चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में,
हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ
Wednesday, December 17, 2014
कालाधन ----(विनोद कुमार पाण्डेय )
टी. वी. पर न्यूज देखकर यह ख्याल आया कि सरकार यदि थोड़ी ईमानदारी से मेहनत कर के ऐसे ही चार-छः यादव सिंह टाइप के लोगों को ढूढ़ निकाले तो उसका कालेधन वाला टारगेट ऐसे ही पूरा हो जायेगा
No comments:
Post a Comment