एक बार फिर ब्लॉगर्स ने इतिहास रच डाला,
२३ मई२०१०,स्थान था नांगलोई,छोटूराम धर्मशाला,
छोटू था धर्मशाला,पर बड़े बड़े लोग आए थे,
आकर महफ़िल को खुशमिजाज बनाएँ थे,
संगीता पूरी जी,और ललित शर्मा जी बड़े दूर से आएँ थे,
शेष मनुष्य यही दिल्ली के मैदानी इलाक़ों से आकर छाए थे,
उनमें रतन शेखावत जी ज्ञान दर्पण वाले सबसे पहले हाथ मिलाए थे,
ब्लॉग पर पगड़ी में फोटो देखा था तो हम समझ नही पाए थे,
पर धीरे धीरे वार्तालाप आगे बढ़ी,तो बहुत अच्छा लगा,
जय कुमार झा जी का भी संदेश बहुत सच्चा लगा,
राजीव तनेजा जी का कितना आभार करूँ सपरिवार स्वागत में पड़े थे,,
हमारे बनारसी चाचा वर्मा जी भी मुस्कुराहट लिए खड़े थे,
वर्मा जी के स्कूटर का भी किसी ब्लॉगर साथी ने मान रख दिया था,
खुद खाने के बाद स्कूटर पर भी एक पैकेट जलपान रख दिया था,
नुक्कड़ के अविनाश जी,चौखट के पवन जी के साथ ही प्रवेश किए,
बागी काका जी,खुशदीप जी और इरफ़ान जी भी दरस दिए,
मयंक जी से पहली बार मिला,आधे बनारसी के रूप में फिट थे,
राजीव रंजन,अभिषेक सागर,अजय यादव जी,
भी अपने-अपने रोल में हिट थे,
नीरज जी,मवाक जी, और अंतरसोहिल जी भी रंग भर रहे थे,
शाहनवाज़ जी भी प्रेम रस की बारिश कर रहे थे,
कुछ लोग ऐसे भी थे जो पहली बार ब्लॉगर्स सम्मेलन में सम्मुख थे,
उमाशंकर मिश्र जी,योगेश गुलाटी जी और सुलभ जी उनमें प्रमुख थे,
मीडिया डॉक्टर जी का भी विचार बहुत महत्वपूर्ण लगा,
घनश्याम जी,चंडीदत्त शुक्ल जी,प्रतिभा जी,
और संजू तनेजा जी से समारोह पूर्ण लगा,
प्रवीण पथिक जी,सुधीर कुमार जी और देवेन्द्र जी भी महफ़िल में जमें थे,
राम बाबू जी,आशुतोष जी,,अमर ज्योति जी भी सम्मेलन में रमें थे,
पी. के. शर्मा जी, डॉ. वेद जी की उपस्थिति भी एक संदेश दे रही थी,
ब्लॉगर्स और हिन्दी के भविष्य सफलता की कहानी कह रही थी,
अजय झा भैया थोड़ी देर में पहुँच पाए थे,
पर विचार गोष्ठी से पहले ही आए थे,
बाकी भी बड़े-बड़े लोग थे फोटो से स्पष्ट हैं,
नाम नही याद आ पाने का हमें बहुत कष्ट है,
सबकी गरिमामयी उपस्थिति के बाद प्रारम्भ हुई,
कोल्ड,ड्रिंग और बिस्किट का दौर भी खूब आरंभ हुई,
पहले की तरह राजीव जी और मानिक जी,
पूरे दिल से स्वागत में लगे थे,
इन्हे लाल टी. शर्ट में देख कर शायद ज़लज़ला जी भी भगे थे,
ब्लॉग भविष्य के बारे में व्यापक विचार किया गया,
विवादास्पत लोगों को नज़रअंदाज करने का फ़ैसला लिया गया,
बीच में समोसे,पकौड़े,रसगुल्ले,बरफी भी मंगाए गये थे,
गोष्ठी बीच में रोक कर उन्हे भी निपटाए गये थे,
अविनाश जी गोष्ठी अध्यक्षता के पूरे रंग में थे,
बाकी सब ब्लॉगर्स भी अपने तरंग में थे,
ब्लॉगर्स एकता और हिन्दी विकास के लिए चर्चा हुई,
सार्थक लेखनी और आपसी सहयोग पर भी कुछ समय खर्चा हुई,
कुल मिलाकर यह,अब तक का सबसे सफल सम्मेलन था ,
हमें बीच में ही जाना पड़ा जबकि रुकने का बहुत मन था,
कुछ अत्यन्त ज़रूरी काम ने मजबूर किया था,
समारोह के अंतिम क्षणों में मुझे सबसे दूर किया था,
बस मेरी यही दुआ है,ऐसे ही यह प्रेम परस्पर रंग लाती रहे,
और ग़लत इरादे,ग़लत लोगों को दूर भागती रहे,
सब मिल-जुल कर हिन्दी के लिए काम करें,
और विश्व पटल पर और हिन्दी का नाम करें.
