Monday, July 1, 2024

मुक्तक


मेरे पैरों में जो उभरे छाले हैं 

उम्मीदों को हर पल खूब उछाले हैं 

देते हैं बद्दुआ उम्र बढ़ जाती है  

मैने कुछ ऐसे भी दुश्मन पाले हैं

@विनोद पाण्डेय 

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