Thursday, June 28, 2012

इसकी टोपी उसके सर---(विनोद कुमार पांडेय)

एक लंबी खामोशी के बाद ब्लॉग पर आज के कॉरपोरेट सेक्टर के एक सबसे कारगर हथियार चमचागिरी पर एक हास्य-व्यंग रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ|


 इसकी टोपी उसके सर,है युग का खास हुनर,
 बन जाओगे खास बॉस के,लगे रहो बस इधर उधर |

 चमचागिरी के प्रथम पाठ से ही यह बात हुई पक्की 
 चापलूसी गर सीख गये तो होगी खूब तरक्की 
 जो साहब को हो पसंद,बस करना केवल काम वहीं
 उसकी खूब बुराई हाँको,जो साहब को जँचे नही


झूठ बोलकर करो प्रशंसा कह दो तुम महान हो सर |
बन जाओगे खास बॉस के,लगे रहो बस इधर उधर ||


कभी न काटो बात बॉस की जो कह दे वो वही सही,
कहे आम को वो ईमली तो तुम भी बोलो ईमली जी
थोड़ा करो दिखाओ ज़्यादा,मूलमंत्र है यह रट लो
जहाँ काम ज़्यादा करना हो किसी बहाने से हट लो


फँसने के हालात दिखे तो हो जाना तुम छूमंतर |
बन जाओगे खास बॉस के,लगे रहो बस इधर उधर ||


तुच्चा सा भी काम करो तो हल्ला खूब मचाना तुम
ऑफीस में हर एक कानों तक यह चर्चा पहुँचाना तुम
बहुत कठिन था काम मगर तुमने इसको अंजाम दिया
सर जी के निर्देशन में तुमने मेहनत से काम किया


सीखो इसको अमल करो इससे ही बढ़ता है नंबर |
बन जाओगे खास बॉस के,लगे रहो बस इधर उधर ||


बॉस से पहले आना रोज,बॉस के बाद ही जाना रोज
राजनीति पूरे ऑफीस की सर जी को समझाना रोज
और तनिक घुलमिल सकते हो अगर करो अच्छी आगाज़
एक मीटिंग ठेके पर रखो अगर बॉस हो दारूबाज


और मित्रता बढ़ेगी जब दोनो बैठेंगे पी-पी कर |
बन जाओगे खास बॉस के,लगे रहो बस इधर उधर ||