20 comments:
बेहतर प्रस्तुती जो पूरे सभा के सफलता का बड़ी रोचकता से वर्णन कर रही है / इस में इतना हम और जोड़ना चाहेंगे "विनोद पांडेय जी भी इस सभा में आये थे ,जिनको देखकर सभी ब्लोगरों के चेहरे खुशियों से नहाये थे "/ बहुत ही उम्दा प्रयास /
ये सही स्टाईल रहा...पहूंचे तो हम भी थे..मगर फोन से. हम उस में ही खुश हो लिए/ :)
बहुत ही बढ़िया...रोचाक्पूर्ण तरीके से किया गया सजीव वर्णन
बढ़िया विनोद जी
आपका अन्दाज़ निराला है
आपने बयाँ करने का
क्या खूब तरीका निकाला है
विनोद जी का यह रपट निराला है.
विनोद जी, काव्य एकदम फिट है।
ज़बरदस्त, बहुत खूब!
विनोद जी, आपका अंदाज़ तो बहुत ही निराला है.
आँखों देखा हाल, किस तरीके से शब्दों में ढाला है.
बहुत खूब ..
वाह जी आप का अंदाज बहुत अच्छा लगा, ओर मिटिंग की सफ़लता के लिये आप सब को बहुत बहुत बधाई
वाह पांडे जी...शुक्रिया.
सुंदर रिपोर्टिंग!
इतने शीघ्राती शीघ्र रचना में पूरा मिलन वृत्तांत रच डाला, बहुत खूब
आपके छन्द और आंकों देखा हाल के क्या कहने .. विनोद जी ये रिपोर्ट का तरीका बहुत ही लाजवाब है ... अगली बार हम भी जब दिल्ली आएँगे ... आपसे मीट का आक्खों देखा हाल साक्षात सुनेंगे ...
पहूंचे तो हम भी थे..मगर फोन से. हम उस में ही खुश हो लिए.... :)
यह रपट निराला है.
अरे वाह हम फ़ोन से पहुँचना भूल गये, बहुत अच्छा :)
वह वा ह मज़ेदार
wahwa... tukant varnan.... shabbas bhatije...
अति सुन्दर कवितामयी विवरण ।
बहुत बढिया कवितामय वर्णन विनोद जी
अभी पहुंच कर पहली टिप्पणी कर रहा हुँ
आप लोगों से मिल कर अच्छा लगा।
शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर बृहत् कविता है ... ब्लॉग्गिंग करते हुए अक्सर सोचता हूँ कि इतने सारे लोग जो ब्लॉग्गिंग करते हैं, जिनसे ब्लॉग के जरिये मिलता हूँ, वो हकीक़त कि ज़िन्दगी में कैसे लोग हैं ... कभी किसी ब्लॉगर से मिलने का मौका मिलेगा तो अच्छा लगेगा ...
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