समस्त भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई,आइए एक सूक्ष्म समीक्षा के साथ, आज़ादी पर्व मनाते हैं.
आज़ादी का पर्व मनाओ,जय भारत जय बोल कर,
है,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान ,
भारत देश महान.
आज़ादी बस नाम का है,जित् देखो तित लाचारी है,
धनी धनों से खेल रहा है,निर्धन बना भिखारी है,
बंदिश में भगवान यहाँ,और क़ैद में यहाँ पुजारी है,
नज़रें डरी डरी रहती हैं,चारो ओर शिकारी है,
देश की हालत परख सको तो,परखो थोड़ा डोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,
जूझ रहें हैं सब जीने को,कैसी है यह युग आई,
एक तरफ पानी की किल्लत,एक तरफ है मंहगाई,
आँसू सूख गये अम्बर के,धरती भी है शरमाई,
भरा पड़ा था जहाँ खजाना,वहाँ भी कंगाली छाई,
पीने का पानी भी मिलता है,भारत मे तोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,
पूछो खुद से यह कैसी,आज़ादी की परिभाषा है,
धर्म क़ैद में,जाति क़ैद में,क़ैद मे घुटति भाषा है,
चार दीवारी मे दब जाती,लाखों की अभिलाषा है,
आज़ादी के नाम पे मिलता, उनको सिर्फ़ हताशा है,
आज़ादी का रूप यही है,बोलो हृदय टटोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,
सुबह जो निकाला घर से,क्या वो शाम को वापस आएगा,
आतंको से देश हमारा कब, छुटकारा पाएगा,
यह भय दूर हो जब मन से,आज़ाद देश हो जाएगा,
तब जाकर सच्चे वीरों का, सपना सच कहलाएगा,
जिस आज़ादी के खातिर वो,जहर पिए थे घोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,
भगत सिंह,आज़ाद को सोचो,उनको नमन करो जाकर,
आज़ादी का अर्थ पढ़ो फिर,पहरे से बाहर आकर,
सत्य सनातन कभी डरे ना,किसी झूठ से भय पाकर,
मन की चलो बेड़ियाँ काटो,मन मे आज़ादी लाकर,
नाम करो भारत भूमि की,निज जीवन अनमोल कर,
हैं,कितने आज़ाद यहाँ हम,देखो आँखे खोल कर,
जय जय हिन्दुस्तान,
भारत देश महान,
25 comments:
जय हिंद ! जय भारत !
हम अपने आपको आज़ाद करना नही चाहते ..इसलिए आज़ाद नही हैं ..!
कई साल पूर्व ,जब , पर्यावरण वाद ये शब्द भी शायद अस्तित्व नही था , गाँधी जी ने नेहरू को कहा था ,' गंगा जमुना सरस्वती, ' या अन्य कोई भी नैसर्गिक संपती किसी अकेले के उपभोग के लिए नही है ..हमें उतनाही इस्तेमाल करना चाहिए ,जितनी ज़रूरत हो ..
आज सबसे बड़ा प्रश्न है इस देश की लोकसंख्या का..क्या हम निजी तौर से कुछ भी जन जागृती करते हैं? क्यों हर वक्त 'ये किसी और की करने की बातें हैं' ऐसाही सोचते हैं?
हम अपनी ओरसे इस देशको बेहतर बनने के लिए क्या कर सकते हैं ,आज ये सोचना है ...आज हमें अंतर्मुख होना है ..
आपने एक अच्छा सवाल उठाया..लेकिन अब हम दर्शक बनके नही रह सकते ...तमाशाई बनके नही बैठ सकते ....कुछ कर गुज़रने की बातें /प्रण हमें करना होगा ! हमारी माता को यही तोहफा देना होगा! वरना तो अगला आतंकी हमला दूर नही...
बहुत सुंदर गीत।
मन के भावों की गहराई से
बनकर आया है
सच्चाई सामने लाया है
इसमें फिल्मी गीत बनने की
सारी संभावनाएं हैं
सिर्फ एक छोड़कर
विनोद का संपर्क
फिल्मवालों से नहीं है।
आज़ादी के अलावा और भी बहुत कुछ मांगता है आम आदमी.
