ये कविता है कुछ उन लोगों के लिए जिनका प्यार बस बातों की झूठी बुनियाद पर टिका रहता है और अंत में सारा तथ्य सामने आ जाता है..पूरा पढ़िए खुद समझ जाएँगे.
वैलेंटाइन स्पेशल पार्ट-१(प्रेम के शुरुआती दौर में निकले जज़्बात)
सुना था दोस्त बनते है,नये ख्वाबों में ख़यालों में,
कभी सोचा नही मैं भी, फसूँगा इन बवालों में,
मगर जब से मिली हो तुम,मिला एक दोस्त का फन,
मेरा दिल खुश तो है,लेकिन फँसा है कुछ सवालों में.
यहाँ सब दोस्त बनते हैं,मगर कब तक निभाते हैं,
सही बातें छुपाते हैं, बड़ी बातें जताते हैं,
अगर दिल से निभाओ तो, जहाँ सारा महक जाएँ,
नही कहते ये बातें हम,मेरे दादा बताते हैं.
लगेगा आपको की, जिंदगी भी मुस्कुराती है,
यहाँ बातें हँसाती है, यहाँ बातें रूलाती है,
इसी दुनिया में देखो तो, आपसे लोग रहते हैं,
जो अपने चार लफ़्ज़ों से नये रिश्ते बनाते हैं,
उजाला दिल को जो देता, तुम्हारा ही रवि हैं ये,
चमकते चाँद को देखा, लगा तेरी छवि है ये,
मेरा दिल भी धड़कता है तेरी हर एक आहट पर,
मेरे ज़ज्बात को समझो, नही आशिक, कवि है ये.
वैलेंटाइन स्पेशल पार्ट-२( दोस्ती टूटने के बाद के जज़्बात-लड़को के)
कई बातें कहीं जाती, हक़ीकत और होता है,
जान कर भी है फँस जाते, न दिल पर ज़ोर होता है,
चलो अच्छा हुआ, जो तुम गई उलझन गई मेरी,
आज कल देख के तुझ को, ये दिल भी बोर होता है,
मेरी किस्मत थी रूठी, जो तेरे चक्कर में मैं आया,
पलक थी बंद ये मेरी, नशा तेरा था बस छाया,
खुली आँखे लगा मुझको कहाँ से मिल गई थी तुम,
तुम्हे खो कर लगे मुझको, नई कोई खुशी पाया.
वैलेंटाइन पार्ट-३( दोस्ती टूटने के बाद के जज़्बात- लड़कियों के)
शक्ल ना देखते अपनी,तरस मुझ पर जो खाते थे,
कहाँ बातें गई वो सब जो दादा जी बताते थे,
मुझे पाए हुए थे कब, जो खो कर खुश तुम इतना,
तुम्हारी दिल की बातें थी, खुदी से जो बनाते थे.
13 comments:
विनोद जी अनुभव है तो हम आपकी हौसला-अफजाई करते है जो आपने साहस किया सभी को बताने का,
अनुभूति है तो आपको बधाई,एक अच्छी रचना की....
kunwarji
पार्टवाईज वैलेंटाईन को दिखाने के लिये और युवा दिलों को राह दिखाने के लिये धन्यवाद
सुन्दर
विनोद जी ;
एक किस्सा सुनाता हूँ ;एक दोस्त था, हरियाणा का ! जनाव की ऐसे ही वेलेंटाइन पे आँखे चार हुई, और झटपट शादी भी हो गई ! साल भर बाद मिले
तो जब हाल चल पूछे तो कुछ इस तरह बोला ( सही हरयाणवी नहीं लिख सकता इसलिए टूटी फूटी में ) ;
नू प्यार भी करे सै , दुलारती भी बहुत सै,
पर कम्वख्त गुस्से में मारती भी बहुत सै,
सूरत से तो भोली सै, पर है बड़ी जल्लाद सै,
और क्या इब तन्ने पीठ के घाव बताऊ कै ? :)
खैर, मेरी आपको शुभकामनाये ! देखने के दो नजरिये होते है, सकारात्मक और नकारात्मक
नकारात्मक कहता है कि गुलाब पे कांटे भी है
और सकारात्मक कहता है कि कांटो में गुलाब खिला है !
वाह विनोद जी बहुत ही बेहतरीन भावो के साथ कविता लिखी है आप ने ,, आज फिर मुझे कहना पड़ेगा जिनता इसमें हास्य पुट है उतनी ही संजीदगी भी हर लायन अपने में सार्थ अर्थ समेटे हुए
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
सुंदर प्रयोग..अच्छे भाव.
बहुत खूब तो आजकल आप भी वेलेन्टाई डे नामक बुखार से पीडित हैं हा हा हा \बहुत अच्छी लगी ये रचना आपकी नज़र हर रोज़ के मसले पर बहुत दूर तक देख लेती है। शुभकामनायें
लिखा ऐसा है तो वाह कहना ही पड़ेगा...वाह...
हा..हा..बहुत शानदार. लेकिन इस बार युवा-जोडे तो निराश हैं...वैलेन्टाइन डे रविवार को जो पड रहा है..
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया लगा ! बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! बधाई!
मुहब्बत इक तिजारत बन गई है,
तिजारत इक मुहब्बत बन गई है...
तिजारत (व्यापार)...
जय हिंद...
अच्छा...बहुत खूब।
सही लिखा विनोद जी .... प्यार को खेल समझने वाले ... हक़ीकत की धरातल से उड़ कर हवाई बातों वाला प्रेम कुछ ऐसा ही होता है ..... दोनो दृश्यों को सुंदर शब्दों में बाँधा है ........ बहुत सुघड़ लेखनी है आपकी ... बधाई .........
वेलेन्टाई डे का वायरस भारत मै कुछ ज्यादा ही पाया जाता है, बहुत मजेदार लिखा आप ने, धन्यवाद.
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