Thursday, December 3, 2009

मेरी पहली हास्य भोजपुरी कविता:-आइए आप सब का मुलाकात कराते हैं, सुबह के भूले एक तिवारी जी से

अउर तिवारी कईसन हो,


बहुत दिनों के बाद मिले हो,

लागत हो दूबराय गये हो,

अब का करने को आए हो,

धरम-करम सब खाय गये हो,

अम्मा बाबू जब बीमार थे,

खबर नही तब लेने आए,

गुजर गये जब उ दूनो तब,

अब किसको का देने आए,


नेचर तनिको ना बदला है,

एकदम पहिले ज़ईसन हो,

अउर तिवारी कईसन हो,


बटवारे के टइम भगे थे,

सब कुछ बेच-बाच कर अपना,

सुंदर घर अच्छा परिवार,

टूटल तीउराइन क सपना,

बेटवा जब पलने में था,

तब आवारागर्दी सूझी,

कैसे पेट भरे बाबू जी,

तुमने नही ग़रीबी बुझी,


तब तो इतना अकड़ रहे थे,

अब काहे को अईसन हो,

अउर तिवारी कईसन हो,


दारू के चस्का में आकर,

सब रूपिया बिलवाय दिए,

देखत लागे भिखमंगा,

अब ई हालत पहुँचाय दिए,

तब तो तुम स्प्रिंग हुए थे,

काहे इतना सिकुर गये,

आज याद आइल परिवार,

एकदम से जब निपुर गये,


चेहरा इतना सुख गईल बा,

अस पियराइल बेसन हो,

अउर तिवारी कईसन हो,


चलअ ठीक बा आ गईलअ त,

वइसे भी घर तोहरे बा,

हाथ बटावा काम में घर के,

ई नाही की बईठ के खा,

अभी बहुत बा जिये के तोहे,

बढ़िया होई अगर जाग जा,

ई नाही की कुछ दिन रहके,

सुबह सबेरे उठअ भाग जा,


घर हो एक समर्पण स्थल,

घर ना कउनो टेशन हो,

अउर तिवारी कईसन हो,

28 comments:

Anonymous said...

और तिवारी कैसन हो ?...बढ़िया महाराज जी .

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

हमहु लिखे बचपन मा,
"चल चल गा तैं तिवारी आज हवय तोरे बारी,
झो्ला धर ले लोटा धर ले अऊ धर ले थारी
चल चल गा तैं ति्वारी आज हवय तो्रे बारी
जय होय तिवारी के
बढिया कविता लिखे रहे,तिवारी के सब पोल खुल गई

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

अउउर तिवारी जी कईसन हो..... बड़ा निम्मन लागल ई कौभिता ... अऊर रउवा के हाल-चाल ठीक बा ना ?

Mahfooz Ali said...

अउउर तिवारी जी कईसन हो..... बड़ा निम्मन लागल ई कौभिता ... अऊर रउवा के हाल-चाल ठीक बा ना ?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हिन्दी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के विकास में आपकी कविता महत्वपूर्ण है!
बढ़िया लिखा है!

अर्कजेश said...

कविता बहुत नीक लाग । ऐसै लिखत रही ।

Udan Tashtari said...

अउर तिवारी कईसन हो,


अब तिवारी तो जैसन हैं वैसन हैं लेकित तुहार कवितवा..कोउन कोउन का कहानी समेटे है..बहुते नीक!!

Urmi said...

वाह बहुत अच्छी लगी आपकी लिखी हुई भोजपुरी कविता! मैं झारखण्ड में पली बड़ी हूँ और मुझे भोजपुरी बोलना आता है और जब आस पास गाँव में जाती थी तो सब मुझे कहते थे " कईसन हो बिटिया..तनिक इधर तो आओं..का समाचार है तुहार? " आपकी कविता को पढ़कर मैं अपने जन्मस्थान यानि जमशेदपुर में लौट गई! काफी अरसे के बाद भोजपुरी पढने को मिला!

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह विनोद जी, गजब की व्यंग्यबोध रचना.... लिखते रहिये.... साधुवाद...
इससे पहले वाली रचना भी अच्छी है पर इस भोजपुरी आंचलिकता ने मुग्ध किया ..

Taarkeshwar Giri said...

bahut accha likhte hain aap pande ji

निर्मला कपिला said...

वाह वाह विनोद जी बहुत सुन्दर ये नया प्रयास हर बार अलग रंग मे नज़र आते हैं । क्षेत्रीय भाशाओं की अपनी ही महक है । बधाई इस कविता के लिये

दिगम्बर नासवा said...

भोजपुरी में लिखी बेजोड़ कविता ....... हास्य, गंभीरता और कभी व्यंग का बान लिए एक शशक्त रचना ............. छिपे हुवे संदेश के साथ आपकी हास्य और व्यंग की रचनाएँ बहुत कमाल की हैं विनोद जी ...........

अजय कुमार said...

छा गइला भाई, बड़ा नीमन बात कइला

Chandan Kumar Jha said...

अरे भैइवा मजा आ गैल ई कविता सुन के । बहुत बहुत नीमन लागल इ रचना ।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

का बतलाई पाण्डे तोहका
कैसन लागल हमें ई कविता
व्यंग्य बाण का बारिष चौचक
करूणा कऽ बहल हौ सरिता

फील गुड भयल हौ अइसन
मुख से निकसे वेरी गुड।

सदा said...

बहुतै नीक लागल बा, यह प्रयास बेहद सार्थक एवं सफल रचना के लिये आभार ।

Amrendra Nath Tripathi said...

घर एक समर्पण - स्थल है , परन्तु मजबूरी ही है जो
यहाँ से दूर कर देती है .. आपके तेवरी के साथ तो यही हो रहा है ..
लौट के बुद्धू घर तो आये पर उसके पाहिले तो क्या क्या गवां बैठे
हैं .. शायद बचपना , जवानी आदि ..
आपकी कविता में सहज भाव और लय का सुन्दर समावेश हुवा है ..
..................... आभार... ...

Amit Kumar Yadav said...

Sundar prayas...bhojpuri har boli ki jan hai.

Aparna Bajpai said...

bahute badhiya rachna ..
apni basha me hal chal puchle bani , aur ka chahi .

mithi churi , dooni kat
Wah bhaiya wah ...

shama said...

Oh! Achha laga padhna...kuch arsa Varanasi me rahi thi...us karan rachna samajh me aayee...tazagee bharee kavita hai!

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

kshama said...

Waah! Maza aa gaya bhojpuree padhke!

Aman Jain said...

aalishaan pandey ji..bahut badiya prayas!!!!
kabiley taarif!!!!

Asha Joglekar said...

वाह तिवारी जी कईसन हो ।

Yogesh Verma Swapn said...

bahut khoob.

महेन्द्र मिश्र said...

बहुत बढ़िया रचना .

पूनम श्रीवास्तव said...

Bahut badhiya lagee apakee yah bhojpuree vyangya kavita....hardik badhai.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

अम्मा बाबू जब बीमार थे, खबर नही तब लेने आए, गुजर गये जब उ दूनो तब, अब किसको का देने आए
क्या बात है विनोद जी.

praveen said...

बहुत खूब विनोद जी... भोजपुरी में हास्य, गंभीरता और कभी व्यंग बान लिए एक शशक्त रचना बहुत ही सराहनीय बा .. कभी मौका मिले त www.jaibhojpuri.com नज़र कर देब .. उम्मीद बा की राउर दुसर रचना जल्दिये पढ़े के मिली

पंकज प्रवीण