दिल्ली में आज एक बार फिर कुछ ब्लॉगर्स मिलें,
कुछ ब्लॉगर्स,कुछ कवि,कुछ व्यंगकार हैं
पर एक बात सच्ची है,
सभी के सभी बहुत बड़े कलाकार हैं.
हमें भी एक दिन पहले से जानकारी थी,
तो हम भी पहुँच गये थे,
अब थोड़े डीटेल में आता हूँ,
और कौन कौन नामचीन थे,
ये भी बताता हूँ.
सबसे पहले शुरुआत करता हूँ,
ब्लॉगर्स,कवि,लाफ्टर चैम्पियन,और एक नेक दिल इंसान,
अलबेला खत्री जी के बारे में,
उनसे मिलने का बहुत दिनों से मन था,
और उन्ही से मिलने के लिए तो यह सम्मेलन था.
बड़ी खुशी हुई उन्हे अपनो के बीच देख कर,
जिन्हे हम टी. वी. पर देखा करते हैं,
मिलते ही हम तो फूले ही नही समाए,
तभी मिठाई का प्लेट अलबेला जी हमारे सामने लाए,
रास्ते की सारी थकान वहीं पर मिट गई,
प्लेट की सारी रसगुल्ली एक एक कर के निपट गई,
अब आप पूछेंगे और कौन थे,
तो हम बताएँगे,
कुछ और नाम सुझाएँगे,
जो बाई-डीफाल्ट हर सम्मेलन में मिल जाते हैं,
और जोरदार उपस्थिति से सम्मेलन को सफल बनाते हैं,
उनमें एक नाम है अविनाश वाचस्पति चाचा जी,
दूसरे हैं कनिष्क जी,खुशदीप सहगल जी और बागी काका जी,
पवन चंदन जी,प्रवीण शुक्ला जी,शशि शिंघॅल जी,
हमारी उपस्थिति का भी थोड़ा बहुत असर था,
और राजीव तनेजा जी और संजू भाभी जी का तो घर ही था.
कार्टूनिस्ट इरफ़ान जी भी हमारे बीच थे,
पर अजय झा जी और वर्मा जी हमारे बीच नही रहें,
हम दोनो की टाइमिंग सेट नही हुई,
शायद हम लेट पहुँचे थे,इसलिए भेट नही हुई,
अजय जी का मेट्रो स्टेशन से वापस लौटने का किस्सा था,
मगर सम्मेलन को सफल बनाने में उनका भी हिस्सा था
वर्मा जी हमारे आने से पहले ही जा चुके थे,
पर अपनी उपस्थिति पहले ही दर्ज करा चुके थे.
अब सम्मेलन के सबसे अहम पहलू पर आता हूँ,
अलबेला खत्री जी ने चर्चा की ब्लॉगिंग के भविष्य का,
सरकार को भी कुछ सोचना चाहिए कि कैसे,
और अधिक हिन्दी का विकास हो,
साथ ही साथ अच्छे ब्लॉगर्स का उत्साह भी बढ़ाने का प्रयास हो,
थोड़ी देर में अलबेला जी ने चर्चा रोक दी,
उन्होने एक कहा, हमने दो मजेदार कविताएँ झोंक दी,
फिर क्या बारी बारी से सब लग गये,
कविताएँ सुनाने में,गीत गाने में,
राजीव जी का व्यंग,बागी काका की दमदार कविताएँ,
और अविनाश जी की मुख्यमंत्री जी की चिट्ठी वाली व्यंग,
ने सब को खूब हंसाया था,
प्रवीण जी की कविता और खुशदीप जी के स्लॉग ओवर,
का जादू भी सम्मेलन पर छाया था.
अंत में अलबेला जी ने चंद बेहतरीन मुक्तक से दिल जीत लिए,
बड़ी ही रोचक और सार्थक चर्चा हुई,
खाने पीने पर भी बहुत खर्चा हुई,
हर मिनट पर खाने पीने का इंतज़ाम,
राजीव जी ने बहुत बढ़िया ढंग से किया था,
जिसमें संजू भाभी ने पूरा सहयोग दिया था,
चिप्स,नमकीन,बिस्किट,चाय,कोल्ड-ड्रिंक सब आया था,
पर हमने सारा ध्यान पकौड़े पर ही लगाया था,
वैसे हमीं ने ही नही सभी ने खूब जम कर खाया था,
अभी शाम तक सभी के पेट भारी हैं,
और सब संजू भाभी के बहुत ही आभारी हैं.
