पंकज सुबीर जी द्वारा आयोजित तरही मुशायरे में सम्मिलित की गई मेरी एक ग़ज़ल..आज आप सब के आशीर्वाद के लिए प्रस्तुत है..
मत पूछ मेरे हाल को बेहाल सी है जिंदगी
मैं बन गया हूँ,आजकल अपने शहर में अजनबी
जो वाहवाही कर रहे थे, आज हमसे हैं खफा
एक बार सच क्या कह दिया, ऐसी मची है,खलबली
वो दौर था,जब दोस्ती में जान भी कुर्बान थी
अब जान लेने की नई तरकीब भी है दोस्ती
हम तो वफ़ा करते रहे, सब भूल कर उसके करम
था क्या पता हमको कभी भारी पड़ेगी दिल्लगी
चट्टान को भी चीर कर जिसने बनाया रास्ता
क्या हो गया है आज क्यों, सूखी पड़ी है वो नदी
ठगने लगे हैं लोग अब इंसानियत के नाम पर
भगवान भी हैरान है,क्या चीज़ है यह आदमी
कल रात ही एक और ने भी हार मानी भूख से
पाए गये आँसू ज़मीं पे रो पड़ा था चाँद भी
14 comments:
कल रात ही एक और ने भी हार मानी भूख से
पाए गये आँसू ज़मीं पे रो पड़ा था चाँद भी
बेहतरीन्…………शानदार्।
वो दौर था,जब दोस्ती में जान भी कुर्बान थी
अब जान लेने की नई तरकीब भी है दोस्ती
इस गजल की हर एक पंक्ति गहरे अर्थ संप्रेषित करती है , सही लिखा है आपने , दोस्ती करना आज के दौर में खतरे से खाली नहीं , आज संबंधों की महता समझता ही कौन है , इसलिय तो कहना पड़ा क्या चीज है आदमी ....!
चलते -चलते पर पढ़ें .....संसार पाया होता
शुभकामनायें
चट्टान को भी चीर कर जिसने बनाया रास्ता
क्या हो गया है आज क्यों, सूखी पड़ी है वो नदी
ठगने लगे हैं लोग अब इंसानियत के नाम पर
भगवान भी हैरान है,क्या चीज़ है यह आदमी
बहुत बढ़िया ....सुन्दर अभिव्यक्ति
ठगने लगे हैं लोग अब इंसानियत के नाम पर
भगवान भी हैरान है,क्या चीज़ है यह आदमी
वाह , क्या बात कह दी ।
बहुत बढ़िया ।
बहुत खुब जी, किस किस शेर की तरीफ़ करे सब एक से बढ कर एक
पढ चुकी हूँ मगर फिर भी बार बार पढने को दिल चाहता है ऐसी उम्दा गज़ल। हर एक शेर लाजवाब। बधाई।
सुंदर भाव लिए गजल |बधाई
आशा
चट्टान को भी चीर कर जिसने बनाया रास्ता
क्या हो गया है आज क्यों, सूखी पड़ी है वो नदी
ठगने लगे हैं लोग अब इंसानियत के नाम पर
भगवान भी हैरान है,क्या चीज़ है यह आदमी
कल रात ही एक और ने भी हार मानी भूख से
पाए गये आँसू ज़मीं पे रो पड़ा था चाँद भी
Wah! Kya alfaaz chune hain!
जो वाहवाही कर रहे थे, आज हमसे हैं खफा
एक बार सच क्या कह दिया, ऐसी मची है,खलबली
ऐसा ही होता है.... अच्छी प्रस्तुति.....
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.
ठगने लगे हैं लोग अब इंसानियत के नाम पर
भगवान भी हैरान है,क्या चीज़ है यह आदमी ..
विनोद जी नमस्कार ... आपकी इस ग़ज़ल का आनंद तो गुरुदेव के ब्लॉग पर लिया था .. आज दुबारा वही आनंद महसूस कर रहा हूँ .... जन चेतना से लिप्त आपके शेर गज़ब कर देते हैं ....
आपको और आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ....
दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएं
दीपावली की शुभकामनाओं के साथ इस प्यारी रचना के लिए ढेरों बधाई
आपको दीपावली की ढेर सारी शुभकामनायें ।
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