Friday, May 7, 2010

एक सुंदर सी कविता के साथ सभी ब्लॉगर्स साथियों को मातृ दिवस की अग्रिम बधाई-----(विनोद कुमार पांडेय)

मातृ दिवस के उपलक्ष्य में इस कवि ने अपने शब्द माँ के नाम अर्पित किया है,जीवन मे एक ऐसा नाम जिससे हम कभी भी अलग नही हो सकते,और वो शब्द है "माँ".आज एक बार फिर आपके सामने प्रस्तुत है मेरी यह कविता...

माँ,ममता का असीम श्रोत हैं,

माँ,इस नश्वर जीवन की,अखंड ज्योत हैं.


माँ,एक पवित्र नाम है,

माँ,के बिना जिंदगी गुमनाम है.



माँ,आँचल की छाया देती रही कठोर धूप में,

माँ,निहित है,परमात्मा के स्वरूप में.


माँ,बचपन के कठिन डगर पर,गोदी में ज़कड़ कर,

माँ,जिसने चलना सिखाया, उंगली पकड़ कर.


माँ,जिसने हमारे खुशी के लिए आँसुओं को भी पीया है,

माँ,जीवन के अंधेरे पथ पर राह दिखाने वाली दीया है.


माँ,जिसने मुस्कुरा कर अपने हाथ से पहली कौर खिलाई,

माँ,जैसे कड़ी धूप,तपती गर्मी की शीतल परछाई.


माँ,बचपन के चंचल,मोहक,मुस्कान की जननी है,

माँ,जिससे यह संपूर्ण सृष्टि बनी है.


माँ,हमारे मूक बचपन की भाषा है,

माँ,जिसकी कोई नही परिभाषा है.


माँ,बसी है,ममतामय हर एक पल में,

माँ,बसी है,पृथ्वी,आकाश,वायु और जल में.


माँ,ही मूल में,माँ ही आधार है,

माँ,के लिए सारी जिंदगी उधार हैं.


माँ,समस्त रिश्तो से परे है,

माँ,दिशाहीन जीवन में लक्ष्य भरे हैं.


माँ,किलकारी भरे, वात्सल्य का दर्पण है,

माँ,हमारी हर खुशी, तुम्हे अर्पण है.



माँ,जिसके लिए केवल मातृ दिवस ही सुखाय नही है,

माँ, जिसका दुनिया में,कोई पर्याय नही है.


माँ की यादों के साथ फिर एक बार,

बचपन मे आगमन करता हूँ.

और विश्व के समस्त माताओं को,

मातृ दिवस पर, सिर झुका कर हार्दिक नमन करता हूँ.

24 comments:

M VERMA said...

वाकई बहुत सुन्दर कविता
मातृदिवस की बधाई

hem pandey said...

दोनों होंठों के चुम्बन से उच्चारण होता है "माँ"

दीपक 'मशाल' said...

Maa aisa shabd hai jisme srishti hi samaayi hai.. bahut khoob Kavi bhai.. :)
aapko bhi shubhkaamnayen is pavan divas par

kshama said...

Rachana aankhen nam kar gayi...

दिलीप said...

maa to bas maa hai...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर भावों से सजी खूबसूरत कविता

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत ही सुन्दर रचना है!
मातृशक्ति को नमन!

राज भाटिय़ा said...

वाह जी क्या बात है इस ममता मयी कविता की. धन्यवाद

Udan Tashtari said...

माँ विषय पर लिखना ही एक अजब श्रृद्धाभाव पैदा कर देता है. आपकी अभिव्यक्ति बहुत भावपूर्ण है:


माँ, हमारे मूक बचपन की भाषा है,
माँ, जिसकी कोई नहीं परिभाषा है.

कितनी सत्य और बड़ी बात है.

Ra said...

बहुत अच्छे भावो के साथ लिखा है आपने ..एक अच्छी रचना .....माँ पर कुछ भी लिखे कम ही है ....बस ऐसी ही कोशिश कुछ हमने भी की है ...आपके सुझाव सादर आमंत्रित है

http://athaah.blogspot.com/2010/05/blog-post_4890.html

Smart Indian said...

मर्मस्पर्शी. मेरी दुनिया है माँ, तेरे चरणों में...

Smart Indian said...

हेम पांडे जी की टिप्पणी भी आपकी कविता जैसी ही सुन्दर है.

Kulwant Happy said...

अद्भुत, उम्दा रचना। गुरूदेव।

डॉ टी एस दराल said...

बहुत सुन्दर । बेहतरीन रचना ।
बस बुढ़ापे में मां को नहीं भूल जाना ।

vandana gupta said...

matri shakti ko naman.

Satish Saxena said...

डॉ दाराल की बात याद रखना ...! उस उम्र में वे तुमसे कुछ नहीं मांगेगी , और अक्सर तुम्हारे पास समय का अभाव होगा . वही एक समय होता है उनका साथ देने का !

Urmi said...

मात्री दिवस कि हार्दिक बधाइयाँ!
बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! माँ के बारे में जितना भी कहा जाए कम है!

अनामिका की सदायें ...... said...

दोनों होंठों के चुम्बन से उच्चारण होता है "माँ

hem pandey ji ne sahi likha....
aur jab utpatti strot hi aisa hai to maa ke man se kya utpatti hogi.....sab ke saamne hai.

bahut acchhi rachna.

हरकीरत ' हीर' said...

माँ,जिसके लिए केवल मातृ दिवस ही सुखाय नही है,माँ, जिसका दुनिया में,कोई पर्याय नही है.
माँ की यादों के साथ फिर एक बार,बचपन मे आगमन करता हूँ.और विश्व के समस्त माताओं को,मातृ दिवस पर, सिर झुका कर हार्दिक नमन करता हूँ.

बहुत सुंदर उपहार है ये माँ को .....!!

(क्षणिकाएं आपकी बार बार की फरमाइश पर ही हैं ......)

कडुवासच said...

... प्रभावशाली भाव ... प्रसंशनीय रचना !!!

दिगम्बर नासवा said...

सच है ... माँ के नाम से अपने को जुदा करना आसान नही है .... संवेदनशील लिखा है आपने .... ...

rashmi ravija said...

माँ,आँचल की छाया देती रही कठोर धूप में,
माँ,निहित है,परमात्मा के स्वरूप में.
पूरी रचना ही बहुत सुन्दर है...और मैं इतनी देर से पढने को आई..मेरा ही नुकसान है..सॉरी

नीरज गोस्वामी said...

माँ मूक बचपन की भाषा है...वाह...अप्रतिम रचना...
नीरज

रचना दीक्षित said...

माँ,किलकारी भरे, वात्सल्य का दर्पण है,माँ,हमारी हर खुशी, तुम्हे अर्पण है.

वाह!!!!!!!!!!!!!!! बहुत सुन्दर भाव समर्पित किये है