Saturday, March 20, 2010

रिश्ते भी चलचित्र बनें हैं दुनिया में--------(विनोद कुमार पांडेय)

जिनके चरण,आचरण दोनों दूषित हैं,
देखो वहीं पवित्र बनें हैं दुनिया में,

जिस मूरत पर श्रद्धा से सर झुक जाता है,
उनके भद्दे चित्र बनें हैं दुनिया में,

मेरी आँखों में आँसू वो हँसते है,
ऐसे ऐसे मित्र बनें हैं दुनिया में,

एक दिखावा,एक छिपा कर रखते हैं,
सबके अलग चरित्र बने हैं दुनिया में,

इंसानों को ईश्वर सा सम्मान मिला,
इंसा ही अपवित्र बनें हैं दुनिया में,

मायावी मानव की माया की मद में,
रिश्ते भी चलचित्र बनें हैं दुनिया में.

20 comments:

मधुरेंद्र पाण्डे said...

सही लिखा है ..जिनके चरण,आचरण दोनों दूषित हैं,देखो वहीं पवित्र बनें हैं दुनिया में,

Urmi said...

सच्चाई को आपने बखूबी प्रस्तुत किया है! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! सुन्दर रचना!

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

क्या भींगा कर मारा है सर जी......
...........
विश्व गौरैया दिवस-- गौरैया...तुम मत आना(कविता).....
..........
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से...
http://laddoospeaks.blogspot.com/

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut hi sundar abhivykyti aaj ke samay me jo raha hai ushaka shi chitran kiya hai aapane.
poonam

Kulwant Happy said...

हर बार कुछ अलग सा लेकर मिलते हैं..अद्भुत।

राज भाटिय़ा said...

जिनके चरण,आचरण दोनों दूषित हैं,देखो वहीं पवित्र बनें हैं दुनिया में,भाई आज का यह एक नंगा सच है. बहुत अच्छा लिखा आप ने. धन्यवाद

M VERMA said...

मायावी मानव की माया की मद में,
रिश्ते भी चलचित्र बनें हैं दुनिया में.
चलों अब मानव भी मायावी है.
सुन्दर रचना

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत बढ़िया लिखा है पाण्डेय जी,बधाई.

अंजना said...

सुन्दर रचना...

वन्दना अवस्थी दुबे said...

एक दिखावा,एक छिपा कर रखते हैं,
सबके अलग चरित्र बने हैं दुनिया में
सच है. किसी को भी पहचानना असान नहीं. सुन्दर कविता.

kshama said...

Badi sahajtase stya pesh kiya hai...!

Satish Saxena said...

वाह वाह... आनंद आया , इतनी सरल भाषा में इतनी प्यारी रचना !लगता है भविष्य में बहुत कुछ दोगे इस दुनियां को ! आपको हार्दिक शुभकामनायें

अजय कुमार झा said...

वाह वाह बहुत गज़ब लिखा आपने विनोद भाई ..बहुत ही सुंदर और सौ प्रतिशत सच
अजय कुमार झा

योगेन्द्र मौदगिल said...

waaah....
mazaa aa gaya bhai...

siddheshwar singh said...

अच्छा जी !

हरकीरत ' हीर' said...

मेरी आँखों में आंसू वो हँसते हैं
ऐसे ऐसे मित्र बने हैं दुनिया में .....

वाह.....बहुत खूब .......!!

दिगम्बर नासवा said...

एक दिखावा,एक छिपा कर रखते हैं,
सबके अलग चरित्र बने हैं दुनिया में,

बहुत ही सहज रूप से लिख दिया है आपने सच को ..... आज के समाज का खाका खींच दिया .... रिश्तों की अहमियत ख़त्म होती जा रही है इस माया की माया में ...

kshama said...

Ramnavmi ke liye anek shubhkamnayen!

Pawan Kumar said...

विनोद भाई.....
जिनके चरण,आचरण दोनों दूषित हैं,
देखो वहीं पवित्र बनें हैं दुनिया में,
सच्चाई उकेर दी आपने जाती दुनिया की ........ग़ज़ल अच्छी है.......मतला नहीं है मगर इसकी कमी भी खलती नहीं है...!

दीपक 'मशाल' said...

Bahut bahut bahut hee sachcha shabdchitra kheencha Vinod bhai.. ek-ek sher ek-ek haqeeqat ko bayaan kar gaya..