Tuesday, December 30, 2014

सूर्य अस्त पंजाबी मस्त---(विनोद कुमार पाण्डेय )

अजय देवगन जी ने इशारों -इशारों में "सूर्य अस्त पंजाबी मस्त " क्या कह दिया कि पंजाब सरकार तो एकदम से ही नशाखोरी ख़त्म करने पर लग गई । कभी-कभी सिनेमा वाले भी बढ़िया समाज सेवा का काम कर जाते हैं  

Sunday, December 21, 2014

साहित्यकार सचिन तेंदुलकर -----(विनोद कुमार पाण्डेय )

अभी पिछले सप्ताह सचिन तेंदुलकर जी ने अपनी आत्मकथा लिखी । आत्मकथा गद्य साहित्य की एक विधा है । इस प्रकार सचिन तेंदुलकर जी अब साहित्यकार भी बन गए ।

कितना आसान होता है एक राजनेता,खिलाडी,अभिनेता,समाज सेवक का एक प्रसिद्ध साहित्यकार बन जाना और बेचारा साहित्यकार आजकल तो ठीक से साहित्यकार भी नहीं बन पाता है और बन भी गया तो सिर्फ साहित्यकार ही रह जाता है ।

Wednesday, December 17, 2014

चींटी का आत्मविश्वास ------(विनोद कुमार पाण्डेय )

(लधुकथा ) जंगल के सभी जानवर एक पागल हाथी से परेशान थे । मीटिंग बुलाई कि क्या किया जाय पर कोई युक्ति न सूझी । तभी एक चींटी आगे आई और बोली तुम सब बेवजह परेशान हो , अभी तुम्हें मेरी शक्ति का अंदाजा नही है । ब्रह्माण्ड मै ही हूँ जो हाथी को ख़त्म कर सकती हूँ । चींटी के आत्मविश्वास को देखकर सभी को जानवरों को बड़ा शुकून मिला और सभी ने सर्वसम्मति से चींटी को हाथी की सुपारी दे दी ।
फिर क्या था उत्साही चींटी हाथी को मारने की नियत से हौसला बुलंद कर के आगे बढ़ी । योजना के मुताबिक रास्ते में बैठ गई कि हाथी के आते ही उसके लटके हुए सूढ़ में प्रवेश कर , उसे ख़त्म कर देगी । हाथी आया ,चींटी उसके सूढ़ में प्रवेश ही करने वाली थी कि हाथी को तेज छींक आ गई और तेज हवा के झोंके में चींटी लापता हो गई । सारे जानवरों के मुँह फिर से लटक गए । हौसला इतना टूट गया चींटी को ढूढ़ना भी मुनासिब नहीं समझें ।

ट्रैन लेट हो गई ----(विनोद कुमार पाण्डेय )

काश भारतीय रेल में कुछ ऐसी सुविधा होती कि हम ड्राइवर से कहते भाई चाहो तो सौ-पचास रुपये ज्यादा ले लो ,पर गाड़ी थोड़ा और तेज भगा लो 

कालाधन ----(विनोद कुमार पाण्डेय )

टी. वी. पर न्यूज देखकर यह ख्याल आया कि सरकार यदि थोड़ी ईमानदारी से मेहनत कर के ऐसे ही चार-छः यादव सिंह टाइप के लोगों को ढूढ़ निकाले तो उसका कालेधन वाला टारगेट ऐसे ही पूरा हो जायेगा  

Saturday, December 13, 2014

वाह रे सामान्य ज्ञान-----(विनोद कुमार पाण्डेय )

हमारा देश विविधता का देश है यह कथन अभी कुछ दिन पहले और मजबूत हो गया।इसी भारत में एक तरफ जहाँ बालक कौटिल्य अपनी अद्भुत सामान्य ज्ञान से पूरी दुनिया को चकित करता है ,वहीं दूसरी तरफ बिग बॉस की ऐतिहासिक खोज करिश्मा तन्ना नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्रपति बता कर सभी को हैरत में डाल दिया।इनके सामान्य ज्ञान पर मुझे कोई टिप्पणी नही करनी मै तो बस यही कहना चाहता हूँ कि आप लोग जरा भी आश्चर्य मत कीजिएगा यदि कल को इन्हें बिग बॉस का विजेता घोषित कर दिया जाय  