अब कविता बंद करता हूँ,
नही आप कहेंगे बहुत बकवास करता है,
एक छोटे से सम्मेलन को इतना खास करता है,
पर यह बहुत खास है,क्योंकि आने वाले कल में यहीं ब्लॉगिंग का इतिहास है.
हिन्दी और समस्त हिन्दी ब्लॉगर्स की जय!!!
22 comments:
अलबेला खत्री दिल्ली में
ब्लॉगरों ने बोल दिया हल्ला
ब्लॉगस्पॉट से जल्दी ही
बनाएंगे वेबसाइट डॉटकॉम
यह चर्चा हुई है आम
कितनी ही गर्मी है
पर नहीं मिल रहे हैं आम
इसलिए यह सम्मेलन
आम नहीं रहा
खास हो गया
जो नहीं पहुंच पाए
उनका मन उदास हो गया
पर न हों उदास
हंसा रहे हैं रिपोर्ट में
विनोद भतीजे निराला है अंदाज
भाई वाह आपका ब्लागर मिलन समारोह हमको बहुत भाया
पर एक बात ने हमको मायुस कराया
क्या हम इतने अनजान थे की
हमे भी ना बताया..
हम भी आपसे मिल लेते
तो आप सब का क्या चला जाता???
एक पकोडा खा कर थोडी
चाय पी लेते तो आपका क्या चला जाता??
एक कविता हम भी कह लेते तो..
हमारा दिल भी बाग बाग हो जाता
आप सब के फ्री में दर्शन हो जाते..
तो आप सब का क्या कुछ बिगड जाता??
Kaash ham bhi pahunch pate! Aankhon dekhe haal ne lalayit kar diya!
बहुत ही रोचक अंदाज़ में आपने पूरे घटनाक्रम का विवरण दिया है...बधाई
बहुत रोचक अन्दाज मे
आपने सब कुच बताया
मजबूरी थी क्या करूँ
मै जल्दी लौट आया.
आप लोगो से न मिल पाना
बहुत खला
मुझे तो लग रहा है मै तो
गया छला.
शानदार अभिव्यक्ति
आपने तो पूरा माहौल ही अनुभव करा दिया
बी एस पाबला
सारा दृश्य आंखों के सामने घूम गया .. बहुत सुंदर रिपोर्टिंग !!
कमबख्त पैर के दर्द ने थोड़ा देर से पहुंचाया,
लेकिन आप सबके साथ ने खूब हर्षाया,
आपने लिखा कुछ जो हर जगह मिल जाते है,
तो बिना आलू क्या समोसे बनाए जाते हैं,
चलो हम भी आज से आलू हो गये,
जब भी मिला न्योता, वहीं चालू हो गये...
जय हिंद...
ये भी एक अलग अंदाज रहा भाई ब्लॉगर मीट रिपोर्टिंग का. पसंद आया.
nice
आपने बहुत ही सुन्दरता से और शानदार रूप से ब्लोगर मीट की रिपोर्टिंग दी है जो बहुत बढ़िया लगा! एक अलग ही अंदाज़ में आपने विस्तारित रूप से लिखा है और इस उम्दा प्रस्तुती के लिए बधाई!
bilkul bakvaas nahi hai ye
bahut badhiya andaaz hai ye...
waah panday ji aap ne to saera drsy kavita ke roop me utaar diya bhut badhiya
saadar
praveen pathik
9971969084
jaankar khushi huyi
आपका पुराना अंदाज और रपट रचना के रूप में दोनों जोरदार हैं बधाई
ये नये कौन हैं जी
अविनाश वाचस्पति चाचा जी,
बागी काका जी,
बहुत बढियां.
विनोद जी ... आपकी ज़बानी इस मीट को जानने में बहुत ही आनंद आया ...
आपका अंदाज़ बहुत ही भाया ....
kash ham n huye
logon nebulaya hi nahi
hm kisse shikayat karen
andaze-bayaan khoob hai sir!
आज तो कुछ नए अंदाज़ में हैं , अच्छा लगा ! शुभकामनायें !
अलबेला जी के मुक्तक , खुशदीप जी के स्लाग ओवर ,,, अविनाश जी की चिट्ठी और भाभी जी के पकौड़े .....सब कुछ सुन खा लिया जी ......!!
लाजवाब प्रस्तुति .....!!
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