पिता,पवित्र पावन ईश्वरीय आविष्कार है,
पिता,त्याग-तपस्या का मानवीय अवतार है.
संसारिक सुख-दुख की आंख-मिचौली में,
पिता,धैर्यशील जीवन का धारणीय विचार है.
पिता, खिलते बचपन का,उत्प्रेरक उपकरण है,
पिता,पुत्र की हर्षित काया का उल्लासित वरण है.
पथ प्रदर्शक, मुश्किलों को आसान बना दे जो,
पिता, प्रेरणा का असीम स्रोत, शोक का हरण है.
पिता, प्यार है, पिता छांव है, पिता दर्पण है,
पिता, के चरणों में समस्त खुशियां अर्पण हैं.
पिता, अमूल्य, विशेष और अलंकारित शब्द है,
पिता, एक संज्ञा ही नहीं, पिता एक समर्पण है.
पिता,भगवान को धरा पर लाने का सार्थक प्रयास है,
पिता,सफल,लक्ष्यपूर्ण,उत्साहित जीवन की अटूट आस है.
हमारे सदगुणों के निर्माणकर्ता के प्रतिनिधि स्वरूप,
पिता,अविस्मरणीय, कालजयी अपठित उपन्यास है.
पिता,दिशाहीन डगमगाते कदमों पर प्रथम आपत्ति है,
पिता,कर्तव्य,मर्यादा, अनुशासन की सुंदर अभिव्यक्ति है.
पिता, के कठोर शब्दों में भी मधुर सीख निहित है,
पिता, वास्तव में सब कोमल भावनाओं के सहित है.
पिता, अनायास प्रेम प्रदर्शन में मूक होता है,
पर पिता, अंतर्मन से अत्यंत भावुक होता है .
दर्द भी सहता है, कभी-कभी आँसू भी पीता है
जब कभी कोई बच्चा जीवन में कुछ खोता है.
जिसने सांसारिक संघर्षों से जूझने की कला सिखायी,
जिसके कंधे पर बैठ कर , मंदिर की घंटियां बजायीं,
जो मेले की भीड़ से गुब्बारे फूटने से बचा कर लाते हैं,
पिता, हमारी खुशी के लिए हाथी ,घोड़े भी बन जाते हैं.
पिता,जिनकी उंगली पकड़ कर हमने,रास्ते जाने,
वास्तविक जिंदगी के माने, समझे और पहचाने.
लम्बे सफ़र में, दो पल उन्हें भी अर्पित कर दो,
जिनकी बदौलत चलें हैं हम अपनी मंज़िल पाने
पितृ स्नेह जैसा कोई,मरहम नही हो सकता,
भावना का प्यार कभी, कम नहीं हो सकता.
सभी रिश्तों से परे है,ये बंधन अटूट प्यार का,
पिता,का अध्याय कभी,ख़तम नही हो सकता.
पिता की यादों के साथ बार-बार,
अपने बचपन में आवागमन करता हूं.
अपने ही नहीं विश्व के समस्त पिताओं को,
सिर झुका कर सादर नमन करता हूं.
25 comments:
आपकी कविता अच्छी है
जिसमें भावनायें सच्ची हैं
पर सच्चाई बदल रही है
पिता के कारनामे देखिए
करतूत बनकर आ रहे हैं
पुत्र/पुत्रियों को ही नहीं
खुद को भी शर्मसार
करते न लजा रहे हैं।
प्रिय विनोद भाई,
जैसा मैंने पहले भी कहा था । आपके विचार बहुत सुंदर हैं। पर इसमें भाषा की गलतियां हैं। आप फिर से एक बार पढें और देखें।
bahut badiya dost.dil khush kar diya
bahut sundr bhav liye hai aapke yh post .
Kya baat hain pandey ji , dil khush ho gaya....
Atyant bhavpurna.
आप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
भाव-भरी कविता.
बहुत सुन्दर।
बधाई।
aapki kvita ki jitni tareef ki jay kam hai. likhne vaalon ko ek nai disha deti hai. dilse badhai.
मैने शायद ही कोई ऐसी रचना पिता के लिये पढी हो अद्भुत सुन्दर बहुत बहुत शुभकामनायें
pita par aapne bahut hi sunder shbdon main rachna likhi hai.......BADHAI
पित्र दिवस पर सुन्दरभावाभिव्यक्ति
धन्यवाद
आप लिख ही नहीं रहें हैं, सशक्त लिख रहे हैं. आपकी हर पोस्ट नए जज्बे के साथ पाठकों का स्वागत कर रही है...यही क्रम बनायें रखें...बधाई !!
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"शब्द-शिखर" पर देखें- "सावन के बहाने कजरी के बोल"...और आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाएं !!
पिता को समर्पित आपकी कविता बहुत सराहनीय है!
nice
पितृ महिमा को बहुत सुंदर ढंग से वर्णित किया है आपने। मैं आपकी लेखनी का नमन करता हूं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
विनोद जी,
पितृ दैवोभवः !
दिल को छू लेने वाली पोस्ट।
मुकेश कुमार तिवारी
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
"हिन्दीकुंज"
दिल को छूने वाली रचना...........
पिता के प्यार को समर्पित पोस्ट
वाह! अद्भुत!!
पिता को समर्पित ऐसी ही एक कालजयी रचना ओम व्यास जी की कभी हृदय से नहीं जाती:
http://pryas.wordpress.com/2008/01/20/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%A4%E0%A5%8B-%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF/
यह रचना उसी का विस्तार है
और हर उस व्यक्ति के लिए पूजा
जिसे अपने माँ बाप से प्यार है.
-बहुत बहुत बधाई.
aaj aapkee rachna dobara fir padi....ek bar phir dil se badhai.....
मां पर तो अनगिनत कवितायें लिखी गयीं
किन्तु पिता पर बहुत कम लिखा गया !
बहुत भावपूर्ण कविता
आज की आवाज
आपका ब्लॉग नित नई पोस्ट/ रचनाओं से सुवासित हो रहा है ..बधाई !!
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आयें मेरे "शब्द सृजन की ओर" भी और कुछ कहें भी....
Papa the great....a good gift to all fathers on the occasion of father's day....love u papa...
लिल्लाह सभी युवाओं को यह सोच दे
श्याम सखा
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