Wednesday, June 9, 2010

चोरबजारी,इतना ज़्यादा,मारामारी,इतना ज़्यादा-----(विनोद कुमार पांडेय)

चोरबजारी,इतनी ज़्यादा
मारामारी,इतनी ज़्यादा

उन्नत देश हो रहा यारो
पर बेकारी,इतनी ज़्यादा

मँहगाई बढ़-चढ़ कर बोले
मालगुजारी,इतनी ज़्यादा

निर्धन की नैनों में देखो
है लाचारी,इतनी ज़्यादा

चारो तरफ फँसी हैं पब्लिक
हाहाकारी,इतनी ज़्यादा

सत्ता-कुर्सी लोभी नेता
में मक्कारी इतनी ज़्यादा

इंसानों की इंसानों पर
पहरेदारी,इतनी ज़्यादा

धार हुई तलवार की फीकी
शब्द-दुधारी,इतनी ज़्यादा

उठती अंगुली सच्चाई पर,
दुनियादारी,इतनी ज़्यादा

उन पे बोझ बढ़े तो अच्छा
अपनी बारी,इतनी ज़्यादा

36 comments:

आचार्य उदय said...

आईये सुनें ... अमृत वाणी ।

आचार्य जी

honesty project democracy said...

बहुत ही उम्दा और आज के हालात का दर्दनाक और सच्चा विवरण.....

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

वर्तमान हालात का चिट्ठा प्रदर्शित करती
उम्दा रचना के लिए आभार

Udan Tashtari said...

वाह!! उम्दा गज़ल कही.

वाणी गीत said...

उन पे बोझ पड़े तो अच्छा
अपनी बारी इतना ज्यादा
वाह ...
खूब आईना दिखा दिया आपने ...

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

आपकी चिंता एकदम सही है मित्र. सहमत.

कविता रावत said...

उन पे बोझ पड़े तो अच्छा
अपनी बारी इतना ज्यादा
..Vartmaan haalaton ka sachha aina...
Bahut shubhkamnayne...

नीरज मुसाफ़िर said...

बहुत खूब पांडेय जी।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत खूब विनोद जी, शानदार प्रहार !
दो और लाईने मेरी तरफ से ;
लाल साड़ी की बात पर राजनीति
है गरमाई इतनी ज्यादा !
महंगाई और भरष्टाचार पर,
बेशर्माई इतनी ज्यादा

दिगम्बर नासवा said...

निर्धन की नैनों में देखो
है लाचारी,इतना ज़्यादा
उन पे बोझ बढ़े तो अच्छा
अपनी बारी,इतना ज़्यादा ..

यथार्थ को बहुत ही कम और सटीक शब्दों में लिखा है विनोद जी आपने .... आज की तस्वीर है .... निर्धन की इस लाचारी को कोई देखन नही चाहता ... बस सबको अपना बोझा ही सबसे भारी लगता है ... लाजवाब प्रस्तुति ...

स्वाति said...

उन्नत देश हो रहा यारोपर बेकारी,इतना ज़्यादा
मँहगाई बढ़-चढ़ कर बोलेमालगुजारी,इतना ज़्यादा
लाजवाब ...

Parul kanani said...

wah vinod ji..aaj ke sandarbh mein ye prasangik hi hai :)

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत शानदार गजल कही है विनोद भाई।
बधाई तो बनती है।
--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?

डॉ टी एस दराल said...

वाह भाई , छोटे छोटे मिसरों से बनी अद्भुत ग़ज़ल ।
बढ़िया है ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

सुंदर कटाक्ष.... ...

हरकीरत ' हीर' said...

छोटे छोटे मिसरे हैं
और तारीफ है इतनी ज्यादा ......??

क्या बात है विनोद जी .....!!

M VERMA said...

उन्नत देश हो रहा यारो
पर बेकारी,इतना ज़्यादा

हाँ बेकारी को देखकर तो यही लगता है कि उन्नत हो रहा है देश
बहुत सुन्दर

Sumit Pratap Singh said...

