बहुत दिनों के बाद प्रेम जैसे विषय पर एक ग़ज़ल लिखने की कोशिश की| जो कुछ दिनों पहले आदरणीय पंकज जी द्वारा आयोजित तरही मुशायरे में सम्मिलित की गई थी|आज मन हो रहा था कि आप सब को भी यह ग़ज़ल पढ़वाते है| उम्मीद है आप सब को भी अच्छी लगेगी|
इक लहर सी हृदय में उठी है प्रिये
क्या कहूँ किस कदर बेखुदी है प्रिये
नैन बेचैन है,हसरतें हैं जवाँ
हर दबी भावना अब जगी है प्रिये
प्रेम के गीत की गूँज है हर तरफ
प्रीत की अल्पना भी सजी है प्रिये
साज़ श्रृंगार फीके तेरे सामने
दिल चुराती तेरी सादगी है प्रिये
मेरे दिल का पता दिल तेरा हो गया
ये ठगी है कि ये दिल्लगी है प्रिये
उस हवा से है चंदन की आती महक
जो हवा तुमको छूकर चली है प्रिये
उस कहानी की तुम ख़ास किरदार हो
संग तुम्हारे जो मैने बुनी है प्रिये
छन्द,मुक्तक,ग़ज़ल,गीत सब हो तुम्हीं
तुम नही तो कहाँ,शायरी है प्रिये
11 comments:
जोरदार है...बहुत बधाई।
सच में .......प्रिय की ..प्रिय गज़ल मन को भा गई ......आभार
उस कहानी की तुम ख़ास किरदार हो संग तुम्हारे जो मैने बुनी है प्रिये
.....आपकी ये पंक्तियाँ मुझे बहुत भाई - विनोद जी
छन्द,मुक्तक,ग़ज़ल,गीत सब हो तुम्हीं
तुम नही तो कहाँ,शायरी है प्रिये
क्या बात है विनोद जी ....
आप आये तो गुजरे जमाने याद आ गए .....:))
बहुत खूब विनोद जी ... गज़ल प्रेम की ताजगी लिए है ...
बहुत दिनों बाद आज ब्लॉग जगत में दिखे हैं ... आपका स्वागत है ...
बहुत सुन्दर...
मनमोहक गज़ल...
हमारे ब्लॉग पर आपका आना सुखद लगा.
सादर
अनु
ये ठगी है कि ये दिल्लगी है प्रिये
वाह !!!!!! इस एक पंक्ति पर मन-भ्रमर कई बार मंडराया है...........
ये ठगी है कि ये दिल्लगी है प्रिये
पंक्तियाँ प्रेम रस में पगी हैं प्रिये
मन-भ्रमर उड़ रहा था तृषा को लिये
रसभरी - मदभरी ये कली है प्रिये |
बेहतरीन और लाजवाब ग़ज़ल के बधाई विनोद जी।
प्रेम के गीत की गूँज है हर तरफ
प्रीत की अल्पना भी सजी है प्रिये
साज़ श्रृंगार फीके तेरे सामने
दिल चुराती तेरी सादगी है प्रिये
bhai pandey ji bilkul lajbab rachana hai .....badhai ke sath abhar bhi ....
apki gajal padhate hi galam ali sahab ki vh gajal bhi yad aa gyee ,,,,Dil me ek lahar si uthi abhi ..
Koi taja hwa chali hai abhi ..
बहुत अच्छी ग़ज़ल. प्रेम रस से ओत-प्रोत, प्रेम छलकाती रचना.
निहार रंजन
बहुत बधाई।
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