Tuesday, October 20, 2009

बेटे की शादी में अनोखे लाल जी का हंगामा


आज प्रस्तुत करता हूँ,हिन्दी की एक विशुद्ध हास्य कविता जो अभी कुछ दिन पहले लिखी थी थोड़ी व्यस्तता के वजह से कुछ नया नही ला पाया परंतु उम्मीद करता हूँ की यह प्रस्तुति भी आपके मनोरंजन में कोई कसर नही छोड़ेगी..


बदली बदली सूरत थी ,बदली बदली चाल,
बेटे की शादी करने, जब चले अनोखे लाल.

रंगदार कुर्ता बनवाएँ, चूड़ीदार पाजामा,
बाँधे घड़ी टाइटन की, जो दिए थे बंशी मामा,
फुल पॉलिश से चमक रहा , पैरों में काला जूता,
पगड़ी सर पर शोभे, जैसे पंचायत के नेता,

दाढ़ी-मूँछ सफाचट करके, रंग डाले कुल बाल,
बेटे की शादी करने, जब चले अनोखे लाल.


एक मारुति मँगवाए थे, अपने लिए अकेले,
बगल गाँव से बुलवाए थे,तीन लफंगे चेले,
बात बात जयकारी, सब पट्ठो से लगवाते थे,
बीड़ी जला ले,वाला गाना, बार बार बजवाते थे,



ठुमका लगा-लगा कर अपना, हाल किए बेहाल,
बेटे की शादी करने, जब चले अनोखे लाल.


समधी के घर दरवाजे पर, धमा-चौकड़ी खूब मचाए,
जम कर के जलपान किए,फिर पान भाँग के खाए,
लगे झूमने फिर आँगन में, देख घराती थे हैरान,
ज़ोर ज़ोर से बोल रहे थे, मुँह में लेकर मगहि पान,


थूक दिए समधिन के उपर, जम के मचा बवाल,
बेटे की शादी करने, जब चले अनोखे लाल.
समधिन ने दो दिए जमा के, गाल हो गये लाल
बेटे की शादी करने, जब चले अनोखे लाल.

26 comments:

संगीता पुरी said...

खुद को बेटे का बाप समझकर हंगामा करने चले थे .. आजकल लडकियों के मां बाप के भी भाव कम नहीं .. अच्‍छा मजा चखाया उन्‍होने !!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपने बढ़िया अनुभव अपनी कविता में प्रकट किया है।
बधाई हो! विनोद कुमार पांडेय जी!!

मनोज कुमार said...

पढ़कर लोट-पोट होने लगा। आपके प्रयास का जवाब नहीं ! बधाई स्वीकारें।

राज भाटिय़ा said...

अनोखे लाल बेचारे....:) लेकिन छोरे के हाथ पीले हुये कि नही??

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

थूक दिए समधिन के उपर, जम के मचा बवाल,
बेटे की शादी करने, जब चले अनोखे लाल.
समधिन ने दो दिए जमा के, गाल हो गये लाल
बेटे की शादी करने, जब चले अनोखे लाल.

hahahahahahaha............ bechare anokhe lal...... aakhir kar hi liye apne gaal laal......... hahahahaha

mehek said...

ha ha bahut hi mazedar kavita,haste haste bura haal bana gayi,waah

Khushdeep Sehgal said...

समधन ने कैसा किया गजब कमाल
घर में मुंह छिपाए बैठे हैं अनोखे लाल...

जय हिंद...

M VERMA said...

बहुत मजेदार!
हा हा हा हा

ओम आर्य said...

VINOD JI
BEHAD KHUBSOORATA RACHANA HAI .......
OUR IS RACHANAA ME HAASY KE SAATH EK SANDESH BHI HAI BADALATE SAMAAJIK PARIWESH KA .......OUR HAASY BHI BAHUT HAI ........EK CHITRA BHI KHICHATI CHALATI HAI AAPAKI RACHANA.....BADHAAI

ओम आर्य said...

EK BAAT OUR KAHUNGA YAH RACHANA MANCH SE PRASTUT KARANE LAAYAK BAN PADI HAI ......WAISE AAPAKI RACHANA AISI HOTI HAI JINHE MANCH SE PRASTUT KIYA JAYE. BEHAD KHUBSOORAT RACHANA.

शरद कोकास said...

हास्य कविता पढ़ने का भी एक आननद है ।

Arvind Mishra said...

यह हास्य है या विद्रूप ?

Yogesh Verma Swapn said...

bahut hi badhia, umda vyanga hai.

दिगम्बर नासवा said...

अनोखे लाल को तो जमा दिया आपने पर अकाल ठिकाने आ गए होगी उनकी झापड़ खाने के बाद ........... अच्छा हास्य है ........... मज़ा आ गया विनोद जी ......

अजित गुप्ता का कोना said...

समधन के थप्‍पड मारने के बाद विवाह सम्‍पन्‍न हुआ क्‍या? रोचक रचना, बधाई।

वन्दना अवस्थी दुबे said...

समधिन से अच्छा तोहफ़ा पाये अनोखेलाल...मज़ा आ गया.

निर्मला कपिला said...

हा हा ह ा अनोखे लाल पर अनोखी पोस्ट बधाई शादी हो तो ऐसी शुभकामनायेम

Mishra Pankaj said...

रंगदार कुर्ता बनवाएँ, चूड़ीदार पाजामा,
बाँधे घड़ी टाइटन की, जो दिए थे बंशी मामा,
फुल पॉलिश से चमक रहा , पैरों में काला जूता,
पगड़ी सर पर शोभे, जैसे पंचायत के नेता,

विनोद जी रचना सुन्दर है
एक निवेदन है
आप फालोवर की सुविधा लगवा ले तो हमें आपके ब्लॉग पर पहुचने में आशानी होगी

Mishra Pankaj said...

एक मारुति मँगवाए थे, अपने लिए अकेले,
बगल गाँव से बुलवाए थे,तीन लफंगे चेले,
बात बात जयकारी, सब पट्ठो से लगवाते थे,
बीड़ी जला ले,वाला गाना, बार बार बजवाते थे,

ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha
mast hai bhaai

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हा-हा-हा... बेचारा अनोखे लाल, समधिन के भी दो खा लिए तो जूतों की पोलिस और बाल रंगाई तो सब बेकार हो चले !

शेफाली पाण्डे said...

विनोद से परिपूर्ण कविता ...

Urmi said...

बहुत ही बढ़िया रचना लिखा है आपने ! बेचारे अनोखे लाल!

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह.... बेहतरीन रचना का पुनर्पाठ... साधुवाद..

Mumukshh Ki Rachanain said...

हिंदी की विशुद्ध हास्य कविता.............

फुल पालिश ,

के आलावा सब कुछ विशुद्ध हिंदी

अनोखी और मज़ेदार रही शादी

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

शोभना चौरे said...

bahut aannd a gya jaise bheeshn grmi barish ki thandi fuhar.

Akanksha Yadav said...

Very Interesting.