सुन्दर अभिव्यक्ति...

Mumukshh Ki Rachanain said...

जोर का झटका धीरे से
जोरदार सच बयानी................

हार्दिक बधाइयाँ इतने अच्छे सफल, प्रयास की............

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर

निर्मला कपिला said...

बहुत उमदा क्या बात है समाज काांउर व्यवस्था चेहरा खूब नंगा कर रहे हैं। बहुत सुन्दर । बधाई

योगेन्द्र मौदगिल said...

wah....

राजेश उत्‍साही said...

प्रिय विनोद भाई,आपके ब्‍लाग पर पहली बार आना हुआ। रचना पढ़कर अच्‍छा लगा। पर आदत से मजबूर हूं सो इतना कहते जा रहा हूं कि 'इतना ज्‍यादा' की जगह 'इतनी ज्‍यादा' ही सब जगह फिट बैठता है।

संजय भास्‍कर said...

खूब आईना दिखा दिया आपने ...

संजय भास्‍कर said...

वाह-वाह जी क्या शीर्षक है,शानदार

संपादक said...

rachnaen aamantrit...baba kanpuri ki bhi or any mitron ki bhi...
kalamdansh@gmail.com

Aruna Kapoor said...

majaak mein sachchaai!....bahut badhiyaa!

Satish Saxena said...

शाबाश विनोद,
बेहतरीन भावनाओं का इतना प्यारा सम्प्रेषण तुम्हारे जैसा अच्छे ह्रदय वाला ही कर सकता है ! इस रचना से तो लगता है कि अग्रिम जमात में बैठने लायक अभी से बन गए हो, जलन होती है यार काश यह हमने लिखी होती ...
अक्सर तुम्हे पढना भूल जाता हूँ ..बुड्ढे को माफ़ कर देना सो अपनी रचना मेल कर दिया करो भाई !
हार्दिक शुभकामनायें !

रचना दीक्षित said...

बहुत खूब!!!!!!!!!!!!!!!!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

विनोद कुमार पांडेयजी
अच्छी रचना है , बधाई !
हरकीरत 'हीर'जी के स्वर में मेरा भी स्वर मिला लें…
छोटे छोटे मिसरे लेकिन
बातें भारी , इतनी ज्यादा !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

विनोद एक बात मानना पडेगा, आपने हाल के दिनों में ग़ज़ल को भी खूब मांजा है.
"उठती अंगुली सच्चाई पर, दुनियादारी,इतनी ज़्यादा"... यह ग़ज़ल बहुत ज़ोरदार है.

बहुत ख़ुशी हुई आप जैसे स्नेहियों का ऐसा तेवर देख कर.

anshuja said...

bahut khoob samay samay pr samaj ko darpan dikhana sahityakaar ka sarvopari dayitva hai.....badhaai

hem pandey said...

सत्ता - कुर्सी लोभी नेता में मक्कारी इतनी ज्यादा'
- अभी अभी भोपाल गैस त्रासदी मामले में जाहिर हो चुकी है.

rashmi ravija said...

उठती अंगुली सच्चाई पर,
दुनियादारी,इतनी ज़्यादा
उन पे बोझ बढ़े तो अच्छा
अपनी बारी,इतनी ज़्यादा
हमेशा की तरह समाज की विसंगतियों को उजागर करती छोटी पर गहरे भाव लिए,पंक्तियाँ

Naveen Tyagi said...

bahut hi sundar prastiti hai.

ज्योति सिंह said...

उठती अंगुली सच्चाई पर,दुनियादारी,इतनी ज़्यादा
उन पे बोझ बढ़े तो अच्छाअपनी बारी,इतनी ज़्यादा
ati sundar tasvir khinch di aapke shabdo ne .umda

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

एकदम दिल को छू गयी गजल।
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भविष्य बताने वाली घोड़ी।
खेतों में लहराएँगी ब्लॉग की फसलें।