आ गया सावन सजन कब आओगे |
रो रहा है मन सजन कब आओगे ||
छेड़ती मुझको हवाएं आजकल,
हो रहा है दिल तुम्हारे बिन विकल |
मंद है धड़कन सजन कब आओगे ||
नींद आती है नही अक्सर मुझे,
काटने को दौड़ता है घर मुझे |
बढ़ गयी उलझन सजन कब आओगे ||
चेष्टाएँ लग रही है पाप सी ,
भावनाएं लग रही है सांप सी |
देह चन्दन वन सजन कब आओगे ||
बादलों के सामने कमजोर हूँ ,
मौन से दबता मचलता शोर हूँ |
कब तलक बंधन सजन कब आओगे ||
हार कर चुप हो गयी है रात यह ,
कह दिया मैंने घनों से बात यह |
प्रीति है पावन, सजन कब आओगे ||
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