दोस्तों,मेरे ऐसे भाव से यह मतलब नही कि यह सब ग़लत है..मैने बस नज़रिए को सामने रखा और जैसा कि आप सभी अवगत होंगे कि मनोरंजन कराना भी मेरी कविताओं का एक खास एक उद्देश्य होता है तो कृपया इसे दूसरे अर्थ में ना लें. वैलेंटाइन डे एक प्रेम और स्नेह का दिन हैं,प्रेम का सही अर्थ समझने वाले सभी लोगों को हमारी ओर से इस दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जब वैलेंटाइन आता है,
दिल बाग-बाग हो जाता है,
सूने वीराने पतझड़ में,
हरियाली सी छा जाती है,
रिमझिम सी घटा बरसती है,
इस माध-पूस के सावन में,
मन किशन-कन्हैया हो जाए,
दीवानो के वृंदावन में.
करते हैं याद सभी वो दिन
जब साथ घूमने जाते थे,
हिलते-डुलते उन झूलों में,
वो भी पूरे हिल जाते थे,
पर पास में कोई रहता था तब,
झूठी हिम्मत शो करते,
अंदर से दिल घबराता था,
बाहर से हो-हो करते.
कुछ ऐसे वीर अभी भी है,
जो याद संजोए रहते है,
गत साल मिला जो सिला इन्हे,
बस उसमें खोए रहते है
इतने लाचार हैं आदत से
अब भी ये पगला जाते हैं,
गैरों की हरकत देख-देख,
खुद हरकत में आ जाते हैं
दिल की धड़कन मत ही पूछो,
दुगुने स्पीड से भाग रहा,
सारी दुनिया जब सोती है,
आशिक़ परवाना जाग रहा,
करवट बदले बिस्तर पर बस,
नैनों में नींद न रुकती थी,
खुद में उलझे, खुद में सुलझे,
यह देख चाँदनी हँसती थी,
यह प्यार का मारा आशिक़ है,
अपने ही उपर ज़ोर नही,
कितने झटके अब तक खाए,
फिर भी देखो कमजोर नहीं,
अब भी स्कूटर लेकर के,
मंदिर के पीछे जाता है,
बस एक झलक उसकी पाकर,
मन ही मन खुश हो जाता है.
16 comments:
हा हा हा विनोद जी बहुत खूब एकदम टाईम पर लिखी है ये रचना , मजा आ गया
अजय कुमार झा
मंदिर के पीछे जाता है,
बस एक झलक उसकी पाकर,
मन ही मन खुश हो जाता
वाह जी क्या बात कही है, बहुत सुंदर
धन्यवाद
ले लीजिए विनोद भाई मौसम का मजा ।
Wah wah!
बहुत खूब!!
दिल तो मेरा भी बाग बाग हुआ है. :)
वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !!
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"शब्द-शिखर" पर सेलुलर जेल के यातना दृश्य....और वेलेंटाइन-डे पर "पहला प्यार" !
शुभकामनाएं ,अच्छी प्रस्तुति.
वाह वाह बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने आज के इस ख़ास दिन पर!
वेलेंटाइन डे की शुभकामनायें !
सीटियाबाजों की पौ भी बारह हो जाती है..... वैलैंताइन डे पर ......
बहुत सही और सटीक कविता......
मैं भी कहूँ कि आज विनोद जी चुप कैसे हैं मगर अभी उठने लगी थी कि किसी ब्लाग से आपका प्रोफाईल देख कर क्लिक किया तो जान गयी कि आप चुप नही हैं बहुत अच्छा व्यंग और यथार्थ शुभकामनायें
ha ha ...dil garden garden ho gaya
priya vinod ji,
hahut hi badhiya kavita. shabdon me banarasi jhalk dikh rahi hai..maja
aa gayel.
poonam
नयी कविता सही टाइम पर आयी.....मजेदार कविता.....
sahi hai sir ji , itni jaandar kavita kah di aapne ... padhkar dil khush ho gaya.. aur post ki prastuthi bhi jaandar hai ...
aapka
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
बहुत सही . मज़ा आ गया.
padhkar man bhi baag baag hai :)
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