Wednesday, September 10, 2014

मन रे गा -----विनोद कुमार पाण्डेय

वाह रे मनरेगा । कारनामें पढ़ कर वैसे भी मन कह रह रहा है मन रे गा । विश्वस्त सूत्र की मानें तो कुछ दिन पहले मनरेगा के मजदूरों के नाम-सूची में बॉलीवुड के कुछ स्टार और राजनेताओं का नाम भी पाया गया । अगर विश्वस्त सूत्र पर भरोसा किया जाय तो ये बात बड़ी धुँआधार है ।परन्तु मेरी समझ से इसमें कोई खराबी भी नहीं है । इसके सकारात्मक पहलूँ पर कोई सोचता ही नहीं और हल्ला मचाना शुरू कर देते हैं । आज हर जगह ब्रांड और ग्लैमरस की बात चल रही है । जहाँ पर ग्लैमर होता हैं वहां मामला कुछ तेज चलता है और लोग उस विषयवस्तु पर फोकस करते हैं । अगर मनरेगा के अधिकारियों ने ब्रांड वैल्यू बढ़ाने के लिए सितारों के नाम का इस्तेमाल किया तो इसमें क्या हर्ज़ हैं,उन्हें तो सम्मानित करना चाहिए । सार्वजानिक स्थान पर माला पहनाकर इस विचार के लिए पुरस्कार भी देना चाहिए । ऐसे सार्थक कदम से मनरेगा योजना को बल मिलेगा । साथ ही साथ मजदूर भाई भी गौरव का अनुभव करेंगे ।

आप ही सोचिये अगर मनरेगा मजदूरों की लिस्ट में किसी मजदूर के नाम के आगे सचिन तेंदुलकर का नाम हो और उसके पीछे अमिताभ बच्चन का तो उसे कैसा महसूस होगा । उनके ख़ुशी का ठिकाना नहीं होगा और मनरेगा योजना की एडवर्टाइजिंग होगी ऊपर से । अधिकारियों की दूरदर्शिता के बारे में सोच कर मै खुद आश्चर्य चकित हो गया । ऐसी दिमाग लगाने वाले मनरेगा के अधिकारियों को मेरा व्यक्तिगत नमस्कार है । विश्वस्त सूत्रों को तो बस शोर मचाना है । आप विश्वस्त सूत्र हैं कम से कम आपको तो थोड़ा मंथन कर लेना था ।और अगर सितारों का सम्मिलित करने के पीछे मनरेगा के अधिकारियों का मकसद भ्रष्टाचार है तो फिर और क्या कहने । भाई उन्होंने तो सहज वहीं मार्ग अपनाया जिस पर उनके अग्रज चल रहें हैं । जब देश में हर जगह भ्रष्टाचार है,हर स्तर पर भ्रष्टाचार है तो उन्हें क्या बिरादरी से निकलनी है या डांट-फटकार सुननी है अथवा नौकरी गँवानी है । मै इस मामले में भी उनके स्वामीभक्ति की सराहना करता हूँ । इसका तीसरा पक्ष भी हैं वो यह कि क्या पता वाकई सचिन तेंदुलकर,अमिताभ बच्चन मनरेगा योजना में मजदूर कोई ही हो । आप समझे नहीं,मेरे कहने का मतलब कि नाम तो किसी की कॉपीराइट है नहीं । 

देश के शीर्ष व्यक्तित्व और मनरेगा के मजदूर का नाम एक भी हो सकता है । आजकल तो उपनाम का भी फंडा है तो हम इस पक्ष से भी इंकार नहीं कर सकते हैं । बात अगर इस विचार पर हो तो यह गौर करने की बात यह नहीं कि सितारों का नाम है बल्कि इस जाँच की जरुरत है कि सचिन तेंदुलकर और अमिताभ बच्चन,युवराज सिंह को दैनिक मजदूरी मिलती है कि नहीं । जाहिर सी बात है अगर सचिन और अमिताभ नाम सूची में हैं और उन्होंने ईमानदारी से काम किया है तो उनको मजदूरी मिलनी ही चाहिए। और हाँ अगर यह रुपया शीर्ष अधिकारियों के बटुए में जाती है तो उन्हें  बिठाकर प्रेम पूर्वक बातचीत करने की जरुरत है कि भाई मजदूरों के नाम पर इस प्रकार पैसे जेब में रखने के पीछे वास्तविक तर्क क्या है । पर सवाल यह कि यह प्रश्न पूछे कौन क्योंकि इस कार्य के लिए ईमानदारी व्यक्ति और पर्याप्त समय चाहिए और आजकल तो इन दोनों चीजों की भारी मात्र में कमी हैं । तो यहीं मान लेना ज्यादा सार्थक है कि यदि स्टार लोगों का नाम मनरेगा की मजदूर लिस्ट में हैं तो यह एक दूरदर्शिता है जिसका सुखद परिणाम यह है कि भविष्य में मनरेगा योजना का मामला ठीक रहेगा और अधिक से अधिक मजदूर और स्टार इस योजना से जुड़ेंगे और सभी का नाम होगा । क्योंकि आजकल सर्वलाभ पर सभी का ज्यादा ध्यान होता है ऊपर से कुछ लोग सिर्फ मजदूर का शत-प्रतिशत फायदा देशहित में उचित नहीं मानते हैं ।