सभी गुरुओं को नमन करते हुए एक आधुनिक गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ | पढियेगा और अपना आशीर्वाद दीजियेगा |
हुए नदारद प्रेम समर्पण,बदलें गुरु शिष्य के नाते,
द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देख कर मर ही जाते
अर्जुन कभी हुआ करते थे
गुरु की बात सुना करते थे
आज शिष्य भी बदल गए हैं
गुरु से आगे निकल गए हैं
इस नवयुग की बेला में ,
रेलम,ठेलम-ठेला में ,
भाग रहे सब इधर उधर,
कहाँ गुरु और शिष्य किधर,
कौन करे अंगुली का दान,
एकलव्य सा कौन महान,
आज गुरु की कॉलर पकड़े,शिष्य बहादुर हैं गरियाते,
द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देख कर मर ही जाते
गुरुजी का भी हाल अनोखा
हींग फिटकरी बिन रंग चोखा
धन से मालामाल हो रहे
गुरु से गुरु घंटाल हो रहे
कुछ तो केवल फर्ज निभाते
बस विद्यालय आते जाते
माना उनको ज्ञान बहुत है
पर ट्यूशन पर ध्यान बहुत है
कुछ मेहनत करके थक जाते
लेकिन कुछ बस मौज उड़ाते
और परीक्षा में बच्चों को नक़ल कराके पास कराते
द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.
बदल रही है दुनिया सारी
सिर्फ मची है मारा मारी
शिष्य गुरु सब हुए आधुनिक
और पढाई धिन -चिक,धिन-चिक
शिक्षा,शिक्षक सब में झोल,
जैसे ढोल के अंदर पोल,
रुपये के अधिकार में हैं
शिक्षा अब बाजार में है,
लोग लगाते दाम यहीं,
कुछ लोगों का काम यही,
विद्या अर्थ भूल करके वो ,विद्या से बस अर्थ कमाते,
द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.
जैसा पहले हम सुनते थे
सुन कर के मन में गुनते थे
वैसे गुरु शिष्य अब कम है
सोच-सोच कर आँखें नम है
गुरु शिष्य का प्रेम,समर्पण,
ख़त्म हुआ अब वो आकर्षण,
परिवर्तन का चढ़ा असर
शिष्य बनाया गुरु पर डर
क्षीण हुए गुरु के अधिकार,
आख़िर हो कर गुरु लाचार,
रख कर के बंदूक जेब में,शिक्षक कक्षा में अब जाते ,
द्रोणाचार्य अगर होते तो,इसे देखते ही मर जाते.
1 comment:
बहुत सटीक धोया है जी, बहुत लाजवाब.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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