मेरे पैरों में जो उभरे छाले हैं
उम्मीदों को हर पल खूब उछाले हैं
देते हैं बद्दुआ उम्र बढ़ जाती है
मैने कुछ ऐसे भी दुश्मन पाले हैं
@विनोद पाण्डेय
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चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ
मेरे पैरों में जो उभरे छाले हैं
उम्मीदों को हर पल खूब उछाले हैं
देते हैं बद्दुआ उम्र बढ़ जाती है
मैने कुछ ऐसे भी दुश्मन पाले हैं
@विनोद पाण्डेय
#muktak #मुक्तक #kavivinodpandey #hindishayari #poetry #poetrycommunity
कल रविवार शृंखला में अपना एक मुक्तक प्रस्तुत करना था l अति व्यस्तता में सम्भव नहीं हो पाया l
आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ ,पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया प्रदान कर हौसला आफ़ज़ाई करें 🙏
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मुक्तक - 4
हालात बड़े ही बुरे दिखने लगे हैं अब
जनता गुहार कर रही,सरकार संभाले
सरकार इसी कश्मकश में जूझ रही है
बीमार संभालें या बाजार संभालें
---विनोद पाण्डेय