Saturday, June 13, 2009

पिता,भगवान को धरा पर लाने का सार्थक प्रयास है.

पिछले महीने माँ की महिमा की सच्चाई बयान किया तो लोगो ने बहुत पसंद किया अगर और कोई है जो माँ के नेह बराबरी करता है तो वो है एक पिता का प्यार..आज मेरे कलम उसी ओर रुख़ कर रहे है,आप पसंद कीजिएगा.

पिता,पवित्र पावन ईश्वरीय आविष्कार है,

पिता,त्याग-तपस्या का मानवीय अवतार है.

संसारिक सुख-दुख की आंख-मिचौली में,

पिता,धैर्यशील जीवन का धारणीय विचार है.


पिता, खिलते बचपन का,उत्प्रेरक उपकरण है,

पिता,पुत्र की हर्षित काया का उल्लासित वरण है.

पथ प्रदर्शक, मुश्किलों को आसान बना दे जो,

पिता, प्रेरणा का असीम स्रोत, शोक का हरण है.


पिता, प्यार है, पिता छांव है, पिता दर्पण है,

पिता, के चरणों में समस्त खुशियां अर्पण हैं.

पिता, अमूल्य, विशेष और अलंकारित शब्द है,

पिता, एक संज्ञा ही नहीं, पिता एक समर्पण है.


पिता,भगवान को धरा पर लाने का सार्थक प्रयास है,

पिता,सफल,लक्ष्यपूर्ण,उत्साहित जीवन की अटूट आस है.

हमारे सदगुणों के निर्माणकर्ता के प्रतिनिधि स्वरूप,

पिता,अविस्मरणीय, कालजयी अपठित उपन्यास है.


पिता,दिशाहीन डगमगाते कदमों पर प्रथम आपत्ति है,

पिता,कर्तव्य,मर्यादा, अनुशासन की सुंदर अभिव्यक्ति है.

पिता, के कठोर शब्दों में भी मधुर सीख निहित है,

पिता, वास्तव में सब कोमल भावनाओं के सहित है.


पिता, अनायास प्रेम प्रदर्शन में मूक होता है,

पर पिता, अंतर्मन से अत्यंत भावुक होता है .

दर्द भी सहता है, कभी-कभी आँसू भी पीता है

जब कभी कोई बच्चा जीवन में कुछ खोता है.


जिसने सांसारिक संघर्षों से जूझने की कला सिखायी,

जिसके कंधे पर बैठ कर , मंदिर की घंटियां बजायीं,

जो मेले की भीड़ से गुब्बारे फूटने से बचा कर लाते हैं,

पिता, हमारी खुशी के लिए हाथी ,घोड़े भी बन जाते हैं.


पिता,जिनकी उंगली पकड़ कर हमने,रास्ते जाने,

वास्तविक जिंदगी के माने, समझे और पहचाने.

लम्बे सफ़र में, दो पल उन्हें भी अर्पित कर दो,

जिनकी बदौलत चलें हैं हम अपनी मंज़िल पाने


पितृ स्नेह जैसा कोई,मरहम नही हो सकता,

भावना का प्यार कभी, कम नहीं हो सकता.

सभी रिश्तों से परे है,ये बंधन अटूट प्यार का,

पिता,का अध्याय कभी,ख़तम नही हो सकता.


पिता की यादों के साथ बार-बार,

अपने बचपन में आवागमन करता हूं.

अपने ही नहीं विश्व के समस्त पिताओं को,

सिर झुका कर सादर नमन करता हूं.

25 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

आपकी कविता अच्‍छी है
जिसमें भावनायें सच्‍ची हैं
पर सच्‍चाई बदल रही है
पिता के कारनामे देखिए
करतूत बनकर आ रहे हैं
पुत्र/पुत्रियों को ही नहीं
खुद को भी शर्मसार
करते न लजा रहे हैं।

राजेश उत्‍साही said...

प्रिय विनोद भाई,
जैसा मैंने पहले भी कहा था । आपके विचार बहुत सुंदर हैं। पर इसमें भाषा की गलतियां हैं। आप फिर से एक बार पढें और देखें।

Unknown said...

bahut badiya dost.dil khush kar diya

डॉ. मनोज मिश्र said...

bahut sundr bhav liye hai aapke yh post .

Atul Verma said...

Kya baat hain pandey ji , dil khush ho gaya....

sandhyagupta said...

Atyant bhavpurna.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

आप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

भाव-भरी कविता.
बहुत सुन्दर।
बधाई।

Prem Farukhabadi said...

aapki kvita ki jitni tareef ki jay kam hai. likhne vaalon ko ek nai disha deti hai. dilse badhai.

निर्मला कपिला said...

मैने शायद ही कोई ऐसी रचना पिता के लिये पढी हो अद्भुत सुन्दर बहुत बहुत शुभकामनायें

cartoonist anurag said...

pita par aapne bahut hi sunder shbdon main rachna likhi hai.......BADHAI

प्रदीप मानोरिया said...

पित्र दिवस पर सुन्दरभावाभिव्यक्ति

धन्यवाद

Akanksha Yadav said...

आप लिख ही नहीं रहें हैं, सशक्त लिख रहे हैं. आपकी हर पोस्ट नए जज्बे के साथ पाठकों का स्वागत कर रही है...यही क्रम बनायें रखें...बधाई !!
___________________________________
"शब्द-शिखर" पर देखें- "सावन के बहाने कजरी के बोल"...और आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाएं !!

Vinay said...

पिता को समर्पित आपकी कविता बहुत सराहनीय है!

Randhir Singh Suman said...

nice

admin said...

पितृ महिमा को बहुत सुंदर ढंग से वर्णित किया है आपने। मैं आपकी लेखनी का नमन करता हूं।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

मुकेश कुमार तिवारी said...

विनोद जी,

पितृ दैवोभवः !

दिल को छू लेने वाली पोस्ट।

मुकेश कुमार तिवारी

Ashutosh said...

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

"हिन्दीकुंज"

दिगम्बर नासवा said...

दिल को छूने वाली रचना...........
पिता के प्यार को समर्पित पोस्ट

Udan Tashtari said...

वाह! अद्भुत!!

पिता को समर्पित ऐसी ही एक कालजयी रचना ओम व्यास जी की कभी हृदय से नहीं जाती:

http://pryas.wordpress.com/2008/01/20/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%A4%E0%A5%8B-%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF/


यह रचना उसी का विस्तार है
और हर उस व्यक्ति के लिए पूजा
जिसे अपने माँ बाप से प्यार है.

-बहुत बहुत बधाई.

cartoonist anurag said...

aaj aapkee rachna dobara fir padi....ek bar phir dil se badhai.....

प्रकाश गोविंद said...

मां पर तो अनगिनत कवितायें लिखी गयीं
किन्तु पिता पर बहुत कम लिखा गया !



बहुत भावपूर्ण कविता


आज की आवाज

KK Yadav said...

आपका ब्लॉग नित नई पोस्ट/ रचनाओं से सुवासित हो रहा है ..बधाई !!
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आयें मेरे "शब्द सृजन की ओर" भी और कुछ कहें भी....

Unknown said...

Papa the great....a good gift to all fathers on the occasion of father's day....love u papa...

gazalkbahane said...

लिल्लाह सभी युवाओं को यह सोच दे
श्याम सखा