(लधुकथा ) जंगल के सभी जानवर एक पागल हाथी से परेशान थे । मीटिंग बुलाई कि क्या किया जाय पर कोई युक्ति न सूझी । तभी एक चींटी आगे आई और बोली तुम सब बेवजह परेशान हो , अभी तुम्हें मेरी शक्ति का अंदाजा नही है । ब्रह्माण्ड मै ही हूँ जो हाथी को ख़त्म कर सकती हूँ । चींटी के आत्मविश्वास को देखकर सभी को जानवरों को बड़ा शुकून मिला और सभी ने सर्वसम्मति से चींटी को हाथी की सुपारी दे दी ।
फिर क्या था उत्साही चींटी हाथी को मारने की नियत से हौसला बुलंद कर के आगे बढ़ी । योजना के मुताबिक रास्ते में बैठ गई कि हाथी के आते ही उसके लटके हुए सूढ़ में प्रवेश कर , उसे ख़त्म कर देगी । हाथी आया ,चींटी उसके सूढ़ में प्रवेश ही करने वाली थी कि हाथी को तेज छींक आ गई और तेज हवा के झोंके में चींटी लापता हो गई । सारे जानवरों के मुँह फिर से लटक गए । हौसला इतना टूट गया चींटी को ढूढ़ना भी मुनासिब नहीं समझें ।
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