रात से मेरा रिश्ता पुराना हुआ,
चाँद के घर मेरा आना जाना हुआ|
यह न पूछो हुआ,
कब व कैसे कहाँ,
धड़कनों की गुज़ारिश थी,
मैं चल पड़ा,
बेड़ियाँ थी पड़ी,
ख्वाइसों पर बड़ी,
उल्फतों के मुहाने पे,
मैं था खड़ा,
कुछ न आया नज़र,
बस यहीं था लहर,
ढूढ़ लूँगा कही,
मैं कभी ना कभी,
इस ज़मीं पर नही,आसमाँ मे सही,
बादलों के शहर मे ठिकाना हुआ|
रात से मेरा रिश्ता पुराना हुआ,
चाँद के घर मेरा आना जाना हुआ|
इश्क मजबूर था,
प्यार मे चूर था,
जब हुआ था असर,
तब हुई ना खबर,
खामखाँ बीती रातें,
वो मोहब्बत की बातें,
कर रही थी पहल,
मन रहा था मचल,
हमनशीं,हमनवां,
क्या पता है कहाँ,
जो मिले गर सनम,
ए खुदा की कसम,
जो कभी मुझसे उस पल बयाँ ना हुआ|
रात से मेरा रिश्ता पुराना हुआ,
चाँद के घर मेरा आना जाना हुआ|
सच कहूँ,अब लगा,
उसमे कुछ बात थी,
सूख सावन रहा,
जिसमे बरसात थी,
सोच मे मैं रहा,
बेखुदी ने कहा,
जो थी दिल मे बसी,
चाँद सी थी हसीं,
क्या पता वो कहाँ,
चाँद का कारवाँ,
अब सजाती हो वो,
छुप के हौले से,
मुझको बुलाती हो वो,
जिसको देखे कसम से जमाना हुआ,
रात से मेरा रिश्ता पुराना हुआ,
चाँद के घर मेरा आना जाना हुआ|
अब तो ये आस है,
एक विश्वास है,
वो छुपी हो भले,
चाँद तो पास है,
सोचकर आजकल,
साथ लेकर ग़ज़ल,
आसमाँ की गली,
रोज जाता हूँ मैं,
जिंदगी ख्वाब से,
अब बनाता हूँ मैं,
जिस हसीं ख्वाब से,दिल बहलता न था,
अब वहीं दिल्लगी का बहाना हुआ,
रात से मेरा रिश्ता पुराना हुआ,
चाँद के घर मेरा आना जाना हुआ|
20 comments:
खूबसूरत गीत है। वाह।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
waah waah waah waah ........bahut hi sundar abhiwyakti
विनोद जी आपने अद्भुत रचना लिखी है...वाह...शब्द शब्द दिल पर असर करती हुई...आनंद आ गया...
नीरज
बेहतरीन भाव।
आपने जज़्वातों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं बहुत ही भावमय कविता है बहुत बहुत शुभकामनायें
इस बार तो आपने कुछ अलग ही लिखा है| कहीं कोई पुरानी गर्लफ्रेंड तो नही याद आ रही भाई|कुछ तो है और वो बताना तो पड़ेगा :-)|इस बार तो कोई संदेश देती कविता नही लाए,क्या कुछ अलग करने की कोशिश थी|
behad behad khubsurat ehsaas,har lafz sunder
बहुत अच्छा लिखा है भाई ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत खूबसूरत ...आभार!
Heart touching poem...
रकीबों ने रपट लिखवाई है जा जा के थाने में
कि अकबर नाम लेता है खुदा का इस जमाने में
कमाल है आप इस ज़माने में भी ऐसी शायरी कर लेते हैं
Lajawaab rachnaa hai .....kuch alag hat kar likha hai aapne...... pyaar mein aksar raat haseen lagne lag jaati hai........
सुंदर भावपक्ष.... निरन्तरता बनाए रखें... शुभ-शुभ..
अत्यत मनमोहक, भावपूर्ण सुन्दर गीत.
हार्दिक बधाई.
सच कहूँ,अब लगा,
उसमे कुछ बात थी,
सूख सावन रहा,
जिसमे बरसात थी,
सोच मे मैं रहा,
बेखुदी ने कहा,
जो थी दिल मे बसी,
चाँद सी थी हसीं,
क्या पता वो कहाँ,
चाँद का कारवाँ,
अब सजाती हो वो,
छुप के हौले से,
मुझको बुलाती हो वो,
जिसको देखे कसम से जमाना हुआ,
रात से मेरा रिश्ता पुराना हुआ,
चाँद के घर मेरा आना जाना हुआ|
bahut hi sundar bhav. badhai vinod ji .
बढ़िया भावपूर्ण रचना
जिन्दंगी स्वप्न में, आज पाता हूँ मैं।
दिल के बीहड़ नगर को,सजाता हूँ मैं।
रात से मेरा रिश्ता, पुराना हुआ।
चाँद के द्वार पे, आना-जाना हुआ।।
बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
बहुत ही गहरे भाव लिये हुये बेहतरीन रचना ।
बहुत ख़ूबसूरत रचना है!
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
भाई आप तो बडे छुपे रुस्तम हैं, चाँद के यहाँ आना-जाना है और दुनिया को पता भी नहीं। चलिए आपको आपका चाँद मुबारक।
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