Tuesday, July 16, 2019

आ गया सावन - विनोद पांडेय

आ गया सावन सजन कब आओगे | 
रो रहा है मन सजन कब आओगे || 


छेड़ती मुझको हवाएं आजकल, 
हो रहा है दिल तुम्हारे बिन विकल |  
मंद है धड़कन सजन कब आओगे || 

नींद आती है नही अक्सर मुझे,
काटने को दौड़ता है घर मुझे | 
बढ़ गयी उलझन सजन कब आओगे || 

चेष्टाएँ लग रही है पाप सी ,
भावनाएं लग रही है सांप सी | 
देह चन्दन वन सजन कब आओगे ||

बादलों के सामने कमजोर हूँ ,
मौन से दबता मचलता शोर हूँ | 
कब तलक बंधन सजन कब आओगे || 

हार कर चुप हो गयी है रात यह  ,
कह दिया मैंने घनों से बात यह | 
प्रीति है पावन, सजन कब आओगे || 
आ गया सावन सजन कब आओगे || 

(गीत संग्रह एक शीशी गुलाब जल से )
चित्र :- आभार गूगल








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