बढ़ गई कुछ लोगों की धड़कन,
कुछ की धड़कन मंद,
जब से चालू हुआ फ़रवरी,
बाकी बातें बंद,
बाकी बातें बंद इस कदर,
रहा न कुछ भी याद,
हुए फ़रवरी के चक्कर में,
लाखों जन बर्बाद,
लाखों जन बर्बाद,
मगर कोई फ़र्क नहीं,
प्यार बन गया है श्रद्धा,
कोई तर्क नहीं,
कोई तर्क नहीं,
बस रेस लगाना है,
१४ तारीख से पहले,
कुछ कर ही जाना है,
कुछ कर ही जाना है,
यहीं सोचते हैं,
पगलाए सर के बालों को,
स्वयं नोचते हैं,
स्वयं नोचते है बालों को,
बीते साल के आशिक़,
वैलेंटाइन के कारण,
जो जम कर खाएँ किक,
जम कर खाए किक इतना,
की हड्डी बोल पड़ी,
चेहरे का नक्शा बदला,
और आँखें गोल पड़ी,
आँखें गोल पड़ी,
जैसे कुछ हुआ अजूबा,
सागर का तैराकी,
चुल्लू में डूबा,
चुल्लू में डूबा इस बात का,
करता है एहसास,
जो रखता इस साल भी,
निज मन में विश्वास,
निज मन में विश्वास,
मगर चेहरे पर थोड़ा डर,
पिछला दर्द भुला कर देखो,
दौड़ रहा सुंदर,
दौड़ रहा सुंदर शायद,
बन जाए कोई कहानी,
ठहरी हुई जिंदगी को,
मिल जाए थोड़ी रवानी,
मिल जाए थोड़ी रवानी,
चाहे हो कोई भी साथ,
चाहे टाँग टूटे इस खातिर,
चाहे टूटे हाथ.
9 comments:
auron ka to nahin is valentine par aapki kismat juroor chamak jaye isi manokamna ke sath
गुरू इस बार कुछ नया तजुर्बा किया है। लेखनी के साथ, लेकिन दिल को अच्छा लगा।
आपकी रचना भी १४ को और जीवंत बनायेगी,आभार,.
सच में युवाओं के लिए ख़ास है फरवरी महीना....
Happy Valentines Day...
बहुत सही और सटीक कविता....
भाई ब्लोगवाणी पर तीन नापसंद देखा आपपर तो दौड़ते आया मैंने सोचा कि आप कब से हम जैसे हो गयें, कविता मस्त लगी ।
दिल तो बच्चा है जी...
जय हिंद...
MAI AAPKE BAT SE SAHMAT HU
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अच्छा व्यंग है विनोद जी ........... वैलेंटाइन डे, १४ फ़रवरी .......... सचमुच कुछ लोग पागलपन की हद तक गुज़र जाते हैं ........ ज़रूरी नही है इस दिखावे की ............ बहुत कमाल का लिखा है ...........
छ्न्द बद्ध, पर स्वछ्न्द कविता बहुत अच्छा लगा पढ कर ।
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