अउर तिवारी कईसन हो,
बहुत दिनों के बाद मिले हो,
लागत हो दूबराय गये हो,
अब का करने को आए हो,
धरम-करम सब खाय गये हो,
अम्मा बाबू जब बीमार थे,
खबर नही तब लेने आए,
गुजर गये जब उ दूनो तब,
अब किसको का देने आए,
नेचर तनिको ना बदला है,
एकदम पहिले ज़ईसन हो,
अउर तिवारी कईसन हो,
बटवारे के टइम भगे थे,
सब कुछ बेच-बाच कर अपना,
सुंदर घर अच्छा परिवार,
टूटल तीउराइन क सपना,
बेटवा जब पलने में था,
तब आवारागर्दी सूझी,
कैसे पेट भरे बाबू जी,
तुमने नही ग़रीबी बुझी,
तब तो इतना अकड़ रहे थे,
अब काहे को अईसन हो,
अउर तिवारी कईसन हो,
दारू के चस्का में आकर,
सब रूपिया बिलवाय दिए,
देखत लागे भिखमंगा,
अब ई हालत पहुँचाय दिए,
तब तो तुम स्प्रिंग हुए थे,
काहे इतना सिकुर गये,
आज याद आइल परिवार,
एकदम से जब निपुर गये,
चेहरा इतना सुख गईल बा,
अस पियराइल बेसन हो,
अउर तिवारी कईसन हो,
चलअ ठीक बा आ गईलअ त,
वइसे भी घर तोहरे बा,
हाथ बटावा काम में घर के,
ई नाही की बईठ के खा,
अभी बहुत बा जिये के तोहे,
बढ़िया होई अगर जाग जा,
ई नाही की कुछ दिन रहके,
सुबह सबेरे उठअ भाग जा,
घर हो एक समर्पण स्थल,
घर ना कउनो टेशन हो,
अउर तिवारी कईसन हो,
28 comments:
और तिवारी कैसन हो ?...बढ़िया महाराज जी .
हमहु लिखे बचपन मा,
"चल चल गा तैं तिवारी आज हवय तोरे बारी,
झो्ला धर ले लोटा धर ले अऊ धर ले थारी
चल चल गा तैं ति्वारी आज हवय तो्रे बारी
जय होय तिवारी के
बढिया कविता लिखे रहे,तिवारी के सब पोल खुल गई
अउउर तिवारी जी कईसन हो..... बड़ा निम्मन लागल ई कौभिता ... अऊर रउवा के हाल-चाल ठीक बा ना ?
अउउर तिवारी जी कईसन हो..... बड़ा निम्मन लागल ई कौभिता ... अऊर रउवा के हाल-चाल ठीक बा ना ?
हिन्दी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के विकास में आपकी कविता महत्वपूर्ण है!
बढ़िया लिखा है!
कविता बहुत नीक लाग । ऐसै लिखत रही ।
अउर तिवारी कईसन हो,
अब तिवारी तो जैसन हैं वैसन हैं लेकित तुहार कवितवा..कोउन कोउन का कहानी समेटे है..बहुते नीक!!
वाह बहुत अच्छी लगी आपकी लिखी हुई भोजपुरी कविता! मैं झारखण्ड में पली बड़ी हूँ और मुझे भोजपुरी बोलना आता है और जब आस पास गाँव में जाती थी तो सब मुझे कहते थे " कईसन हो बिटिया..तनिक इधर तो आओं..का समाचार है तुहार? " आपकी कविता को पढ़कर मैं अपने जन्मस्थान यानि जमशेदपुर में लौट गई! काफी अरसे के बाद भोजपुरी पढने को मिला!
वाह विनोद जी, गजब की व्यंग्यबोध रचना.... लिखते रहिये.... साधुवाद...
इससे पहले वाली रचना भी अच्छी है पर इस भोजपुरी आंचलिकता ने मुग्ध किया ..
bahut accha likhte hain aap pande ji
वाह वाह विनोद जी बहुत सुन्दर ये नया प्रयास हर बार अलग रंग मे नज़र आते हैं । क्षेत्रीय भाशाओं की अपनी ही महक है । बधाई इस कविता के लिये
भोजपुरी में लिखी बेजोड़ कविता ....... हास्य, गंभीरता और कभी व्यंग का बान लिए एक शशक्त रचना ............. छिपे हुवे संदेश के साथ आपकी हास्य और व्यंग की रचनाएँ बहुत कमाल की हैं विनोद जी ...........
छा गइला भाई, बड़ा नीमन बात कइला
अरे भैइवा मजा आ गैल ई कविता सुन के । बहुत बहुत नीमन लागल इ रचना ।
का बतलाई पाण्डे तोहका
कैसन लागल हमें ई कविता
व्यंग्य बाण का बारिष चौचक
करूणा कऽ बहल हौ सरिता
फील गुड भयल हौ अइसन
मुख से निकसे वेरी गुड।
बहुतै नीक लागल बा, यह प्रयास बेहद सार्थक एवं सफल रचना के लिये आभार ।
घर एक समर्पण - स्थल है , परन्तु मजबूरी ही है जो
यहाँ से दूर कर देती है .. आपके तेवरी के साथ तो यही हो रहा है ..
लौट के बुद्धू घर तो आये पर उसके पाहिले तो क्या क्या गवां बैठे
हैं .. शायद बचपना , जवानी आदि ..
आपकी कविता में सहज भाव और लय का सुन्दर समावेश हुवा है ..
..................... आभार... ...
Sundar prayas...bhojpuri har boli ki jan hai.
bahute badhiya rachna ..
apni basha me hal chal puchle bani , aur ka chahi .
mithi churi , dooni kat
Wah bhaiya wah ...
Oh! Achha laga padhna...kuch arsa Varanasi me rahi thi...us karan rachna samajh me aayee...tazagee bharee kavita hai!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
Waah! Maza aa gaya bhojpuree padhke!
aalishaan pandey ji..bahut badiya prayas!!!!
kabiley taarif!!!!
वाह तिवारी जी कईसन हो ।
bahut khoob.
बहुत बढ़िया रचना .
Bahut badhiya lagee apakee yah bhojpuree vyangya kavita....hardik badhai.
अम्मा बाबू जब बीमार थे, खबर नही तब लेने आए, गुजर गये जब उ दूनो तब, अब किसको का देने आए
क्या बात है विनोद जी.
बहुत खूब विनोद जी... भोजपुरी में हास्य, गंभीरता और कभी व्यंग बान लिए एक शशक्त रचना बहुत ही सराहनीय बा .. कभी मौका मिले त www.jaibhojpuri.com नज़र कर देब .. उम्मीद बा की राउर दुसर रचना जल्दिये पढ़े के मिली
पंकज प्रवीण
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