Thursday, December 23, 2010

आम पब्लिक और प्याज---(विनोद कुमार पांडेय)

आज की मौजूदा हालात में मँहगाई ने आम आदमी के नाक में दम कर के रख दिया है|इसी मँहगाई का एक और रूप आज कल दिखने को मिल रहा है| उसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है एक व्यंग्य जो आज के हरिभूमि समाचार पत्र के दिल्ली संस्करण में भी प्रकाशित हुआ है धन्यवाद!


कांग्रेस की सरकार में आम आदमी की कीमत भले ही दो कौड़ी की हो गई हो पर बाकी सभी वस्तुओं की कीमत आसमान छूती नज़र आ रही है|बात मुद्दे की तब हो गई जब खाने पीने का सामान भी सोने-चाँदी के भाव बिकने लगा अब प्याज को ही लीजिए,आज-कल प्याज के बढ़ते भाव ने अच्छे-अच्छों को रुला कर रख दिया है|वैसे तो प्रायः प्याज छिलते समय आदमी के आँखो से आँसू आते है पर अब तो देख कर ही आँसू आ जाते है|


पिछले कई दिनों से सब्जियों के दाम वन-डे क्रिकेट में भारत की रेटिंग की तरह घट-बढ़ रहे है| पर प्याज के दाम तो अचानक से ही धोनी के अनुबन्ध के रेट की तरह दुगुने हो गये भारत सरकार चुपचाप बी. सी. सी. आई. की तरह हाथ पर हाथ धरे बैठी है और देश के ठेकेदार ललित मोदी की तरह सब्जियों के बढ़ते दामों का फ़ायदा उठाकर जनता को लूट रहे है|अगर कुछ और चीज़ होती तो चलो ठीक था यह तो सीधे-सीधे पेट पर लात मारने वाली बात हुई |

लगभग हर सब्जियों में फिट हो जाने वाला प्याज आज तन कर बैठा है और बाकी सभी सब्जियों को मुँह चिढ़ा रहा है यह सिर्फ़ सरकार की मेहरबानी का नतीजा है|सरकार इस मामले में पहले ही साफ कह दी कि दाम तो अभी १ महीने तक ऐसे ही बढ़ेगा तो जब उनके तरफ से भविष्यवाणी पहले ही हो गई फिर उनसे कुछ उम्मीद रखना बेकार है वैसे भी पब्लिक में ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जो सरकार से किसी प्रकार की उम्मीद रखते है|ऐसी स्थिति में भारत की जनता से एक ही अनुरोध है कि कृपया धैर्य बनाए रखें जब तक हालात काबू में नही आ जाते और प्याज की दाम में गिरावट नही आ जाती विशेष रूप से वो सज्जनगण जिन्हें प्याज से प्रेम है अर्थात प्याज खाने के कुछ ज़्यादा ही शौकीन है|इसके दो फ़ायदे है एक तो मँहगाई की मार से बच जाएँगे दूसरे अगर चाहे तो घर में रखे प्याज को बाजार में निकाल कर दो-चार सौ रुपये की कमाई कर सकते है |बस थोड़े दिन मन को मनाना होगा वैसे भी बिजनेस करके पैसा कमाना कोई आसान काम नही है और वो भी ऐसी विषम परिस्थितियों में|


प्याज की बढ़ती हुई दाम पर जनता की प्रतिक्रिया भी कुछ अलग ही तरीके से होनी चाहिए हर बार मँहगाई के नाम पर रोने-चिल्लाने से अभी तक क्या मिल गया सरकार को तो सुनाई देता नही फिर भैस के आगे मुरली बजाना कोई फ़ायदे की बात नही लगती|सरकार की कृपा से प्याज भी आज-कल अपने जीवन के सर्वोत्तम दौर से गुजर रहा है अगर सब्जियों पर ऐसी ही कृपा दृष्टि बनी रही तो निश्चित रूप से सब्जियाँ फलों से कई गुना आगे निकल जाएगी|इस बात का एहसास फलों को भी है और अगर ऐसा हुआ तो फलों के ऐसे श्राप लगेंगे कि अगले चुनाव के फल भी मंत्री जी की टोकरी से बाहर ही होंगे|

16 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

समसामयिक सार्थक पोस्ट ...

मुझे लगता है सरकार ने दिगंबर नासवा जी की गज़ल पढ़ ली है ...प्याज़ बन कर रह गया है आदमी ...
आदमी की कीमत तो नहीं बढ़ी पर प्याज़ की बढा दी है .. अब आदमी प्याज़ के हिसाब से अपनी कीमत लगा ले ....

अरुण चन्द्र रॉय said...

प्याज एक बढ़िया संसाधन बन गया है साहित्य के लिए.. आज की खबर सुन रहा था रेडियो पर व्यंग्य सा लग रहा था... मानो युध्ह की तैयारी हो.. बढ़िया व्यंग्य है विनोद भाई..

राज भाटिय़ा said...

विनोद भाई क्या नकली प्याज नही बन सकता....?

kshama said...

Kuchh din to pyaz ko dekhna bhi band karna hoga!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रिय बंधुवर विनोद कुमार जी
बहुत ख़ूब !
ग़ज़ब है प्याज और प्याज के छिलके …

# देखा है तेरी आंखों में प्याज ही प्याज बेशुमार …

# हमें तुमसे प्याज कितना , ये हम नहीं जानते , मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना

# प्याऽऽज… प्याज प्याज प्याज चाहिए, चाहिए थोड़ा प्याज चाहिए ऽऽऽ

:)

हरिभूमि में भी इस व्यंग्य आलेख के प्रकाशन पर बधाई !

~*~नव वर्ष 2011 के लिए हार्दिक
मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Satish Saxena said...

@ भाटिया जी,
यह सुझाव अच्छा लगा ...भाई लोग कुछ न कुछ जुगाड़ जरूर लगा रहे होंगे !

ZEAL said...

प्याज के लिए लोन लेना पड़ेगा बैंक से।

डॉ टी एस दराल said...

बढ़िया व्यंग ।
जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें ।

Sushil Bakliwal said...

प्याज की इस महामारी के दौर में ही-
अपने जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ भी स्वीकार करें...

संजय कुमार चौरसिया said...

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

सूर्य गोयल said...

गुफ्तगू की ओर से ब्लॉगर साथी विनोद जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाये और बधाई. कभी मेरी गुफ्तगू में भी शामिल होने का समय निकालेंगे तो अच्छा लगेगा.
www.gooftgu.blogspot.com

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

dhardar vyang..
gareebon ke pet par laat hi to mara ja raha hai..

हरकीरत ' हीर' said...

विनोद जी एक दिन और रुक कर आते तो दो केक एक साथ काट लेते ......

बधाईयाँ ......!!

प्याज की भी बधाईयाँ ....आपके आलेख से डरकर कुछ तो कम हुए .....

देवेन्द्र पाण्डेय said...

जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं....
आप यूँ ही प्याज छीलते रहें और आंसू पाठक की आँखों से निकलते रहें। हा..हा..हा...मैं कई बार से सोच रहा था कि आप को गद्य में लिखने की सलाह दूँ..चलिए अच्छा है आपने खुद ही हाथ साफ कर लिया।

अविनाश वाचस्पति said...

पब्लिक की सब सुन रहे हैं
नहीं सुन रहे व्‍यथा प्‍याज की

Patali-The-Village said...

बढ़िया व्यंग| बधाई एवम शुभकामनायें ।