Sunday, June 9, 2013

आदरणीय सरोजिनी कुलश्रेष्ठ जी के सम्मान समारोह में प्रस्तुत एक गीत --(विनोद कुमार पाण्डेय )

कुछ दिनों पहले ब्रजभाषा और हिंदी की मशहूर कवियित्री,सहित्यकारा,आदरणीय सरोजिनी कुलश्रेष्ठ जी का 91वां जन्मदिन मनाया गया | नवरत्न फ़ाउन्डेशन, कायाकल्प साहित्यिक संस्था,सनेही मंडल,फोनरवा,नोएडा नागरिक महासंघ,सूर्या संस्थान सहित अन्य सामाजिक और साहित्यिक संस्था में मिलकर यह कार्यक्रम आयोजित किया और सरोजिनी जी का सम्मान किया | बहुत भव्य प्रोग्राम में सरोजिनी जी के सम्मान में मुझे एक गीत गाने के लिए आमंत्रित किया | और प्रस्तुती के बाद जब मैं मंच से  उतर कर आया तो सरोजिनी कुलश्रेष्ठ जी सहित सबका बहुत ही प्यार और आशीर्वाद मिला जिसे मै अपने साहित्यिक जीवन की एक उपलब्धि मानता हूँ । आज आप सब के समक्ष आज वही गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ । धन्यवाद । 
 

जो पढ़ा है आपके बारे में वो सब सोचकर 
सोच में हूँ किस तरह से आपका वंदन करूँ 
बुद्धिजीवी सब यहाँ पर,मैं हूँ अदना सा कवि  
इस सभा में आपका मैं कैसे अभिनन्दन करूँ 

आपसे सीखा है हमने,मुस्कुराना दर्द में,
हर किसी के चोट पर मरहम,लगाना दर्द में 
जिंदगी संघर्ष है,जीता वहीँ,जिसने लड़ा 
आपके इस भाव पर मैं कैसे ना चिंतन करूँ 

जिंदगी शुरुआत से,संघर्ष की उपनाम थी 
रास्ते प्रतिकूल थे,और मंजिले गुमनाम थी 
पर हमेशा मुस्कुरा कर जिंदगी की चाह की
माँ के ऐसे रूप का मैं,ह्रदय से वंदन करूँ 

दुश्मनों से थी घिरी फिर भी जरा सी ना डरी 
दर्द के स्याही से तुमने प्रेम की रचना करी 
उम्र की दहलीज भी दहला न पाई आपको 
आपके इन हौसलों का क्यों न मैं वर्णन करूँ 

ज्ञान का दीपक दिखाया, शिक्षिका के रूप में,
छाँव अपनों को दिया और खुद खड़ी  थी धूप में
ये हुनर भी आप में है,मुझको तो आती नहीं 
 नोएडा के मंच को मैं,कैसे वृन्दावन करूँ 

इस सभा में गीत गाऊँ, ये मेरा सौभाग्य है 
आपके सानिध्य में है, ये हमारा भाग्य है 
जन्मदिन की है बधाई,साथ में उपहार में  
गीत अपना आज का मैं आपको अर्पन करूँ

1 comment:

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बहुत खूब..अच्छा लगा जानकर। बहुत बधाई।