दुनिया वाले कैसे है
ऐसे हैं ना वैसे हैं
फ़ितरत में है अव्वल नंबर,
दिखते भोले जैसे हैं
होश नही दुनियादारी का
मय में डूबे ऐसे हैं
पैसा,पैसा,पैसा,पैसा
पॉकेट में बस पैसे हैं
पूछ ना पाए बाप से बेटा
बाबू जी अब कैसे हैं
रिश्ते-नाते,प्यार,वफ़ा
सब कुछ फिल्मों जैसे हैं
संवेदना मर चुकी पूरी
जिंदा जैसे तैसे हैं,
22 comments:
बेहतरीन। लाजवाब।
जिन्दा जैसे तैसे हैं..बहुत सही!!
Wah! Sach...aulaad apne mata pitako yah baat poochhna to bhool hee gayi hai...saral bhashame wyakt sashakt rachana!!
बहुत ही अच्छी और उम्दा सोच से निकली कविता ,भयानक अवस्था है देश,समाज और मानव जाती की ...?
संवेदना मर चुकी पूरी
जिंदा जैसे तैसे हैं
सही फ़रमाया आपने ...
bilkud sahi kahaa aapne...........sundar prastuti
kuchh sher to behad marmik hai. badhai, iss stareey ghzal ke liye...isi tarah likhate raho. shubhkamanaen.
संवेदना मर चुकी पूरी
जिंदा जैसे तैसे हैं
जी विनोद जी सच्च में फ़िल्मी सा हो गया है आज का जीवन .....
और samvednaon की to ummid ही bemani है ......!!
पूछ ना पाए बाप से बेटा
बाबू जी अब कैसे हैं
सच को दर्शाती रचना ।
परो के धार बहुत तेज़ थे
हर एक जगह पेड कटे मिलते थे
आसमान घायल
तो जमीन प्यासी
नन्ही पंक्षियो के उडान बाकी थे
समय की धार बहुतही तेज और न जाने कितनी चीजे जैसे तैसे होने वाली है.......
कविता के ज़रिये बहुत ही सही कही... लाजवाब प्रस्तुति...
बहुत बढ़िया विनोद, बेहतरीन रचना के लिए शुभकामनायें !
bahut khub vinod bhai
Badiya ji....Badiya. Mast.
रिश्ते-नाते,प्यार,वफ़ासब कुछ फिल्मों जैसे हैं
संवेदना मर चुकी पूरीजिंदा जैसे तैसे हैं...
बेहतरीन...
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! बिल्कुल सही बात का ज़िक्र किया है! उम्दा प्रस्तुती!
विनोद जी ,
बेहतरीन रचना के लिए शुभकामनायें !
vinod ji sehmat hoon!prabhavi rachna!!
waah behatreen sir ji , vyangya me hi aapne bahut hi gambheer baat ko kah gaye ..
badhayi
waah behatreen sir ji , vyangya me hi aapne bahut hi gambheer baat ko kah gaye ..
badhayi
जिन्दा जैसे तैसे है...
बस यही हाल है वास्तव में.
बेहतरीन.
बहुत सही कहा आपने...
Post a Comment