थे
बात करे किससे क्या बोले, बेबस थे,मजबूर थे,
क्योंकि सब थे ख्वाब लिए,और कदम बढ़ाए जाते थे
जीवन एक सफ़र जैसा ,हम भी मन को समझाते थे.  

सबके दिल मे जो चलता था,हम भी सोच रहे थे वो,
एक बात इससे भी बढ़कर ,दिल मे चुभता रहता था जो, 
इतने दिन तक जुड़ा हुआ था,ऐसा कॉलेज से बंधन, 
आज डोर वह टूट चला,ये समझ नही पता था मन.  

जिनके साथ गुजरता था दिन,हर एक पल,एक छत के नीचे, 
लगे हुए दो दरवाजो से ,दस फुट के दीवार के पीछे, 
इतने दूर वो हो जाएँगे,कि बस याद रहेंगे नाम, 
जब सोचूँ इन बातों को तो,हो जाता है नींद हराम.  

नाम तो वैसे जुड़ा रहेगा,आने वाले जीवन मे, 
कभी कभी पर यही कसक,जब आएगी अपने मन मे, 
की वो पल कितने हँसीन थे, क्या वो लौट के आएँगे,
'नही' मिलेगा उत्तर, बस क्या फिर पछताएँगे.  

कैसे भुला दूं उन यादों को,बीते है जो कॉलेज मे ,
क्लास के अंदर की वो बातें,सब कुछ है जो नॉलेज मे, 
साथ लिए जो चाय की चुस्की,दिल को आज जलाती है, 
जितनी मस्ती काट चुके हैं,वो दिन भी तड़पाती हैं.  

चटकारे,तीखे किस्से अब,बहुत रुलाएगी सबको,
मीठे पल महसूस करे तो,याद करेगे सब रब को,
धड़कन रुक रुक साँसे लेगी,कुछ ऐसे भी बात उठेंगे, 
अच्छे लोग बिछड़ जाएँगे,जब सोचो तो दिल दहलेंगे. 

ये दिल फिर से याद करे, ये बीते दिन जब कभी कभी,
ऐसा ही एक पल मैं चाहूँ,मिलकर दे दो इन्हे अभी,
दूर हो रहे एक दूजे से,बात सही और सच्ची है, 
पर सबकी मंज़िल आगे,ये बात भी कितनी अच्छी है.  

अपने अपने मंज़िल ढूढो. चल दो उस पर पाने को, 
जल्दी ही उस पल को पा लो,लक्ष्य जहाँ है जाने को,
मित्र दिलों मे रहते हैं,वो सदा रहेंगे ऐसे ही, 
जितनी चाहे बातें कर लो, जब मन चाहे जैसे भी. 

जो बीता है अब तक इतना ,वो सब तो अभिन्न अंग है,
मीठी,खट्टी,तीखी बातें ,जीवन के तो कई रंग है, 
उन्ही रंग मे रंगते जाओ,जीवन का आनंद उठाओ, 
दूरी से ना दोस्त दूर हो,जिस पल ढूढो उस पल पाओ.

8 comments:

Ravindra Pal Singh said...

Really amazing...!!! what kind of feeling u have for our valuable moment of life..it is true that college days are too charming and fill of joy..and we should see off it in that way as describe in poem.... :)

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया लिखा ... किसे पसंद नहीं आएगी भला यह रचना ... बधाई।

परमजीत सिहँ बाली said...

विनोद जी,
बहुत बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।

Abhi said...

kya baat hai pandey ji ,app to achi rachna kerte hain ,aise hi agge bhi kerte rehein

Unknown said...

Awesome Buddy.....A true composition of that feeling....Kudos..to you...!!!

pooja said...

Really very good!!...After u start working u really miss college days....or apne bahut aache se darshaya haa un bhavo ko....or colg k dino ki yaad dila diya

Anonymous said...

really great.....

Unknown said...

While going down the memory lane..... these moments become memorable anecdotes that we all will like to share with one and all..
Beautifully Composed........Fantastically Expressed.....
Great Work!!!!!!!!!