Friday, October 16, 2009

१६ अक्तूबर को प्रतिष्टित समाचार पत्र हरिभूमि के दिल्ली संस्करण में प्रकाशित व्यंग "चाँद पानी पानी क्यों हुआ?"


समस्त ब्लॉगर्स,कवियों और कहानीकारों को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.. दीवाली के शुभ अवसर पर आज हरिभूमि के दिल्ली संस्करण में मेरा लिखा व्यंग" चाँद पानी पानी क्यों हुआ?" प्रकाशित हुआ है..आप सब देखें और और अपना बहुमूल्य आशीर्वाद दें. इस उपलब्धि के लिए मैं आप सभी का बहुत बहुत आभारी हूँ जिनके आशीर्वाद और टिप्पणियों ने मुझे आत्मविश्वास दिया और मैं निरंतर लिखता गया. साथ ही साथ मैं अविनाश वाचस्पति जी का विशेष रूप से आभार व्यक्त करना चाहूँगा जिन्होने इस हास्य कवि को अपने मार्गदर्शन से एक व्यंगकार बना दिया..


चित्र के उपर क्लिक करें और व्यंग का आनंद उठाएँ.

20 comments:

महेन्द्र मिश्र said...

प्रकाशन पर बधाई
रोशनी के पर्व दीपावली पर आपको व् आपके परिजनों को हार्दिक शुभकामनाये . आपका भविष्य उज्वल प्रकाशमय हो ..

अविनाश वाचस्पति said...
This comment has been removed by the author.
राजीव तनेजा said...

व्यंग्य प्रकाशित होने पर बहुत-बहुत बधाई ...

दिपावली की अलग से बधाई...

भैयादूज की एक और बधाई...
अपनी तो दुआ है उस रब्ब से...उस मौला...उस परवदिगार से कि आप निरंतर नई ऊँचाईयों को चूमें और हम हर बार आपको बधाई देने दौड़े चले आएँ

Anonymous said...

Bhai vaah...

achha lagaa padh ke, umdaa vyangy..

badhaai!!

sang me diwali kee bhee shubhkamnayen..

अविनाश वाचस्पति said...

मैंने कुछ नहीं किया है
चांद को बतला दो उसको
पानी पानी करने में
उसमें पानी भरने में
या ढूंढने में कोई
दोष मेरा नहीं है
विनोद तो विनोद कर रहा है
नाम विनोद है इसलिए व्‍यंग्‍य कर रहा है
भला कभी किसी को व्‍यंग्‍यकार बनाया जा सकता है
मैंने तो सिर्फ विनोद को एक दिन कार पर चढ़ाया था
मुझे नहीं मालूम था कि यह बनेगा ऐसा व्‍यंग्‍यकार
कि पहले व्‍यंग्‍य से ही पहुंच जाएगा चांद के पार।

संगीता पुरी said...

आपके लिए तो दुगुणी खुशी का दिन है ये .. दोहरी बधाई स्‍वीकारें .. अपने लेखन से निरंतर नाम यश कमाते रहें .. हमारी शुभकामनाएं आपके साथ रहेंगी !!

SP Dubey said...

ब्यंग्य करते करते या लिखते पढ्ते स्वंय कब आदमी ब्यंग्य का पात्र बन जाता है पता ही नही चलता हमेसा सवधान रहना, वैसे लिखा बहुत सटीक और बढिया है
बधाई हो
दीपावली की शुभकामना

शरद कोकास said...

बधाई हि विनोद जी । दीप पर्व पर शुभकामनायें

M VERMA said...

बहुत बहुत बधाई प्रकाशन के लिये
दिवाली मंगलमय हो

Smart Indian said...

साल की सबसे अंधेरी रात में
दीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी

कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
झटकें सभी तकरार ज्यों आयी-गयी

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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

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आप को बधाई और दीपावली की शुभकामनाएं !!
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- सुलभ सतरंगी (यादों का इंद्रजाल)

दिगम्बर नासवा said...

बधाई विनोद जी .............
आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ...............

शेफाली पाण्डे said...

दीपावली की शुभकामनाएँ ....aur badhai

हरकीरत ' हीर' said...

धरती पर इंसानों की गिरी हुई करतूते देख चाँद पानी पानी हो गया .......बहुत खूब.....!!

mayank.k.k. said...

बहुत रोचक अंदाज़ में लिखा गया है. अब हम चन्द्रमा पर पहुँच गये हैं तो उसे पानी-पानी होना ही था. दीपावली, गोवर्धन, अन्नकूट, चित्रगुप्त पूजन तथा भैया दूज पर शुभ कामनाएं.

vikram7 said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

निर्मला कपिला said...

इसुअच्छे व्यंग को देर से पढ पाई मगर पढ ही लिया आभार बहुत अच्छा लगा शुभकामनायें

Mumukshh Ki Rachanain said...

चाँद भी पानी-पानी क्या हुआ, इन करतूतों से तो हम भी शर्म सार है
व्यंग ज़बरदस्त है..........ठहाकेदार है.......पर उस समझदार को शर्मसार भी कर जाता है, जिसने इन्सान को कभी ऐसा बनाते देखने की कल्पना न की होगी..

रचना के प्रकाशन की बधाई स्वीकार करें, अब मुंह मीठा क्या कराएं, दीपावली के चलते तो वैसे ही मुँह मीठा-मीठा ही होगा.....


चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

सदा said...

व्‍यंग्‍य प्रकाशित होने पर यही कहेंगे आप यूं ही निरंतर नित नई ऊंचाईयों को छुयें और हमें बधाई देने का अवसर मिले शुभकामनाओं के साथ ‘सदा’

Urmi said...

भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बहुत बधाई प्रकाशन के लिए ! आप बहुत बढ़िया लिखते हैं और मुझे बेहद खुशी हुई की आपका लेख प्रकाशित हुआ है! लिखते रहिये!