Saturday, September 17, 2011

देते है सिरदर्द वहीं जो,बनते झंडू बाम है----(विनोद कुमार पांडेय)

एक छोटे से अंतराल के बाद आज फिर से अपने चिर-परिचित विधा में कुछ लिखने का प्रयास किया हूँ| आज की परिस्थितियों पर एक शुद्ध हास्य-व्यंग्य गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ|उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी|धन्यवाद|

दर्शन उतने ही छोटे हैं,जितने उँचे नाम हैं|
देते है सिरदर्द वहीं जो, बनते झंडू बाम है||

गंगाजल सा वो पवित्र है,जिसका कोई चरित्र नही
अधनंगे है चित्र टँगे, फिर भी कुछ कहीं विचित्र नही
है दुर्गंध लोभ-लालच की, अपनेपन की इत्र नही
भले सुदामा मिल जाए पर, कृष्ण के जैसे मित्र नही

लुच्चो की है मौज यहाँ,अच्छों की नींद हराम है|
देते है सिरदर्द वहीं जो बनते झंडू बाम है||

जितने मुँह उतनी बोली है, बिना रंग की रंगोली है
द्विअर्थी संवादों में बस सिमटी,हँसी ठिठोली है
बाँट रहे है ज्ञान मूर्ख, और विद्वानों की झोली है
जनता जिनका तिलक कर रही,वो चोरों की टोली है

उनके उतने ही उँचे कद,जो जितना बदनाम है|
देते है सिरदर्द वहीं जो, बनते झंडू बाम है||

जल्दी में है सारी जमघट,सब कुछ यहाँ फटाफट है
अमन-शांति कहीं-कहीं है,नेकी,दया सफाचट है
वहीं समर्पण है सब जन का,जिधर माल की आहट है
प्यार,मोहब्बत,रिश्ते,नाते सब में यहाँ मिलावट है

बीस ग्राम है शुद्ध-शुद्ध और घपला अस्सी ग्राम है|
देते है सिरदर्द वहीं जो बनते झंडू बाम है||

15 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सार्थक और सटीक व्यंग...

डॉ टी एस दराल said...

पांडे जी बहुत बढ़िया हास्य व्यंग गीत लिखा है ।
लेखन में निखार आ रहा है ।
बधाई ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हास्य के साथ तीक्ष्ण कटाक्ष ...बहुत बढ़िया

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत सटीक व्यंग,बढ़िया.

रेखा said...

हास्य और कटाक्ष का मिलाजुला तड़का .....

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत बढ़िया .... सटीक व्यंगात्मक पंक्तियाँ

Smart Indian said...

सामयिक रचना!

संजय भास्‍कर said...

पांडे जी
बहुत सार्थक और सटीक व्यंग

निवेदिता श्रीवास्तव said...

सटीक व्यंग.......

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.



विनोद भाई
बढ़िया गीत लिखा है … बधाई !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बढ़िया, गेय व्यंग्य रचना ...
देश और समाज का यथार्थ दर्शन कराती तीखी कविता

Varada said...

Good one. Great read! :)

~Varada

वीरेंद्र सिंह said...

Bahut badhiya hai Vinod ji!

Satish Saxena said...

तुम्हारी सरलता मन मोहती है !
शुभकामनायें !

निर्मला कपिला said...

उमदा व्यंग। शुभकामनायें।