तेरी आँचल की छाया में,मुझको तो संसार दिखे,
याद नही पर सब कहते हैं,
जब घुटनों पर चलता था,
पथरीले आँगन में अक्सर,
गिरता और संभलता था,
चोट मुझे जब-जब लगती थी,
दर्द तुम्हे भी होती थी,
हर एक ठोकर पर मेरे,
तुम भी तो साथ में रोती थी,
सोच रहा हूँ आज बैठ कर अब तक कितनी दूर चला,
मेरे हर एक पग पे मैया, तेरा ही उपकार दिखे,
मैने बस महसूस किया,
तुम हर वो बातें जान गई,
मेरे अंदर छिपी भावना को,
झटपट पहचान गई,
कष्ट न जानें कितने झेलें,
मगर हमें इंसान बनाया,
खुद भूखे-प्यासे रह कर के,
हमको अमृत कलश पिलाया,
पहली कौर खिलायी तूने भले नही हो याद मुझे,
पर उस पहली कौर के आगे,फीका हर आहार दिखे,
मेरे हर अपराध की माता,
सज़ा तुम्हे भी मिलती थी,
दुनिया की कड़वी बातें,
पग-पग पर तुमको खलती थी,
फिर भी तुमने हँसते-हँसते,
हमको इतना बड़ा किया,
ज़िम्मेदारी हमें सीखा कर,
के पैरों पर खड़ा किया,
रक्षंबंधन,ईद,दशहरा,होली और दीवाली सब है,
आशीर्वाद नही जब तेरा,सुना हर त्योहार दिखे,
सारे रिश्ते-नाते देखे,
तुझ जैसी ना कहीं दिखे,
तेरी ममता सब पर भारी,
जिधर देखता वहीं दिखे,
अब तक जो कुछ,भी पाया हूँ,
सब कुछ आशीर्वाद तुम्हारे,
याद मुझे हैं तेरी वाणी,
सद्दविचार संवाद तुम्हारे,
जितना भी अब तक पाया हूँ,तुच्छ है सब कुछ माँ के आगे,
चुटकी जैसा यह भौतिक सुख, भारी माँ का प्यार दिखे.
तेरी आँचल की छाया में,मुझको तो संसार दिखे,
याद नही पर सब कहते हैं,
जब घुटनों पर चलता था,
पथरीले आँगन में अक्सर,
गिरता और संभलता था,
चोट मुझे जब-जब लगती थी,
दर्द तुम्हे भी होती थी,
हर एक ठोकर पर मेरे,
तुम भी तो साथ में रोती थी,
सोच रहा हूँ आज बैठ कर अब तक कितनी दूर चला,
मेरे हर एक पग पे मैया, तेरा ही उपकार दिखे,
मैने बस महसूस किया,
तुम हर वो बातें जान गई,
मेरे अंदर छिपी भावना को,
झटपट पहचान गई,
कष्ट न जानें कितने झेलें,
मगर हमें इंसान बनाया,
खुद भूखे-प्यासे रह कर के,
हमको अमृत कलश पिलाया,
पहली कौर खिलायी तूने भले नही हो याद मुझे,
पर उस पहली कौर के आगे,फीका हर आहार दिखे,
मेरे हर अपराध की माता,
सज़ा तुम्हे भी मिलती थी,
दुनिया की कड़वी बातें,
पग-पग पर तुमको खलती थी,
फिर भी तुमने हँसते-हँसते,
हमको इतना बड़ा किया,
ज़िम्मेदारी हमें सीखा कर,
के पैरों पर खड़ा किया,
रक्षंबंधन,ईद,दशहरा,होली और दीवाली सब है,
आशीर्वाद नही जब तेरा,सुना हर त्योहार दिखे,
सारे रिश्ते-नाते देखे,
तुझ जैसी ना कहीं दिखे,
तेरी ममता सब पर भारी,
जिधर देखता वहीं दिखे,
अब तक जो कुछ,भी पाया हूँ,
सब कुछ आशीर्वाद तुम्हारे,
याद मुझे हैं तेरी वाणी,
सद्दविचार संवाद तुम्हारे,
जितना भी अब तक पाया हूँ,तुच्छ है सब कुछ माँ के आगे,
चुटकी जैसा यह भौतिक सुख, भारी माँ का प्यार दिखे.
तेरी आँचल की छाया में,मुझको तो संसार दिखे,
21 comments:
Aap jaisa suputr har maa ko mile,jo use itnee shiddat se yaad kare....itna aadar samman de!
बहुत सुन्दर रचना! वन्दे मातरम!
इस गीत से मन विह्वः हो गया.. माँ के उपकार अनगिनत हैं... कहाँ हैं इस विश्व में शब्द उन्हें करने को व्यक्त..
वाह , बहुत सुन्दर गीत । मां का आशीर्वाद सदा बना रहे , यही दुआ है ।
चोट मुझे जब-जब लगती थी,
दर्द तुम्हे भी होती थी,
हर एक ठोकर पर मेरे,
तुम भी तो साथ में रोती थी ...
छू कर गुज़र जाती है ये रचना विनोद जी ... कमाल की भावनाएँ समेटी हैं .... लाजवाब ...
माँ के प्रति गहन संवेदना लिए अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुंदर गीत, धन्यवाद
बहुत भावपूर्ण रचना,आभार.
सच में माँ सबसे प्यारी होती है..... वो ही हमारा संसार होती है.... सभी प्यारी प्यारी ममाओं को हैप्पी मदर्स डे
माँ की ममता अकथ है..बहुत सुन्दर रचना...मातृ दिवस की शुभकामनाएँ
बहुत सुन्दर रचना| मां का आशीर्वाद सदा बना रहे|
बहुत खूब विनोद !
शुभकामनायें आपको और माँ को ...
वाह!
अब तक जो कुछ,भी पाया हूँ,
सब कुछ आशीर्वाद तुम्हारे,
याद मुझे हैं तेरी वाणी,
सद्दविचार संवाद तुम्हारे,
बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी भाव ......
बहुत सुन्दर कविता
बहुत बढिया अभिव्यक्ति
प्रणाम स्वीकार करें
मैने बस महसूस किया,
तुम हर वो बातें जान गई,
मेरे अंदर छिपी भावना को,
झटपट पहचान गई..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! लाजवाब और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! मातृ दिवस की शुभकामनाएँ!
बहुत खूबसूरत रचना. माँ का आशीष है ही ऐसा. शुभकामनायें.
ह्रदय को छूनेवाला , माँ को समर्पित सुन्दर गीत ...
माँ से बढ़कर कौन ?
जितना भी अब तक पाया हूँ,तुच्छ है सब कुछ माँ के आगे,
चुटकी जैसा यह भौतिक सुख, भारी माँ का प्यार दिखे.
bahut sunder geet ek ek pankti sach
bahut khoob badhai
saader
rachana
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..मन को गहराई तक छू जाती है..माँ कहीं भी हो पर उसका आशीर्वाद सदैव बना रहता है..
sir aapne is geet ke madhyam se logo ko ye sochne per badhya kar diya ki aakhir unki saflta ke piche kiska yogdan hota hai. isliye keval mother's day per hi ma ko nahi balki har samay me unka saath nibhana chaiye.
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