भाई वाह आपका भी कोई जवाब नही है बहुत ही सुन्दर देश भक्ति रचना करी है ........आपकी रचनाओ का एक बहुत ही बडी खाशियत है कि आप देश दुनिया के बारे मे बडी ही सहजता से बयान कर जाते है ........एक अदभूत रचना भी कर जाते है .............जो कि मुझे बहुत ही पसन्द आती है .........आपके अन्दर एक बहुत बडा चिंतक नजर आता है आप बहुत आगे तक जायेंगे .......मेरी भगवान यही प्रार्थना है कि आपकी लेखनी को ताकत दे .....बधाई एक खुब्सूरत रचना के लिये
प्रणाम मित्र देश के दर्द को बखूबी व्त्यक्त किया है आपने ,,
मै भी दोवैराग शब्द जोडूगा
मानवता घुट घुट जीती हो क्या वो आजादी है ,,,
समता आसूं पीती हो क्या वो आजादी है ,,,
जन जन में आक्रोश भरा हो , गुस्सा छाया हो ,,
गैरत बेचीं हो जिसने ,वो भारत का सरमाया हो
मेरा प्रणाम स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
Rrgards
•▬●๋•pŕávểểń کhừklá●๋•▬•
9971969084
9211144086
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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INDIAN DEITIES
bahut hi sundar rachna.dil se badhaai!
vinod ji ne desh ki aajadi ke bad ke halat apni poem me show kiya hai, hamare sheedo ne ye kabhi nahi soch tha.Vinod ji aap sach me bahut aacha likhete hai.We love you.
इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई...
जिस आजादी की खातिर वो जहर पीए थे घोलकर
हैं कितने आजाद यहां पर देखों आंखे खोलकर
क्या खूब लिखा आपने !!
आपको जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाईयां !!
भाई जी,
आपने अपनी कविता में सिद्ध ही कर दिया कि हमारी समस्याएं आजादी के बाद कम नहीं हुई हैं बल्कि बढ़ी ही हैं.
हमने तरक्की नहीं अवनिति की है. स्वतंत्र भारत के लोग अपने आज़ादी के सिपाहियों के सपनो के भारत को अब तक तो मूर्त रूप दे ही न सके और हालत यही रहे तो शायद कभी दे भी न पायेंगें.
सुन्दर, तथ्यपरक, समसामयिक कविता पर हार्दिक बधाई.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. "शब्द सृजन की ओर" पर इस बार-"समग्र रूप में देखें स्वाधीनता को"
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ...जय हिंद !!
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.
स्वतंत्रता रूपी हमारी क्रान्ति करवटें लेती हुयी लोकचेतना की उत्ताल तरंगों से आप्लावित है।....देखें "शब्द-शिखर" पर !!
aaj is kavita ko padkar aaj hum fir sochane par majboor ho gaye aa khir kis aur ja raha hai humara desh? vinod ji aap ki soch aur kalam mai jadoo hai, aap bahut paraseedhhi payega, humari shubhkamnaye aapke saath hai.
इस सबके बावजूद शुभकामनाएं विनोद जी, 62 साल हो गए देश को आजाद हुए..इस उम्मीद के साथ शुभकामनाएं कि आजादी के सही मायने जीने की सालगिरह हम लोग जल्द ही मनाएंगे..
पूछो खुद से यह कैसी,आज़ादी की परिभाषा है,
धर्म क़ैद में,जाति क़ैद में,क़ैद मे घुटति भाषा है,
चार दीवारी मे दब जाती,लाखों की अभिलाषा है,
आज़ादी के नाम पे मिलता, उनको सिर्फ़ हताशा है,
- सजीव चित्रण.
बहुत अच्छा गीत हुआ है विनोद जी. मुल्क की सही तस्वीर खींची है आपने.
वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
lajawaab.........Vinod ji......bahoot hi talkh tarike se aapne likha hai....sach likha hai hum apne aap ko aazaad kahte hain par sachmuch kya hum aazaad hain....is rachna ki jitni bhi taareef kari jaaye kam hai...bahoot hi shashakt likha hai...
pandey ji !!
bahut sahi likha hai
shubhkamnaon ke sath
renu
Is prabhavi rachna ke liye badhai swikaren.
जिस आजादी की खातिर वो जहर पीए थे घोलकर
हैं कितने आजाद यहां पर देखों आंखे खोलकर
बहुत सटीक अभिव्यक्ति है शायद इस पर आज सभी शहीद और देश भक्त शर्मिन्दा हैं आभार्
जय जय हिन्दुस्तान।
( Treasurer-S. T. )
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