Saturday, August 14, 2010

आज़ाद भारत के आज के स्वरूप का एक सूक्ष्म विश्लेषण ..जय-जय हिन्दुस्तान------(विनोद कुमार पांडेय)

समस्त भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई,आइए एक सूक्ष्म समीक्षा के साथ, आज़ादी पर्व मनाते हैं.

आज़ादी का पर्व मनाओ,जय भारत जय बोल कर,
है,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान ,
भारत देश महान.

आज़ादी बस नाम का है,जित् देखो तित लाचारी है,
धनी धनों से खेल रहा है,निर्धन बना भिखारी है,
बंदिश में भगवान यहाँ,और क़ैद में यहाँ पुजारी है,
नज़रें डरी डरी रहती हैं,चारो ओर शिकारी है,

देश की हालत परख सको तो,परखो थोड़ा डोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,

जूझ रहें हैं सब जीने को,कैसी है यह युग आई,
एक तरफ पानी की किल्लत,एक तरफ है मंहगाई,
आँसू सूख गये अम्बर के,धरती भी है शरमाई,
भरा पड़ा था जहाँ खजाना,वहाँ भी कंगाली छाई,

पीने का पानी भी मिलता है,भारत मे तोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,

पूछो खुद से यह कैसी,आज़ादी की परिभाषा है,
धर्म क़ैद में,जाति क़ैद में,क़ैद मे घुटति भाषा है,
चार दीवारी मे दब जाती,लाखों की अभिलाषा है,
आज़ादी के नाम पे मिलता, उनको सिर्फ़ हताशा है,

आज़ादी का रूप यही है,बोलो हृदय टटोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,

सुबह जो निकला घर से,क्या वो शाम को वापस आएगा,
आतंको से देश हमारा कब, छुटकारा पाएगा,
यह भय दूर हो जब मन से,आज़ाद देश हो जाएगा,
तब जाकर सच्चे वीरों का, सपना सच कहलाएगा,

जिस आज़ादी के खातिर वो,जहर पिए थे घोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,

भगत सिंह,आज़ाद को सोचो,उनको नमन करो जाकर,
आज़ादी का अर्थ पढ़ो फिर,पहरे से बाहर आकर,
सत्य सनातन कभी डरे ना,किसी झूठ से भय पाकर,
मन की चलो बेड़ियाँ काटो,मन मे आज़ादी लाकर,

नाम करो भारत भूमि की,निज जीवन अनमोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,

21 comments:

चिट्ठाप्रहरी टीम said...

स्वतंत्रता दिवस कि ढेर सारी शुभकामनाएँ

एक अच्छी पोस्ट लिखी है आपने ,शुभकामनाएँ और आभार

आदरणीय
हिन्दी ब्लाँगजगत का चिट्ठा संकलक चिट्ठाप्रहरी अब शुरु कर दिया गया है । अपना ब्लाँग इसमे जोङकर हिन्दी ब्लाँगिँग को उंचाईयोँ पर ले जायेँ

यहा एक बार चटका लगाएँ


आप का एक छोटा सा प्रयास आपको एक सच्चा प्रहरी बनायेगा

M VERMA said...

जय हिन्द
हार्दिक शुभकामनाएँ
सुन्दर रचना

Akanksha Yadav said...

आजादी के बहाने बहुत सुन्दर पोस्ट..बधाई.
स्वाधीनता-दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...जय हिंद !!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सुंदर विचार.

कविता रावत said...

आजादी के बहाने सुंदर विचार.
स्वतंत्रता दिवस कि ढेर सारी शुभकामनाएँ

Rajeev Bharol said...

हालात का बहुत अच्छा चित्रण. बेहद अच्छी कविता.
"आज़ादी का अर्थ पढो.." क्या बात है. बहुत अच्छे.

Urmi said...

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

राज भाटिय़ा said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक बात कही है ..अच्छी प्रस्तुति ..

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

डॉ टी एस दराल said...

अच्छी व्यंगपूर्ण रचना ।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ।

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

joshpurna rachna...

swatantrata diwas ki haardik shubhkaamnayen...

Jai Hind, Jai Bhaarat

पूनम श्रीवास्तव said...

vinod ji aapne desh ki aajaadi ko bilkul hi sahi mayno me aanka hai.
bahut hisachchai se bhari prashashniy post.
aapko bhi isaajad parv ki dher saari shubh kamnaayen.
poonam

अनामिका की सदायें ...... said...

bahut bahut sunder rachna.
bilkul aapke andaaz ka pata deti hui.
swatantrta diwas ki shubhkaamnaayen.

राजभाषा हिंदी said...

सुंदर रचना।

राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।

हास्यफुहार said...

अच्छी प्रस्तुति।

SATYA said...

सुन्दर रचना.

दिगम्बर नासवा said...

पूछो खुद से यह कैसी,आज़ादी की परिभाषा है,
धर्म क़ैद में,जाति क़ैद में,क़ैद मे घुटति भाषा है,
चार दीवारी मे दब जाती,लाखों की अभिलाषा hai,
आज़ादी के नाम पे मिलता, उनको सिर्फ़ हताशा है,

बहुत से अनसुलझे सवाल है आपकी इस प्रभावी रचना में .... स्वतंत्रता दिवस कि ढेर सारी शुभकामनाएँ ...

निर्मला कपिला said...

देर से आने के लिये क्षमा चाहती हूँ। देर से क्यों अभी तो आज़ादी चल रही है न तो हम स्वतन्त्र हैं कभी आयें कहीं भी आयें--- यही कारण है कि हम पिछडते जा रहे हैं और उन कारनों मे सब से पहले मैं हूँ। बहुत सटीक रचना। स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनायें। जय जय हिन्दोस्तान मेरा भारत महान।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

देश की हालत परख सको तो,परखो थोड़ा डोल कर,हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर...

विनोद जी, हालात का ऐसा बेहतरीन चित्रण, एक महान रचना से साक्षात्कार हुआ आज. बेस्ट पोस्ट.

Satish Saxena said...

बहुत सुंदर लिखते हो भैया ...दिल जीत लेते हो ! शुभकामनायें विनोद !

girish pankaj said...

iss geet mey ek sambhavanaa hai. ek aag hai. anyaay ko jalaane ki aag. yah lagan hi ek achchhe kavi k roopmey tumko sthapit kar sakatee hai. badhai...